न्यूट्री गार्डन- उत्तराखंड की महिलाओं को बना रहा स्वस्थ और सशक्त

दूर हुई महिलाओं में कुपोषण की समस्या

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पारंपरिक अनाज की खेती और मिट्टी की कम उर्वरता ने महिलाओं के लिए कुपोषण की गंभीर समस्या खड़ी कर दी। इस समस्या को न्यूट्री गार्डन (पोषण बगीचा) के ज़रिए दूर करने की कोशिश की जा रही है।

न्यूट्री गार्डन: उत्तराखंड का पहाड़ी इलाका कुदरती खूबसूरती से भरपूर है, मगर खेती के लिहाज़ से यह बहुत उपयुक्त नहीं है। यहां की कठिन परिस्थितियां और किसानों द्वारा की जा रही पारंपरिक खेती के कारण महिलाओं के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।

पहाड़ी इलाकों में आज भी किसान बस अनाज फसलों की खेती पर निर्भर हैं और वह भी पुराने तरीकों का इस्तेमाल करके, जिससे बमुश्किल 3-4 महीने ही परिवार का गुज़र बसर हो पाता है। इसके बाद परिवार के पुरुष तो काम की तलाश में मैदानी इलाकों की ओर चले जाते हैं, मगर महिलाओं गांव में ही रह जाती हैं और कम आमदनी के कारण वो पौष्टिक भोजन नहीं कर पाती, खेती में भी विविधता नहीं है जिससे उनकी पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। 2015-16 में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, इलाके की 43 प्रतिशत महिलाओं कुपोषण का शिकार थीं, जो कि गंभीर समस्या है। इस समस्या को दूर करने और उन्हें पोषण संबंधी सुरक्षा प्रदान करने के उद्देशय से ही न्यूट्री गार्डन अवधारणा की शुरुआत की गई।

Nutri Garden
Nutri Garden – न्यूट्री गार्डन (तस्वीर साभार-rural.nic)

क्या है न्यूट्री गार्डन
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की कुपोषण संबंधी समस्या का हल यह निकाला गया कि स्थानीय स्तर पर उनकी ज़रूरतें पूरी की जाए। इस मकसद को पूरा करने के लिए न्यूट्री गार्डन अवधारणा की शुरुआत हुई। दरअसल, उत्तराखंड का मौसम मौसमी और बेमौसम के फल व सब्ज़ियों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। फल और सब्ज़ियां माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का अच्छा स्रोत है। न्यूट्री गार्डन अवधारणा के तहत पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिले की महिलाओं को घर के पिछवाड़े में फल व सब्ज़ियां उगाने के लिए प्रेरित किया गया और उन्हें इसकी तकनीकी जानकारी भी दी गई। एक सुनियोजित न्यूट्री गार्डन से मिलने वाली ताज़ी सब्ज़ियां पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। फल और सब्ज़ियां विटामिन, मिनरल, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत है जो शरीर को पोषण देने के लिए ज़रूरी है। इस तरह सब्ज़ियों व फल की खेती को बढ़ावा देकर व उसके लिए ज़रूर सहायता प्रदान करके ICAR ने पहाड़ी महिलाओं की मदद की।

Nutri Garden - न्यूट्री गार्डन
Nutri Garden – न्यूट्री गार्डन (तस्वीर साभार-rural.nic)

दी गई पूरी जानकारी
न्यूट्री गार्डन अवधारणा के तहत प्रर्दर्शन के लिए घर के पीछे 100200 वर्ग मीटर एरिया को चुना गया और इसके लिए सभी ज़रूरी इनपुट संस्थान की ओर से दिए गए। विविध सब्ज़ियों के बीज के किट, फलों के पौधे और इनकी बारे में वैज्ञानिक जानकारी दी गई। इसके अलावा नर्सरी बनाना, पॉली टनल और वर्मी कंपोस्ट बनाना आदि। मशरूम उत्पदान के बारे में भी उन्हें जानकारी दी गई। साथ ही सब्ज़ियों में परागण बढ़ाना और शहद उत्पादन के लिए बी बॉक्स (मधुमक्खियों का बॉक्स) स्थापित करने के बारे में भी बताया गया।

Nutri Garden - न्यूट्री गार्डन
Nutri Garden – न्यूट्री गार्डन (तस्वीर साभार-rural.nic)

सेहत के साथ ही सशक्तिकरण
शुरुआत में सिर्फ 20 महिलाओं ने इसमें दिलचस्पी दिखाई, लेकिन फिर धीरे-धीरे 80 महिलाओं ने न्यूट्री गार्डन बनाया और इसका फायदा यह हुआ कि न सिर्फ उनकी सेहत में सुधार आने लगा, बल्कि अतिरिक्त सब्ज़ी व फलों को बाज़ार में बेचकर उन्हें कुछ कमाई भी होने लगी, जिससे वह आर्थिक रूप से समृद्ध होने लगीं। न्यूट्री गार्डन ने पहाड़ी इलाके कि महिला किसानों को आजीविका प्रदान करने के साथ ही चावल, गेहूं और बाजरा जैसी फसलों के रोटेशन में मदद की।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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