जैविक खेती में अपने नए-नए प्रयोगों के लिए पहचाने जाने वाले इस किसान ने इस बार नींबू की नई किस्म (Lemon Variety) ईज़ाद की है। खेती में नए-नए प्रयोग करना, खेती को सुगम बनाना, आमदनी में इज़ाफ़ा करना, जब किसान खुद अपने बलबूते पर खेती में कुछ नया करता है, तो वो राष्ट्रीय स्तर पर कृषि क्षेत्र के विकास में अहम योगदान देता है। एक ऐसे ही किसान हैं राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले रावलचंद पंचारिया।
करीबन चार साल प्राइवेट नौकरी, फिर अपना बिज़नेस करने वाले रावलचंद पंचारिया ने 2014 में पुश्तैनी ज़मीन पर जैविक खेती (Organic Farming) की शुरुआत की। काले गेहूं की उन्नत फसल से लेकर सफेद शकरकंद की अनोखी किस्म तैयार करने का श्रेय उन्हें जाता है। उनके प्रयोगों के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
चार से पांच साल में तैयार हुई नींबू की किस्म
रावलचंद पंचारिया ने जो नींबू की नई किस्म ईज़ाद की है, उसका नाम पतर चटा है। ये कागजी नींबू संतरे के आकार का दिखता है। इस किस्म को तैयार करने में चार से पांच साल का वक़्त लगा।
रावलचंद पंचारिया ने अपने बाग की एक बीघे की ज़मीन पर फलदार और औषधीय पौधे लगाए हुए हैं। बाग में नींबू की तीन से चार किस्में (Types of Lemons) लगी हुई हैं। इन्हीं किस्मों से एक पतर चटा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं।
कैसे तैयार किया बड़ा नींबू? (New Varieties of Lemon)
रावलचंद पंचारिया ने किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने इस किस्म को कलम विधि (Grafting Method) के ज़रिए तैयार किया।एक पौधे से 10 पौधे तैयार किए।
रावलचंद ने बताया कि पौधे की जिस शाखा पर अलग आकार के नींबू आए, उस शाखा को काटकर अलग से उसकी बुवाई की। इस तरह से एक नया पौधा तैयार किया। नए पौधे को तैयार होने में तीन साल का वक़्त लगा। फिर तीन साल बाद जब पौधा तैयार हो गया तो उसकी हर शाखा की अलग-अलग बुवाई कर 10 पौधे तैयार किए।
रावलचंद पंचारिया ने बताया कि वो नींबू की नई किस्म पर करीबन 6 साल से काम कर रहे हैं। नींबू की ये किस्म फूल आने के 90 दिन बाद तैयार हो जाती है। साल में दो बार यानी सर्दियों और गर्मियों में इसके फल आते हैं।
रावलचंद दावा करते हैं कि नींबू की नई किस्म पतर चटा, पथरी की समस्या से निज़ात देने में कारगर है। उन्होंने कहा कि लोगों ने इस किस्म को आज़माया है और इसके नतीजे सकारात्मक रहे हैं। (किसान ऑफ़ इंडिया किए गए इस दावे की वैज्ञानिक तौर पर पुष्टि नहीं करता।)
जैविक तरीके से ही तैयार करते हैं किस्म
रावलचंद कहते हैं कि शरीर को स्वस्थ रखना सबसे ज़रूरी है। शरीर तभी स्वस्थ होगा जब अनाज अच्छा होगा। इसीलिए उन्होंने शुरू से ही जैविक खेती को ही प्राथमिकता दी। वो जैविक पद्धति से ही अपने सारे प्रयोग और किस्म तैयार करते हैं। यही उनकी खासियत है।
जैविक खेती में पशुपालन को देते हैं अहमियत (Animal Husbandry Importance in Organic Farming)
उन्होंने अपने महालक्ष्मी जैविक कृषि फ़ार्म में केंचुआ खाद समेत कई जैविक उत्पादों की यूनिट्स लगा रखी हैं। वो कहते हैं कि पशुपालन के बिना जैविक खेती संभव ही नहीं है। केंचुआ खाद, गौमूत्र, नाइट्रोजन की आपूर्ति पशुपालन से ही होती है। उन्होंने अपने फ़ार्म में थारपरकर नस्ल की 8 से 10 गायें पाली हुई हैं। कई किसान उनसे जैविक खेती के गुर सीखने आते हैं। आज करीबन 500 किसान उनसे जुड़े हुए हैं।
जैविक उपज में नहीं आती बाज़ार मिलने की समस्या
रावलचंद बताते हैं कि उन्हें अपनी उपज को बेचने के लिए कभी बाज़ार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा। अनाज अच्छा होने के कारण गाँव के लोगों ने ही अच्छा भाव देना शुरू कर दिया। जोधपुर क्षेत्र के ही करीब 100 घर ऐसे हैं जो सीधा उनसे ही माल खरीदते हैं।
कई पुरस्कारों से सम्मानित
रावलचंद पंचारिया को 26 जनवरी, 2021 में शकरकंद की सफल खेती करने और श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया। कई और सम्मान पत्रों और पुरस्कारों से भी उन्हें नवाज़ा गया है।
राजस्थान सरकार की अहम बैठक का हिस्सा बने
रावलचंद पंचारिया 2022-23 से राजस्थान में अलग से पेश किए जाने वाले कृषि बजट (Rajasthan Agriculture Budget) की अहम बैठक का भी हिस्सा रहे। कृषि बजट तैयार करने की प्रक्रिया में कृषि, पशुपालन, सहकारिता आदि विभागों से प्रगतिशील किसानों को बुलाया गया था। इस बैठक में रावलचंद पंचारिया ने खेती के विकास से जुड़े अपने कई सुझाव और विचार अधिकारियों के सामने रखें।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- आशीष कुमार राय के जैविक दृष्टिकोण से रासायनिक खेती के जाल से मिली मुक्ति, खेतों में आई हरियालीआशीष कुमार राय धान, गेहूं, चना, मटर, अरहर, तिल, और अलसी जैसी विविध फसलें उगाते हैं। वो अपनी फसलों के पोषण के लिए वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद और धैचा (हरी खाद) का उपयोग करते हैं।
- बरेली के युवा किसान आयुष गंगवार बने जैविक खेती में नई सोच: सफ़लता की कहानी और जानकारीबरेली के आयुष गंगवार ने अपनी पारंपरिक खेती छोड़कर जैविक खेती की शुरुआत की। उन्होंने सरकारी योजनाओं और स्थानीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाया।
- Carrot Seeds: गाजर के साथ ही गाजर के बीज उत्पादन से होगा किसानों को डबल फ़ायदा?जसपाल हर साल गाजर की खेती करते हैं और आखिर में गाजर के बीज का उत्पादन भी कर लेते हैं जिससे लगभग 100 किलोग्राम बीज तैयार होता है।
- अक्टूबर माह में कब और कहां हो रहा है Kisan Mela और कहां मिलेगा रबी फसलों के उन्नत किस्मों का बीजदेश के अलग-अलग कृषि संस्थाओं ने अपने आस पास के कृषि मौसम के मिज़ाज को देखते हुए किसान मेले (Kisan Mela) की डेट जारी कर दी हैं। संचार के अलग अलग माध्यमों से किसानों तक किसान मेले का निमंत्रण पहुंचा रहा है, ये इसलिए भी किया जा रहा है ताकी ज्यादा से ज्यादा किसान अपने… Read more: अक्टूबर माह में कब और कहां हो रहा है Kisan Mela और कहां मिलेगा रबी फसलों के उन्नत किस्मों का बीज
- Ginger processing: अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक अपनाकर किसान कर रहे लाखों की कमाईहिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग 270 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां पर होने वाले अदरक प्रसंस्करण ने कलसी ब्लॉक दूसरे इलाकों से काफी आगे बढ़ा दिया है। जिससे यहां की अर्थव्यवस्था मज़बूत हुई है। अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी… Read more: Ginger processing: अदरक प्रसंस्करण की स्वदेशी तकनीक अपनाकर किसान कर रहे लाखों की कमाई
- जानिए कैसे बनी पप्पामल अम्मा जैविक खेती की महागुरु,109 साल की उम्र में निधनपद्मश्री से सम्मानित तमिलनाडु की किसान पप्पामल (रंगम्मल) का 109 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
- गहत की खेती: उत्तराखंड में गहत की फसल बनी ब्रांड, भारत समेत वैश्विक रूप से बढ़ी मांगभारत में एक बहुमूल्य फसल का उत्पादन होता है जो अपनी परम्परागत तरीके के लिए भी जानी जाती है। इसका नाम गहत (Horse gram Farming) है जो देव भूमि उत्तराखंड में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण फसल है। भारत में गहत की फसल का इतिहास काफी पुराना है। दुनियाभर में कुल 240 प्रजातियों में से… Read more: गहत की खेती: उत्तराखंड में गहत की फसल बनी ब्रांड, भारत समेत वैश्विक रूप से बढ़ी मांग
- मिर्च की जैविक खेती: सिक्किम के लेप्चा समुदाय ने पारंपरिक खेती से लिखी सफलता की कहानीहिमालय के दिल में बसा है सिक्किम और यहां के द्ज़ोंगू क्षेत्र के देसी लेप्चा समुदाय जो काफी लंबे वक्त से पारंपरिक जैविक खेती (Organic Farming) करता आ रहा है। ये लोग केमिकल फ्री, बारिश पर आधारित मिश्रित खेती को करते हैं जो उनकी सांस्कृतिक विरासत को गहराई से दिखाता है। लेप्चा समुदाय इस क्षेत्र… Read more: मिर्च की जैविक खेती: सिक्किम के लेप्चा समुदाय ने पारंपरिक खेती से लिखी सफलता की कहानी
- Success Story of CFLD on Oilseed: सरसों की नई किस्म से विजेंद्र सिंह खेती में लाए क्रांतिविजेंद्र सिंह का एक मामूली किसान से लेकर ज़िले में फेमस कृषि (Success Story of CFLD on Oilseed) में नयापन लाने का सफ़र किसी प्रेरणा से कम नहीं है। 1972 में फिरोजाबाद के टूंडला में टी.बी.बी सिंह इंटर कॉलेज से अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने… Read more: Success Story of CFLD on Oilseed: सरसों की नई किस्म से विजेंद्र सिंह खेती में लाए क्रांति
- गहत की खेती: उत्तराखंड की पौष्टिक दाल और इसके फ़ायदेजानें पहाड़ी इलाकों में गहत की खेती के फ़ायदे, पोषण मूल्य और इसके अनोखे गुण। गहत, एक पौष्टिक दाल है और सेहत के लिए बेहद फ़ायदेमंद होती है।
- टिड्डी प्रबंधन: सबसे खतरनाक रेगिस्तानी टिड्डियों से कैसे करें फसलों का बचाव?भारत में पाई जाने वाली रेगिस्तानी टिड्डी सबसे ज़्यादा खतरनाक होती है। इनका झुंड जब खेतों, हरे-भरे घास के मैदानों में आता है और ज़्यादा विनाशकारी रूप ले लेता है।
- रबी सीज़न 2024-25 के लिए फॉस्फेटिक और पोटैसिक उर्वरकों पर सब्सिडी, किसानों को क्या लाभ?केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रबी सत्र में ₹24,475 करोड़ की उर्वरक सब्सिडी से किसानों की लागत कम होगी और आय बढ़ेगी।
- किसानों के लिए बनी ‘पीएम-आशा’ योजना में शामिल किए गए 4 मुख्य घटक‘पीएम-आशा’ योजना से मूल्य को नियंत्रित करने में मदद मिल पाएगी। इस मद में 15वें वित्त आयोग के दौरान 2025-26 तक कुल वित्तीय व्यय 35 हजार करोड़ रुपये होगा।
- National Bamboo Mission: देश के किसानों के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन, जानिए योजना, सब्सिडी और लाभों के बारें मेंभारत सरकार के राष्ट्रीय बांस मिशन योजना (National Bamboo Mission) के अंतर्गत किसानों को बांस की खेती के लिए 50 हजार रुपये की सब्सिडी मिलती है।
- World Food India 2024: वर्ल्ड फ़ूड इंडिया 2024 का काउंटडाउन शुरू, फ़ूड इनोवेशन का ग्लोबल मंचभारत में मेगा फ़ूड इवेंट- वर्ल्ड फ़ूड इंडिया 2024 (World Food India 2024) होने जा रहा है। ये इवेंट राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 19 से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा।
- कृषि में मकड़ियों का महत्व: कीट प्रबंधन और जैविक खेती में उनका योगदानमकड़ियां कभी भी फ़सलों को नुकसान नहीं पहुंचाती है बल्कि कृषि में मकड़ियों का महत्व होता है। साथ ही मकड़ियां पर्यावरण के स्वास्थ्य के सूचक भी होती हैं।
- Uses Of Moringa In Fish Farming: मछली पालन आहार में मोरिंगा का उपयोग है फ़ायदेमंदमछली पालन आहार में मोरिंगा का उपयोग मछलियों के लिए एक तरह का सुपरफूड है। यह मछलियों को बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है।
- Milky Mushroom Farming Success Story: दूधिया मशरूम की खेती में सफलता कैसे मिली इस किसान को, पढ़िए कहानीBCT कृषि विज्ञान केंद्र, हरिपुरम के STRY Program द्वारा कालापूरेड्डी गणेश को दूधिया मशरूम की खेती को अपनी आमदनी का मुख्य तरीका बनाने का हौसला मिला।
- Maize Cultivation Methods: जानिए मक्का की खेती के तरीकेवैज्ञानिकों ने मक्का की खेती के कई नए तरीके खोजे हैं जिनसे कम मेहनत में ज़्यादा फ़सल मिल सकती है और इन नए तरीकों से किसान कम ख़र्च में ज़्यादा मक्का उगा सकते हैं।
- Integrated Aquaculture Poultry Goat Farming System: एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन प्रणाली से कमाएं मुनाफ़ाएकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन एक ऐसा तरीक़ा है जिसमें मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन और खेती करना सभी कार्य एक साथ किए जाते हैं।
- अंगूर
- अदरक
- अन्य
- अन्य
- अन्य खेती
- अन्य फल
- अन्य सब्जी
- अमरूद
- आम
- आलू
- इनोवेशन
- इवेंट
- उर्वरक
- एक्सपर्ट किसान
- एक्सपर्ट ब्लॉग
- एग्री बिजनेस
- औषधि
- करेला
- काली मिर्च
- किसान क्रेडिट कार्ड
- किसान सम्मान निधि
- कृषि उपकरण
- कृषि उपकरण न्यूज़
- कृषि उपज
- कृषि और खेती
- कृषि रोजगार एवं शिक्षा
- कृषि विश्वविद्यालय
- कृषि वैज्ञानिक
- कृषि संस्थान
- कृषि-विश्वविद्यालय
- कृषि-संस्थान
- केला
- खजूर
- गन्ना
- गेहूं
- जल कृषि
- जलवायु परिवर्तन
- ज़ीरो बजट खेती
- जैविक खेती
- जैविक/प्राकृतिक खेती
- टमाटर
- टेक्नोलॉजी
- ट्रेनिंग
- ट्रैक्टर
- डेयरी फ़ार्मिंग
- ड्रोन
- तकनीकी न्यूज़
- थ्रेशर
- दाल
- देसी गाय
- धनिया
- धान
- नारियल
- नौकरी
- न्यूज़
- पपीता
- पशुपालन
- पशुपालन और मछली पालन
- पशुपालन तकनीक
- पशुपालन न्यूज़
- पालक
- पॉवर टिलर
- पोटैटो डिगर
- प्याज
- प्राकृतिक खेती
- प्रॉडक्ट लॉन्च
- फल-फूल और सब्जी
- फलों की खेती
- फसल न्यूज़
- फसल प्रबंधन
- फसल बीमा
- फसल बीमा योजना
- फ़ूड प्रोसेसिंग
- फूलों की खेती
- बकरी पालन
- बिज़नेस न्यूज़
- बीज उत्पादन
- बुरांश
- बैंगन
- ब्रोकली
- भांग
- भिंडी
- भूमि अधिग्रहण
- मक्का
- मछली पालन
- मछली पालन तकनीक
- मंडी भाव
- मशरूम
- मसालों की खेती
- महुआ
- मिट्टी की सेहत
- मुर्गी पालन
- मूंगफली
- मोबाइल ऐप्स
- मौसम
- रजनीगंधा
- राइस प्लांटर
- राज्य
- रीपर
- रोटावेटर
- लहसुन
- लाईफस्टाइल
- लिलियम
- लोन
- वर्मीकम्पोस्ट
- विविध
- वीडियो
- सक्सेस स्टोरीज
- सफल पुरुष किसान
- सफल महिला किसान
- सब्जियों की खेती
- सब्जी/फल-फूल/औषधि
- सरकारी योजनाएं
- सरसों
- सूअर पालन
- सेब
- स्टार्टअप
- स्ट्रॉबेरी
- स्प्रेयर
- स्वास्थ्य
- हल्दी
- हेल्थ फ़ूड
- होम गार्डनिंग