पूसा कृषि विज्ञान मेले में एग्री स्टार्टअप्स और प्रगतिशील किसानों के अभिनव प्रयोगों की सफलता लाखों किसानों को तरक्की की राह दिखा रही है। 9 मार्च से 11 मार्च तक आयोजित कृषि मेले का उदघाटन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने किया।
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की ओर से दिल्ली में आयोजित पूसा कृषि विज्ञान मेले (Pusa Krishi Vigyan Mela 2022) में देश भर के चुनिंदा स्टार्टअप, महिला किसानों और तकनीक के इस्तेमाल से आत्मनिर्भर बने प्रगतिशील किसानों का भी मेला लगा है। 9 मार्च को पूसा कृषि विज्ञान मेला के उदघाटन अवसर पर मुख्य मंच पर जिन प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया, उन सभी ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में अपनी एक ख़ास पहचान कायम की है।
समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ICAR के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र, IARI के उप-महानिदेशक कृषि प्रसार डॉ ए.के. सिंह, उपमहानिदेशक फसल विज्ञान डॉ. टी.आर. शर्मा, IARI के संयुक्त निदेशक (प्रसार) डॉ. बी. एस. तोमर, एपीडा के चेयरमैन डॉ. एम. अंगमुथु भी मौजूद थे। डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने पूसा कृषि विज्ञान मेला 2022 के उदघाटन समारोह की अध्यक्षता की।
‘आईएआरआई साथी किसान पुरस्कार’ से राजस्थान के गंगाराम सेपट, आंध्र प्रदेश के जगदीश रेड्डी यनमल्ला, हरियाणा के जगपाल सिंह फोगाट, मध्य प्रदेश के राव गुलाब सिंह लोधी और पंजाब के गुरमीत सिंह को सम्मानित किया गया। इनके अलावा, हरियाणा की महिला किसान पूजा शर्मा और छत्तीसगढ़ की मधुलिका रामटेके को ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से नवाज़ा गया। मुख्य मंच पर पद्मश्री किसान कंवल सिंह और सेठपाल सिंह भी मौजूद थे।
दो लाख महिला किसानों को आत्मनिर्भर बना रही हैं राजनांदगांव की मधुलिका रामटेके
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव ज़िले की मधुलिका रामटेके क़रीब 2 लाख भूमिहीन और सीमांत महिला किसानों को साथ जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हुई हैं। मधुलिका रामटेके ने किसान ऑफ़ इंडिया के साथ बातचीत में जानकारी दी कि उन्होंने मां बमलेश्वरी बैंक की स्थापना की थी, जिसने न सिर्फ़ उन्हें बल्कि बड़ी संख्या में महिला किसानों को स्वावलंबी बनाने में मदद मिली है। मधुलिका रामटेके को इसी साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया था। पूसा कृषि विज्ञान मेला में उन्हें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के हाथों नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया।
जैविक खेती की मिसाल राजस्थान के गंगाराम सेपट और पत्नी सुमन की जोड़ी
राजस्थान के जयपुर ज़िले के गंगाराम सेपट जैविक खेती के प्रयोगधर्मी किसान हैं। पिछले 8 साल से जैविक खेती के क्षेत्र में लगातार प्रयोग कर रहे गंगाराम सेपट पत्नी सुमन सेपट के साथ मिलकर काम करते हैं। गंगाराम सेपट ने सबसे पहले जीवामृत बनाकर उसका इस्तेमाल अपनी खेती में किया। इससे जो बदलाव उन्होंने देखा, उससे उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली और आज वो देश के चुनिंदा प्रगतिशील किसानों के बीच खुद को स्थापित कर चुके हैं।
ज़ीरो बजट खेती में प्रयोग ने आंध्र प्रदेश के जगदीश रेड्डी को बनाया मॉडल
पिछले कुछ समय से देश में ज़ीरो बजट कृषि की चर्चा तेज़ हुई है और किसानों में इसे लेकर धीरे-धीरे जागरुकता भी आ रही है। ज़ीरो बजट खेती के मॉडल के रूप में उभर कर सामने आए आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के किसान जगदीश रेड्डी भी पूसा कृषि विज्ञान मेला 2022 के मुख्य मंच पर मौजूद थे और पुरस्कार हासिल करने वाले प्रगतिशील किसानों में शामिल थे। जैविक खेती को आधार बनाकर आगे बढ़ रहे जगदीश रेड्डी ने किसान ऑफ़ इंडिया को बताया कि इस तरीके से खेती करने से मिट्टी के पोषक तत्वों की रक्षा, पर्यावरण सुरक्षा तो होती ही है, साथ ही कृषि उत्पादों की गुणवत्ता उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के रक्षक की भी भूमिका निभाते हैं।
पंजाब के किसान गुरमीत सिंह ने पराली से खेतों में लाई हरियाली
पराली को लेकर वर्षों से किसानों में एक भ्रम की स्थिति है। अक्सर ये देखने में आता है कि कटाई और जुताई की लागत कम करने के लिए बड़ी संख्या में किसान फसल की कटाई के बाद पराली को जला देते हैं। पराली जलाने से न सिर्फ़ भूमि की उर्वरता को नुकसान पहुंचता है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान होता है। ऐसे में पंजाब के लुधियाना के मकसूदरा गांव के किसान गुरमीत सिंह ने पराली का इस्तेमाल खेती में करने का जो कदम उठाया, उसने उन्हें जागरुक किसानों की श्रेणी में ला खड़ा किया। पिछले सात साल से गुरमीत सिंह पराली को अपने खेत की ज़मीन में मिला कर खेती की लागत घटा रहे हैं। गुरमीत सिंह के पास परिवार की 8 एकड़ ज़मीन है, जिसके साथ 20 एकड़ ज़मीन ठेके पर लेकर वो खेती करते हैं। पूसा कृषि विज्ञान मेला में सम्मानित होने के बाद किसान ऑफ इंडिया को गुरमीत सिंह ने बताया कि पराली को बिना जलाए खेत में ही मिलाने से उर्वरा शक्ति बढ़ती है और खाद का कम इस्तेमाल करना होता है। रसायन का कम इस्तेमाल करने से लागत में कमी आती है और खेती में मुनाफ़ा ज़्यादा होता है।
पूसा कृषि विज्ञान मेला 2022 में आईएआरआई साथी किसान पुरस्कार से देश के जिन चुनिंदा 5 किसानों को सम्मानित किया गया, उनमें मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ज़िले के नन्हेगांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान राव गुलाब सिंह लोधी भी शामिल हैं। राव गुलाब सिंह लोधी मुख्य रूप से दलहन की खेती करते हैं और उड़द दाल विशेषतौर पर उगाते हैं। दलहन की पारंपरिक खेती में किस तरह तकनीक का इस्तेमाल करके आत्मनिर्भर किसान बना जा सकता है, इसे लेकर राव गुलाब सिंह लोधी ने लगातार प्रयोग किए और अपने प्रयोगों की सफलता को लेकर उन्हें एक अलग पहचान भी मिली है।
हरियाणा के चंदू गांव की महिला किसान और उद्यमी पूजा शर्मा को भी पूसा कृषि विज्ञान मेला में नारी शक्ति से सम्मानित किया गया। महिला किसान पूजा शर्मा न सिर्फ़ खुद आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि स्व सहायता समूह क्षितिज की स्थापना करके दूसरी महिलाओं को भी स्वावलंबी बनाने में जुटी हैं। पूजा शर्मा ने कृषि विज्ञान केंद्र शिकोहपुर से प्रशिक्षण लिया था और समूह की बाकी सदस्यों को भी उन्होंने प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया। अब सभी मिलकर गेहूं, बाजरा और सोयाबीन से अलग-अलग खाद्य उत्पाद तैयार करती हैं, जिनकी बाज़ार में अच्छी मांग है। कुकीज़, लड्डू, रोस्टेड गेहूं जैसे 70 से ज़्यादा फूड प्रोडक्ट्स तैयार कर रहीं पूजा शर्मा महिला किसानों और एग्री स्टार्टअप के लिए आदर्श बन चुकी हैं।
समारोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने पूसा संस्थान की ओर से कृषि में तरक्की से किसानों की आय बढ़ाने में लगातार किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। केंद्रीय मंत्री ने देश भर के किसानों से नई कृषि तकनीकों, उन्नत किस्मों, वैज्ञानिक नवाचारों का ज़्यादा से ज़्यादा लाभ उठाने की अपील की। कृषि राज्यमंत्री ने केंद्र सरकार की ओर से किसान हित में उठाए जा रहे कदमों, योजनाओं की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को बीज से बाजार तक की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, जिसके साथ वैज्ञानिकों के सतत अनुसंधान और किसानों की मेहनत मिलकर भारतीय कृषि को उन्नत बना रही है।