दुनिया की सबसे बड़ी कृषि बीमा योजना में किसानों को क्लेम के मिल चुके हैं 90 हजार करोड़ रूपए

दुनिया की सबसे बड़ी- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के 5 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सभी राज्यों के […]

दुनिया की सबसे बड़ी कृषि बीमा योजना में किसानों को क्लेम के मिल चुके हैं 90 हजार करोड़ रूपए

दुनिया की सबसे बड़ी- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के 5 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सभी राज्यों के साथ मिलकर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में कार्यक्रम हुआ। इसमें तोमर ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी इस कृषि बीमा योजना में किसानों को क्लेम के 90 हजार करोड़ रूपए मिल चुके हैं। उन्होंने कहा कि एमएसपी बढ़ाने, 10 हजार नए एफपीओ बनाने तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान में कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रू. से ज्यादा के पैकेज से किसानों की दशा-दिशा बदलने वाली हैं।

तोमर ने कहा कि पीएमएफबीवाय सफल रही है, जिसमें केंद्र के साथ राज्यों का योगदान है। हमारे देश में कृषि के महत्व को हम भली-भांति जानते है। रोजगार की दृष्टि से देंखे तो देश की आधी आबादी को कृषि क्षेत्र रोजगार प्रदान करता है, अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देंखे तो कोविड के संकट में भी कृषि ने अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है। कृषि क्षेत्र प्रतिकूल परिस्थितियों का मुकाबला करने में सक्षम रहता है। एक समय था जब खाद्यान्न को लेकर हम चिंतित रहते थे, लेकिन सरकार की किसान हितैषी नीतियों, किसानों के परिश्रम व कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान के कारण खाद्यान्न की दृष्टि से आज हम अभाव वाला देश नहीं, बल्कि अधिशेष राष्ट्र है। अब चिंता उत्पादन को लेकर नहीं है, बल्कि इसे प्रबंधित करने को लेकर है।

उन्होंने कहा कि खाद्यान्न के अतिरिक्त दूध, मत्स्य, बागवानी आदि के उत्पादन में भी विश्व में भारत पहले या दूसरे स्थान पर है। आज फसल प्रबंधन को लेकर मंथन हो रहा है। फसलों के विविधीकरण, पानी की बचत, लागत में कमी, महंगी फसलों की ओर किसानों के आकर्षित होने, प्रोसेसिंग, किसानों को उपज का वाजिब दाम दिलाने, उनके द्वारा प्रौद्योगिकी का पूरा उपयोग व वैश्विक मानकों के अनुसार उत्पादन करने ताकि हमारे उत्पादों का निर्यात बढ़ सकें, इन सबको लेकर आज केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर सफलतापूर्वक काम कर रही है।

तोमर ने कहा कि सरकार द्वारा अच्छी नीतियां बनाने, सब्सिडी देने और आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग आदि के बावजूद किसानों को प्राकृतिक स्थितियों पर निर्भर रहना पड़ता है। सब कुछ अच्छा करने के बावजूद यदि प्रकृति की नाराजगी है तो उसका नुकसान किसानों को होता है, जिससे किसानों को बचाने के उद्देश्य से फसल बीमा योजना की कल्पना की गई व पीएमएफबीवाई के नाम से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 13 जनवरी 2016 को मंजूरी देकर अप्रैल 2016 से इसे लागू कर दिया गया था। अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रधानमंत्री रहने के समय भी फसल बीमा योजना लागू की गई थी व समय-समय के अनुभव के आधार पर इसका परिमार्जन किया गया। मोदी जी ने जबसे प्रधानमंत्री पद संभाला, उनका फोकस गांव-गरीब-किसान और किसानी पर रहा है। बजट में अधिक प्रावधान करने, किसानों को सुरक्षा कवच प्रदान करने सहित अन्य क्षेत्रों में मोदी जी के नेतृत्व में गत छह साल में सफलतम काम करने का प्रयत्न सरकार द्वारा किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को भी पीएमएफबीवाय से अधिकाधिक जोड़ने के लिए वहां की राज्य सरकारों के अंशदान को 90:10 कर दिया गया है, जो पहले 50:50 था। स्वैच्छिक बनाने व प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने के साथ आज यह योजना किसानों के लिए प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों में एक बड़ा सुरक्षा कवच है, जिसका लाभ देशभर में किसानों को मिल रहा है। क्रॉप इन्श्योरेन्स ऐप के माध्यम से भी किसान अब अपने आवेदन की स्थिति और कवरेज के विवरण को घर बैठे जान सकते हैं और फसल नुकसान की सूचना भी दे सकते है। फसल कटाई प्रयोगों में व्यापक सुधार हेतु स्मार्ट सैंपलिंग, रिमोट सेंसिंग तकनीक, सेटेलाइट, ड्रोन का उपयोग भी किया जा रहा है। इससे दावों की राशि का आंकलन तत्काल ईमानदारी व पारदर्शिता से किया जाता है, जिससे किसानों के बीमा दावों का निपटान तेज़ गति से हो सके और उन्हें भुगतान मिलने में देरी नहीं हो।

तोमर ने कहा कि खरीफ-2016 में योजना के शुभारंभ से खरीफ-2019 तक किसानों ने प्रीमियम के रूप में 16,000 करोड़ रू. का भुगतान किया और फसलों के नुकसान के दावों के रूप में किसानों को 86,000 करोड़ रू. मिले हैं अर्थात् किसानों को प्रीमियम के मुकाबले 5 गुना से ज्यादा राशि दावों के रूप में मिली है। कुल आंकड़ा देंखे तो, योजना की शुरूआत से दिसंबर-2020 तक किसानों ने लगभग 19 हजार करोड़ रू. प्रीमियम भरी, जिसके बदले उन्हें लगभग 90 हजार करोड़ रू. का भुगतान दावों के रूप में किया जा चुका है। योजना में पांच साल में 29 करोड़ किसान आवेदक बीमित हुए। हर वर्ष औसतन 5.5 करोड़ से अधिक किसान योजना से जुड़ रहे है।

उन्होंने बताया कि फसल नुकसान की स्थिति में किसानों को दावों का भुगतान कर पीएम फसल बीमा योजना उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। भविष्य में इस योजना के और बेहतर कार्यान्वयन के लिए हमारी सरकार वचनबद्ध है। उन्होंने राज्य सरकारों से किसानों की अपेक्षा अनुरूप इस योजना को और सरल बनाने में मदद का आग्रह किया, साथ ही सभी किसानों को योजना से जोड़ने की अपील करते हुए कहा कि इसके लिए व्यापक जागरूकता लाई जाएं तथा गांव-गांव में कृषि अमले के साथ कैम्प लगाए जाएं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top