किसान आंदोलन में ‘लंगर’ और ‘किसान मॉल’ चला रहे खालसा एड को किया नोबल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट

यूनाइटेड किंगडम के एनजीओ “खालसा एड” को पिछले 20 सालों से निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करने के लिए […]

khalsa aid

यूनाइटेड किंगडम के एनजीओ “खालसा एड” को पिछले 20 सालों से निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करने के लिए कनाडा के एमपी टिम उप्पल, मेयर (ब्रैंपटन) पैट्रिक ब्राउन और ब्रैंपटन के एमपीपी प्रबमीत सिंह सरकारिया ने ‘नोबेल पीस प्राइज’ के लिए नॉमिनेट किया है।

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खालसा एड एक ऐसा संस्थान है, जो विश्व मे कहीं भी कोई त्रासदी हो, आगे आता है और लोगों की सेवा करता है। 1999 में रवि सिंह ने कोसवो के शरणार्थियों की दुर्दशा को देख इस ट्रस्ट की शुरुआत की थी। तब से ये ट्रस्ट पूरे विश्व में प्राकृतिक और मानव निर्मित त्रासदियों में लोगों की सेवा करता आ रहा है।

इस संस्थान ने कहां-कहां सेवाएं दी हैं, आइये एक नजर डालते हैं

भारत मे चल रहे किसान आंदोलन में खालसा एड के कई लंगर चल रहे हैं। शुरुआत में संस्था सिर्फ लंगर की व्यवस्था कर रही थी। लेकिन जैसे-जैसे आंदोलन बड़ा होता गया और मौसम करवट लेने लगा, संस्था और भी सुविधाएं मुहैया कराने लगी। सिंघु और गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में खालसा एड ने 600 से ज्यादा बेड का नाईट कैम्प लगा रखा है। किसान आंदोलन में उन्होंने “किसान मॉल” शुरु किया जिसमें साबुन, पेस्ट, टूथब्रश के साथ रोज की जरूरतों के सारे समान मिल रहे हैं। महिलाओं को ये संस्था मुफ्त में सेनेटरी पैड मुहैया करा रही है। बुजुर्गों के लिए फुट मसाज की भी व्यवस्था की गई थी।

पिछले साल हुए दिल्ली दंगों में 3 दिनों में 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि कितने लोगों के दूकान जला दिए गए थे। खालसा एड ने उन लोगों की तलाश की और उनकी मदद की। सब्ज़ी दुकानदार, फल दुकानदार, छोटे व्यापारियों के बिज़नेस फिर से सेटल करने में उनकी सहायता की।

साइक्लोन फानी और अम्फान

मई 2019 साइक्लोन फानी ने ओड़िशा में भारी तबाही मचाई थी। अनिगिनत जानें गयी थी। जो जिंदा बचे, उनके पास ना तो रहने का ठिकाना था और ना खाने के लिए खाना। तब वहां पर खालसा एड के सदस्य मसीहा साबित हुए। उन्होंने पूरी में अपना कैम्प सेटअप किया। जरूरतमंदों को खाना, पानी के साथ मेडिकेशन की सुविधा मुहैया कराई। लॉकडाउन में जब अम्फान ने बंगाल में तबाही मचाई। तब भी खालसा एड वहां लोगों की सहायता करने पहुंचा । जरूरत मंद लोगों को खाना-पानी और जरूरी सामान मुहैया कराया।

लॉकडाउन के दौरान संस्था ने कई जगहों पर लोगों की सहायता की। पैदल घर की तरफ पलायन कर रहे लोगों को खाना दिया। जरूरी सामान लोगों के घर तक मुहैया कराए। पूर्ण लॉकडाउन भी इन्हें मानव जाती की सहायता करने से नही रोक सकी।

इसके अलावा खालसा एड ने 2016 में लंदन में आई बाढ़, 2018 में केरल की बाढ़, 2020 के बेरूट धमाकों में लोगों की सहायता की। वर्ष 2017 में बांग्लादेश और म्यांमार बॉर्डर पर रोहंगिया शरणार्थियों के लिए कैम्प भी लगाए।

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