पराली को खाद बनाने वाले पूसा डीकंपोजर के दाम में पांच गुना तक इज़ाफ़ा

पूसा के वैज्ञानिकों का कहना है कि कैप्सूल के घोल का छिड़काव करने के बाद क़रीबन 20 दिनों में पराली, खाद में तब्दील हो जाती है। पूसा डीकंपोजर कैप्सूल से धान के पुआल को डीकंपोज करने में बहुत कम समय लगता है।

( पूसा डीकंपोजर ) pusa decomposer

25 राज्यों के किसानों को पराली को जैव खाद में बदलने वाली कैप्सूल ‘पूसा डीकंपोजर’ की किट मुहैया करा दी गई है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल ही में लोकसभा में ये जानकारी दी। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा तैयार की गई इस टेक्नॉलजी का लाइसेंस 12 कंपनियों को दिया गया है, जिनपर इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन करने और इसका प्रचार करने की ज़िम्मेदारी है। हालांकि इसकी कीमत में भी इजाफ़ा हुआ है। पहले जहां 2019 में IARI ने इसकी कीमत 20 रुपये तय की थी, अब ये 5 गुना बढ़कर 100 रुपये में मिल रहा है।

क्यों 5 गुना बढ़े दाम?

कृषि जानकारों का कहना है कि निजी कंपनियों को सौंपा गया इसका उत्पादन, कीमत में हुई बढ़ोतरी का मुख्य कारण है। राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य बिनोद आनंद कहते हैं कि जो पूसा डीकंपोजर कैप्सूल, सरकार द्वारा मुफ़्त में किसानों को मुहैया कराना चाहिए था, वो कई गुना बढ़े दामों के साथ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ़ सरकार पराली से हो रहे प्रदूषण को लेकर अपनी चिंता ज़ाहिर करती रही है, वहीं दूसरी तरफ़ इस तरह से दाम में इज़ाफ़ा होना सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है।

pusa decomposer price ( पूसा डीकंपोजर )

25 राज्यों के किसानों को मिली कैप्सूल किट

उधर बता दें कि सरकार ने जानकारी दी कि पूसा डीकंपोजर की कैप्सूल किट 25 राज्यों के किसानों को उपलब्ध कराई गई है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, 2020 के दौरान उत्तर प्रदेश (3,700 हेक्टेयर), पंजाब (200 हेक्टेयर), दिल्ली (800 हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (510 हेक्टेयर), तेलंगाना (100 हेक्टेयर) की सरकारों को 5,730 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पूसा डिकंपोजर मुहैया कराया गया।

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पराली की समस्या से निपटने में कैसे कारगर है डीकंपोजर कैप्सूल

पूसा डीकंपोजर कैप्सूल 8 माइक्रोब्स के रूप में होते हैं, जो अगली फसल बुआई से पहले खेत को तैयार करने में मदद करते हैं। अब तक किसानों को कटी फसल के बाद बचे हिस्सों को जलाना पड़ता था, लेकिन डीकंपोजर कैप्सूल की मदद से पराली जलाने की समस्या से छुटकारा मिलता है। पूसा के वैज्ञानिकों का कहना है कि कैप्सूल के घोल का छिड़काव करने के बाद क़रीबन 20 दिनों में पराली, खाद में तब्दील हो जाती है। इससे किसानों को पराली की समस्या से निज़ात तो मिलती ही है, साथ ही खेत के इस्तेमाल के लिए मुफ़्त खाद भी उपलब्ध होती है। पूसा डीकंपोजर कैप्सूल से धान के पुआल को डीकंपोज करने में बहुत कम समय लगता है।

हर साल पराली जलने की वजह से जो धुंआ उठता है, उससे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। विशेषकर उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा में जलाई जाने वाली पराली का सारा धुंआ पूरे उत्तर भारत में फैल जाता है। ऐसे में लाल और हरे रंग के ये कैप्सूल पराली के निस्तारण और प्रदूषण की समस्या को दूर करने के लिए फ़ायदेमंद है।

pusa decomposer capsule kit ( पूसा डीकंपोजर )

कैसे तैयार किया जाता है पूसा डीकंपोजर का घोल

चार कैप्सूल, चने का आटा और थोड़ा गुड़ मिलाकर 25 लीटर तक घोल तैयार किया जा सकता है। घोल की इतनी मात्रा एक हेक्टेर ज़मीन के लिए पर्याप्त होती है। इसके उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता पर भी किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। मिट्टी जैसी उपजाऊ थी, वैसी ही बनी रहेगी।

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