प्राकृतिक खेती (Natural Farming): बर्कले कंपोस्टिंग विधि से तीन हफ्ते से भी कम समय में बनती है प्राकृतिक खाद

'बर्कले कंपोस्टिंग' बर्कले विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया द्वारा विकसित हॉट यानी खाद बनाने की विधि है जिसमें मात्र 14-18 दिनों में अच्छी गुणवत्ता वाली खाद बनाई जा सकती है।

बर्कले कंपोस्टिंग विधि

फसलों की अच्छी गुणवत्ता और मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने के लिए रसायनिक खाद की बजाय प्राकृतिक खाद अधिक उपयोगी होती है।   धीरे-धीरे इस संबंध में जागरुकता बढ़ने से किसान भी वर्मीकंपोस्ट जैसी प्राकृतिक खाद का अधिक उपयोग करने लगे हैं, लेकिन वर्मी कंपोस्टिंग या पिट कंपोस्टिंग विधि से खाद बनाने में 2 महीने से अधिक समय लग जाता है। इससे फसलों के लिए समय पर पर्याप्त खाद उपलब्ध नहीं हो पाती  और किसानों को मजबूरी में रसायनिक खाद का उपयोग करना पड़ता है। लेकिन मेघालय के नोंगकिनरिह के किसानों को अब ऐसी कोई समस्या नहीं आ रही क्योंकि वह बर्कले कंपोस्टिंग विधि से खाद बना रहे हैं। इसमें सिर्फ़ 18 दिनों में खाद बनकर तैयार हो जाती है।

क्या है बर्कले कंपोस्टिंग?

यह बर्कले विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया द्वारा विकसित हॉट यानी खाद बनाने की विधि है जिसमें मात्र 14-18 दिनों में अच्छी गुणवत्ता वाली खाद बनाई जा सकती है। इसे बनाने के लिए जो सामग्री चाहिए वह आसानी से उपलब्ध हो जाती है। जब एक बार इकट्ठा किए कचरे के ढेर से खाद बन जाए तो आप दूसरा बैच तैयार कर सकते हैं।  इस तरह आपको हर दो हफ्ते में तैयार खाद मिलेगा। इस हॉट कंपोस्टिंग विधि में खाद तो जल्दी बनती ही है,  साथ ही इसमें खरपतवार के बीज और रोगजनकों को भी मारने की क्षमता है।  इसके अलावा ये  इस्तेमाल सामग्री को बहुत ही महीन खाद में तब्दील कर देता है। इससे  मिट्टी को अच्छा पोषण भी मिलता है।

प्राकृतिक खेती (Natural Farming): बर्कले कंपोस्टिंग विधि से तीन हफ्ते से भी कम समय में बनती है प्राकृतिक खाद
तस्वीर साभार: Rural Sprout

प्राकृतिक खेती (Natural Farming): बर्कले कंपोस्टिंग विधि से तीन हफ्ते से भी कम समय में बनती है प्राकृतिक खाद

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बर्केल कंपोस्टिंग की विधि

  • खाद बनाने के लिए आवश्यक सामग्री का ढेर इकट्ठा करें और इसकी पतली परतें बनाकर पानी से गीला करें।
  • खाद के ढेर को ऐसी जगह रखें जहां बहुत अधिक धूप या बारिश का असर न हो, क्योंकि इससे खाद सूख सकती है या फिर पानी जमने से खाद बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाएगी।
  • इस विधि से खाद बनाने के लिए एक तिहाई ग्रीन नाइट्रोजन युक्त सामग्री का इस्तेमाल करें क्योंकि यह जल्दी टूट जाती है।   इसमें शामिल है नम घास की कतरनें, फलों और सब्जियों के अपशिष्ट, पशु खाद और हरी पत्तियां। 2/3 भाग ब्राउन कार्बन युक्त सामग्री  जैसे चूरा, गत्ते, सूखे पत्ते, पुआल,पेड़ की शाखाएं व अन्य लकड़ी या रेशेदार चीजें रखें क्योंकि यह जल्दी नहीं टूटती हैं।
  • नाइट्रोजन वाली सामग्री की एक पतली परत बनाएं और उसके ऊपर कार्बन युक्त सामग्री की परत बनाएं। इस तरह से तब तक परत बनाते जाएं जब तक कि यह करीब एक स्क्वायर मीटर  न हो जाए।
  • इस ढेर को अच्छी तरह से गीला करें ताकि नीचे से पानी टपकता रहे और यह नम रहे।
  • इसे 4 दिनों तक ऐसे ही रहने दें।
  • उसके बाद 14 दिनों तक हर दूसरे दिन खाद को पलटते रहें।
  • इसके लिए फावड़ा या कोई लंबे डंडे वाला दूसरा उपकरण इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करें कि ढेर में नमी बनी रहे।
  • छठे या आठवें दिन खाद अपने अधिकतम तापमान यानी 50 से 65 डिग्री के बीच पहुंच जायेगी।   इसे आप खाद के ढेर के बीच में थर्मामीटर  डालकर जांच सकते हैं।
  • खाद में जब केंचुए चलने लगें  तो समझ लीजिए की यह तैयार हो गयी है।

मेघालय के नोंगकिनरिह गांव के किसानों ने खाद बनाने के लिए इसी विधि का इस्तेमाल किया और अब उनकी खाद की कमी की समस्या समाप्त हो गई। अब वह पूरी तरह से कुदरती खाद का इस्तेमाल करते हैं और कुछ  किसान तो इस तरह से खाद बनाकर दूसरे किसानों को बेच भी रहे हैं।  इससे  उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है। बर्कले विधि से खाद बनाकर मेघालय के इस गांव के किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाली फसल मिली, मिट्टी की उर्वरता बढ़ी, नतीज़तन उनके जीवनस्तर में भी सुधार हुआ।  एक क्यूबिक मीटर के ढेर से किसानों को लगभग 300-400 किलो खाद प्राप्त हो जाती है।

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