वैज्ञानिक उपलब्धि: बाजरे के नये रोग ‘स्टेम रॉट’ (Stem rot) की खोज, देसी गायों के नस्ल संरक्षण के लिए स्वदेशी चिप विकसित

कृषि विज्ञान की दुनिया में दोनों ही उपलब्धियाँ बेहद महत्वपूर्ण

अमेरिका के फाइटो-पैथोलॉजिकल सोसायटी ने भी बाजरा के नये रोग ‘स्टेम रॉट’ की खोज को अपनी मान्यता दी। ये रोग ‘क्लेबसिएला एरोजेन्स’ नामक बैक्टीरिया से फैलता है, जो इंसान की आँत में पाये जाते हैं। ‘इंडिगऊ SNP चिप’ से देसी गायों और साँडों के pure undisturbed germplasm को पहचानने और संरक्षित करने के अलावा भविष्य में इनकी उम्दा नस्लों की ही वंश-वृद्धि में आसानी होगी।

दुनिया के बड़े हिस्से में बाजरा की खेती होती है। वैसे तो बाजरा में कम रोग लगते हैं, लेकिन यदि रोग का हमला हो जाए तो किसानों को भारी नुकसान होता है। बाजरा में लगने वाले ऐसे ही एक नये रोग की पहचान हरियाणा के वैज्ञानिकों ने की है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के प्लांट पैथोलॉजी (Plant Pathology) विभाग के वैज्ञानिकों ने इस रोग को ‘स्टेम रॉट’ (Stem rot) नाम दिया है।

हिन्दी में इसे ‘तना सड़न’ कह सकते हैं। ‘स्टेम रॉट’ के प्रकोप से बाजरा के पौधों की पत्तियों में लम्बी-लम्बी धारियाँ बनने लगती हैं। धीरे-धीरे ये धारियाँ पूरे पौधे पर फैलने लगती हैं। इसके बाद तनों पर वाटर लॉग्ड या रुके हुए पानी जैसे धब्बे दिखने लगते हैं। इससे बाजरा का तना पहले भूरा पड़ने लगता है और फिर काला पड़कर हल्की सी हवा चलने पर गिर जाता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, साल 2019 में हरियाणा के हिसार, भिवानी और रेवाड़ी ज़िले में बाजरा की फसल में पहली बार ‘स्टेम रॉट’ रोग के लक्षण दिखायी दिये। लक्षणों में दिखे नयेपन की वजह से वैज्ञानिक इस रोग के बारे में जानकारियाँ जुटाने में जुट गये। इस दौरान शोध भी जारी रहा, जिससे पता चला कि ‘स्टेम रॉट’ रोग ‘क्लेबसिएला एरोजेन्स’ नामक बैक्टीरिया से फैलता है जो इंसान की आँत में पाये जाते हैं।

बाजरा के नए रोग और देसी गाय चिप millet disease and cow chip
तस्वीर साभार: researchgate

‘स्टेम रॉट’ के लक्षणों और इसके फैलने की वजह का पता लगाने के बाद वैज्ञानिकों ने सारा ब्यौरा ‘नेशनल सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन’ के पास भेजा, तो इसके वैज्ञानिक भी ‘स्टेम रॉट’ का इतिहास टटोलने लगे। इसी से पता चला कि दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक और शोध संस्थान ने पहले कभी ‘स्टेम रॉट’ के बारे में रिपोर्ट नहीं किया। तब कहीं जाकर ‘स्टेम रॉट’ को बाजरा की नयी बीमारी का दर्ज़ा मिला। इसके बाद भारतीय वैज्ञानिकों से सारा ब्यौरा अमेरिका के फाइटो-पैथोलॉजिकल सोसायटी को पास भेजा। इसने भी बाजरा के नये रोग के खोजे जाने को अपनी मान्यता दे दी।

देसी गायों की नस्ल सुधारने के लिए ‘इंडिगऊ’ चिप विकसित

गिर, कांकरेज, साहीवाल, ओंगोले आदि जैसी देसी गायों की शुद्ध नस्लों को संरक्षण देने के लिए भारत में पहली बार एकल पॉलीमॉर्फिज्म (single polymorphism) आधारित ‘इंडिगऊ SNP चिप’ का शुभारम्भ किया गया है। इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़े और हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी (DBT-NIAB) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। ‘इंडिगऊ’ स्वदेशी और दुनिया की सबसे बड़ी पशु चिप है। इसमें 11,496 मार्कर (SNP) हैं, जो अमेरिका और ब्रिटेन की नस्लों के लिए विकसित 777-SNP वाले इलुमिना चिप की अपेक्षा कहीं उन्नत है। अब तक भारतीय शोधकर्ता और डेयरी विकास कार्यक्रम जिन SNP चिप्स को अपने शोध और अध्ययन का आधार बनाते रहे हैं, उन्हें विदेशी नस्ल के मवेशियों के लिए विकसित किया है।

वैज्ञानिकों को यक़ीन है कि ‘इंडिगऊ SNP चिप’ सभी नस्लों की देसी गायों के संरक्षण और इनके गहन जैविक विश्लेषण में बेहद उपयोगी साबित होगी। इससे गायों और साँडों के शुद्ध अबाधित रोगाणुओं (pure undisturbed germplasm) को पहचानने और संरक्षित करने के अलावा भविष्य में इन पशुओं की उम्दा नस्लों की ही वंश-वृद्धि में आसानी होगी।\

बाजरा के नए रोग और देसी गाय चिप millet disease and cow chip

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.