महोगनी की खेती Part 3: बेहद कीमती हैं महोगनी के उत्पाद, जानिए क्यों है इतनी मांग

महोगनी की खेती (Mahogany Farming) लंबे समय के लिए किए गए निवेश की तरह है। इसके साथ अन्य फसलों की खेती कर किसान अपनी आमदनी में इज़ाफ़ा कर सकते हैं।

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)

देश में महोगनी की खेती कई किसानों को लुभा रही है। व्यापारिक दृष्टि से महोगनी के पेड़ बेहद क़ीमती माने जाते हैं, क्योंकि इसके हरेक भाग मसलन, पत्ती, फूल, बीज, खाल और लकड़ी, सभी की मांग होती है और सबका अच्छा दाम मिलता है। महोगनी के पौधों के बीच में किसान अन्य किसी और फसल की खेती भी कर सकते हैं। महोगनी के पेड़ की लंबाई 40 से 200 फ़ीट तक हो सकती है। लेकिन भारत में इसकी औसत लंबाई 60 फ़ीट के आसपास रहती है। इसकी जड़ें ज़्यादा गहराई में नहीं जाती। 

महोगनी की लकड़ी को बाज़ार में मिलता है अच्छा

महोगनी की लकड़ी मज़बूत और काफ़ी लंबे समय तक इस्तेमाल में लाई जाने वाली होती है। इस पर पानी के नुकसान का कोई असर नहीं होता। महोगनी की लकड़ी का इस्तेमाल जहाज़, फ़र्नीचर, प्लाईवुड, सज़ावट की चीज़ों और मूर्तियों वग़ैरह को बनाने में किया जाता है। महोगनी की लकड़ी भी 2 हज़ार रुपये प्रति घन फीट के भाव तक बिकती है। 

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: herbalplantation

बीज और फूलों से बनती हैं दवाइयां

इसके बीज और फूलों का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाइयां बनाने में होता है। महोगनी को कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग यानी ठेके पर होने वाली खेती के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। 

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: Blogspot

महोगनी की खेती Part 3: बेहद कीमती हैं महोगनी के उत्पाद, जानिए क्यों है इतनी मांगकई आयुर्वेदिक दवाइयों में महोगनी के पत्तों का इस्तेमाल

महोगनी के पत्तों का इस्तेमाल मुख्य रूप से ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों की आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। 

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: wikimedia

बेजोड़ है महोगनी की रोग प्रतिरोधकता

अपने औषधीय गुणों की वजह से महोगनी के पेड़ों पर कोई रोग नहीं लगता। लिहाज़ा, इसे कीटनाशक की ज़रूरत नहीं पड़ती। उल्टा इसकी पत्तियों का इस्तेमाल कीटनाशक बनाने में भी होता है। लेकिन ज़्यादा वक़्त तक जल भराव की चपेट में आने पर इसका तना गलने की तकलीफ़ पैदा हो सकती है। इसीलिए बेजोड़ गुणों वाले महोगनी के पेड़ को किसानों का ‘कमाऊ पूत’ भी कहा गया है।

प्रति एकड़ करोड़ों की कमाई का ज़रिया 

नज़दीकी कृषि विकास केन्द्र के विशेषज्ञों का मशविरा लेकर अगर महोगनी की खेती को अपनाया जाए तो 12 से 15 साल बाद जब पेड़ों को काटकर उनकी लकड़ी को बेचने का वक़्त आता है, तब तक प्रति एकड़ करोड़ों की कमाई हो जाती है। 

mahogany farming in india (महोगनी की खेती)
तस्वीर साभार: gardeningknowhow

प्रति एकड़ लागत डेढ़ से ढाई लाख रुपये

एक एकड़ में महोगनी के 1200 से 1500 पेड़ उगाए जा सकते हैं। इसके पौधे 25 से 30 रुपये से लेकर 100 से 200 रुपये तक बाज़ार में मिल जाते हैं। रोपाई के इस्तेमाल होने जा रहे पौधे की उम्र कितनी है और इसका विकास कैसा हुआ है, इन कारकों पर दाम निर्भर करता है। इसके अलावा खाद, मज़दूरी और अन्य खर्चों को जोड़कर देखे तो औसतन प्रति एकड़ लागत डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक आ जाती है। 

Mahogany Farming Part 1: जानिए कैसे करें महोगनी की खेती, किन बातों का ध्यान रखने की ज़रूरत?

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