पंतनगर किसान मेला 2022: कृषि से जुड़ी नयी तकनीकों का प्रदर्शन, 20 लाख रुपये से ऊपर बीज-पौधों और प्रकाशनों की बिक्री, जानिए और क्या रहे मुख्य आकर्षण
स्वयं सहायता समूहों एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा
हर साल पंतनगर किसान मेला 2022 का इंतजार किसानों को रहता है। इसमें बीजों की उन्नत किस्मों की बिक्री होती है। साथ ही किसानों को खेती की उन्नत तकनीकों में जागरूक किया जाता है। आपको बताते हैं इस साल क्या रहा ख़ास।
गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (GBPUAT) पंतनगर में 111वें चार दिवसीय किसान मेले का आयोजन हुआ। नई-नई कृषि तकनीकें और यंत्र किसानों के बीच मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहीं। इस साल मेले में कुल 330 स्टॉल्स लगे, जो अब तक के सबसे ज़्यादा स्टॉल्स हैं। मेले का उद्घाटन प्रगतिशील किसान परमवीर सिंह सिरोही और उत्तराखंड किसान आयोग के उपाध्यक्ष राजपाल सिंह ने किया। परमवीर सिंह सिरोही और राजपाल सिंह मेले के मुख्य अतिथि भी थे।
दोनों ही मुख्य अतिथियों ने जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील की और इसे व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने की बात कही। उद्घाटन समारोह में राज्य के 9 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया गया। मेले में तकनीक से लेकर खेती-किसानी से जुड़े हर वर्ग से संबंधित स्टॉल्स लगे। पंतनगर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने मुख्य अतिथियों और अन्य वैज्ञानिकों के साथ मेले में लगे स्टॉल्स का जायज़ा लिया।
किसानों को दी गई उन्नत तकनीकों की जानकारी
यूनिवर्सिटी के अलग-अलग विभागों के लगे स्टॉल्स पर छात्रों ने मॉडल्स के ज़रिए किसानों को खेती की उन्नत तकनीकों में बारे में जानकारी दी। मधुमक्खी पालन (Apiculture), मत्स्य पालन (Fish Farming), पशुपालन (Animal Husbandry) फसल सुरक्षा (Crop Protection), फसल उत्पादन (Crop Production), मशरूम उत्पादन (Mushroom Farming), हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics Technique), फल प्रसंस्करण इकाई (Fruit Processing Unit) और चारे एवं उन्नत पोल्ट्री प्रजाति से सम्बन्धित जैसे विषयों के बारे में जानकारी दी गई।
लगभग 20 लाख रूपये के बीज, पौधों और प्रकाशनों की बिक्री
पंतनगर किसान मेला 2022 में करीब 10 हज़ार किसान पहुंचे। विश्वविद्यालय के लगभग 20 लाख रूपये के बीज, पौधों और प्रकाशनों की बिक्री हुई। पंत नगर यूनिवर्सिटी द्वारा निर्मित किस्में अपने उनात पैदावार के लिए जानी जाती हैं।
उन्नत बीजों की प्रदर्शनी
इस संस्थान ने न सिर्फ़ उत्तराखंड, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों की ज़रूरतों के मुताबिक अलग-अलग फसलों की उन्नत किस्में विकसित की हैं। ये सिलसिला हरित क्रांति से शुरूहुआ था, जो बदस्तूर जारी है। कई उन्नत बीजों की प्रदर्शनी मेले में लगी।
कृषि विज्ञान केन्द्र का स्टॉल भी रहा आकर्षण का केंद्र
पंतनगर किसान मेले में विश्वविद्यालय के 9 कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा एक संयुक्त स्टॉल लगाया गया। स्टॉल में अजोला उत्पादन इकाई, मधुमक्खी पालन इकाई, गैनोडर्मा मशरूम (रेशी मशरूम), उच्च गुणवत्ता और अधिक बाजार भाव वाली बेमौसमी सब्जियां, मुर्गी के उन्नत नस्ल के अण्डों की प्रदर्शनी लगी। उत्तराखंड राज्य की भंगीरा, अंजीर, गेठी, गड़ेरी, माल्टा, पहाड़ी नींबू, अलसी, रामदाना, लाल धान, राजमा, पहाड़ी कद्दू जैसी पारंपरिक फसलों और सब्जियों की प्रदर्शनी भी लगी।
इसके साथ ही, उत्तराखंड के किसानों पर बनाई गयीं किसान ऑफ़ इंडिया की वीडियो स्टोरीज़ प्रोजेक्टर पर चलीं। किसान ऑफ़ इंडिया की वीडीयोज के माध्यम से कृषि विज्ञान केंद्रों की उपलब्धियों को दर्शाया गया। कृषि विज्ञान केंद्र के स्टॉल पर किसानों को उनकी समस्याओं से सबंधित सुझाव भी दिए गए। इसमें बढ़-चढ़कर किसानों ने भाग लिया।
पोर्टेबल सोलर कोल्ड स्टोरेज
फ़ार्म मशीनरी एवं पावर इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापक डॉ. आरएन पटैरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि ये सोलर एनर्जी और रात में नेचुरल कूलिंग सिस्टम तकनीक के माध्यम से संचालित होता है। इसमें मशरूम, फल-सब्जियां, कई फसलों को लंबे समय तक संरक्षित करके रखा जा सकता है। ये वज़न में हल्का है और बिजली का खर्च न होने की वजह से ये किसानों के लिए फ़ायदेमंद है। इसे किसान कहीं भी आसानी से ले जा सकते हैं। यह पर्वतीय क्षेत्रों के छोटी जोत वाले किसानों के लिए बहुउपयोगी है। इसके अलावा, तकनीक से जुड़े कई स्टॉल्स मेले में लगे। सोलर सिस्टम भी किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा।
पंतनगर किसान मेला 2022 के तीसरे दिन पशुचिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय में पशु-प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
किसान ऑफ़ इंडिया से ख़ास बातचीत में अपनी इस उपलब्धि पर रौनक सिंह ने कहा कि मवेशी घर के सदस्य की तरह होते हैं। उनके आहार और रखरखाव का पूरा ख्याल रखना ज़रूरी है। इस उपलब्धि पर खुशी ज़ाहिर करते हुए उन्होंने पंतनगर यूनिवर्सिटी का आभार व्यक्त किया।
इस पशु-प्रदर्शनी में बाजपुर के रहने वाले रौनक सिंह का भैंसा और पंतनगर के रहने वाले जय किशोर यादव की गाभिन गाय को सर्वोत्तम पशु का अवॉर्ड मिला।
स्वयं सहायता समूहों एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा
111वें किसान मेले में उत्तराखंड के अलग-अलग ज़िलों से लगभग 20 स्वयं सहायता समूह एवं लघु उद्योग इकाईयों ने स्टॉल्स लगाए। इन स्टॉल्स में पहाड़ी दालों से निर्मित नमकीन, पापड़, आचार, जैम, चटनी, चिप्स, मल्टीग्रेन व मंडुवे का आटा, पहाड़ी दालें, जम्बू-गंधरैणी, तिमुर, काला भट, पहाड़ी राजमा मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहे। इसके अलावा, हाथ से बने मोड़े, कपडे़ के शॉपिंग बैग, अंगोरा के शॉल, स्टोल, टोपी, दस्ताने और सजावट की चीज़ों को भी मेले में आए लोगों ने खूब सराहा।
आखिरी दिन किसान मेले में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया। साथ ही मेले में लगाए गए विभिन्न वर्गों के स्टॉल्स को भी उनके प्रदर्शन और बिक्री के आधार पर पुरस्कृत किया गया।
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