Fig Cultivation: अंजीर की खेती में उन्नत किस्म लगाई, राजस्थान के किसानों की आमदनी बढ़ा रही ‘डायना’

अंजीर की खेती बाड़मेर में 200 हेक्टेयर रकबे में की जा रही है

अंजीर का सबसे अधिक उत्पादन मीडिल ईस्ट देशों में होता है, लेकिन अब भारत में भी अंजीर की खेती लोकप्रिय हो रही है, खासतौर पर बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाके में अंजीर की खेती किसानों के लिए मुनाफ़े का सौदा बन गई है।

राजस्थान की रेतिली मिट्टी, शुष्क जलवायु, पानी की कमी और तेज़ धूप में सामान्य फसलों की खेती मुश्किल हो जाती है, क्योंकि पौधे कठिन जलवायु को सहन नहीं कर पाते। मगर खजूर, बेर और अनार जैसी बागवानी फसलों को इन कठिन जलवायु में भी उगाया जा सकता है। इसलिए राजस्थान के कई ज़िलों में इनकी खेती भी खूब हो रही है।

बाड़मेर ज़िले के किसानों को भी कई फसलों की खेती में समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से यहां किसानों को अंजीर की खेती के लिए प्रेरित किया गया। कुछ ही साल में अंजीर से मिलने वाले मुनाफ़े ने किसानों को उम्मीद की एक किरण दिखाई।

अंजीर की खेती anjeer ki kheti fig cultivation
तस्वीर साभार: ICAR

कृषि विज्ञान केन्द्र की बताई नई तकनीक की बदौलत शुष्क व गर्म जलवायु और पानी की कमी के बावजूद यहां अंजीर की सफल खेती की जा रही है। अंजीर का पौधा 45 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकता है, इसलिए बाड़मेर में अंजीर की खेती की जा रही है, जिसमें किसानों को सफलता भी मिल रही है।

कृषि विज्ञान केन्द्र की पहल

कृषि विज्ञान केन्द्र गुड़ामालानी ने 2019-20 में अंजीर की खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया। शुरुआत में 5 हेक्टेयर में अंजीर की खेती की गई और इसके लिए रोपण सामग्री का प्रबंध भी कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से किया गया। किसानों को खेती से जुड़ी सभी ज़रूरी जानकारी और ट्रेनिंग दी गई। 3 साल के अंदर ही सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे। अंजीर की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफ़ा होने लगा। इसे देखकर इलाके के बहुत से किसान अंजीर की खेती के लिए आगे आए और धीरे-धीरे खेती का रकबा 200 हेक्टेयर पहुंच गया।

तस्वीर साभार: ICAR

नई तकनीक का फ़ायदा

बाड़मेर में अंजीर की ‘डायना’ किस्म का उत्पादन किया गया और 4*4 मीटर की दूरी पर पौधों की रोपाई की गई, ताकि वो अच्छी तरह फल-फूल सकें। चूंकि इलाके में पानी की समस्या है इसलिए कृषि विज्ञान केन्द्र ने सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक अपनाई। इससे 70 फ़ीसदी तक पानी की बचत होती है। इस विधि से पानी सीधा पौधों की जड़ों तक पहुंचता है। राजस्थान के सभी इलाकों में खेती के लिए आमतौर पर ड्रिप इरिगेशन यानी टपक सिंचाई विधि का ही इस्तेमाल होता है। इससे खेती की लागत में कमी आती है। फिलहाल राजस्थान के शिवना, सिंदरी, चौहटन, गुडामालानी, शिव और बाडमेर क्षेत्र के किसान अंजीर की खेती कर रहे हैं और इसमें उन्हें सफलता भी मिली है।

अंजीर की खेती में कितना मुनाफ़ा?

अंजीर का पौधा 3 साल बाद फल देने लगता है। एक पेड़ से 15-20 किलो तक फल प्राप्त होता है, जिसे बाज़ार में 60 से 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है। इस तरह एक पेड़ से 1500-2000 रुपये तक की कमाई होती है। एक हेक्टेयर में अंजीर की खेती से किसान 5 लाख रुपये तक का मुनाफ़ा कमा सकते हैं। अंजीर सेहत के लिहाज़ से भी बहुत फ़ायदेमंद है, इसलिए इसकी मांग भी है। इसे उगाकर किसान अपने परिवार की सेहत और आर्थिक स्थिति दोनों में सुधार कर सकते हैं।

तस्वीर साभार: ICAR

अंजीर उत्पादन मामले में विश्व में भारत 12वें स्थान पर है। देश में महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में अंजीर का उत्पादन किया जाता है। अब राजस्थान के बाड़मेर में भी अंजीर की खेती हो रही है। दरअसल, अंजीर के फ़ायदे और इससे होने वाले मुनाफ़े के बारे में बहुत से किसानों को पता ही नहीं है। इसलिए वो इस बेशकीमती फल का लाभ नहीं उठा पाते हैं। शुष्क जलवायु, तेज़ गर्म तापमान, ज़्यादा धूप और पानी की कमी वाले इलाके जहां दूसरी फसलों की खेती असंभव है, वहां के किसानों के लिए अंजीर की खेती किसी वरदान से कम नहीं है।

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