कांग्रेस शासित राजस्थान में किसानों पर सरकार का कहर, बिजली बिल में की चोट

भाजपा शासित वसुन्धरा राजे की सरकार ने किसानों के बिजली बिलों में डीबीटी की व्यवस्था शुरू की थी। वर्तमान की गहलोत सरकार ने इसे पहले तो अघोषित रुप से बंद कर दिया। अब परीक्षण के नाम पर पूरी तरह से ही 'रोक' लगा दी है। ऊर्जा सचिव की अनुमति के बाद केवल बिजली कंपनियों की समन्वय समिति की मुहर लगने की औपचारिकता बाकी है।

राजस्थान electricity bill for farmers

राजस्थान राज्य के 13 लाख किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) स्कीम के रूप में मिल रही सब्सिडी राजनीति की भेंट चढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि भाजपा शासित वसुन्धरा राजे की सरकार ने किसानों के बिजली बिलों में डीबीटी की व्यवस्था शुरू की थी।

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वर्तमान की गहलोत सरकार ने इसे पहले तो अघोषित रुप से बंद कर दिया। अब परीक्षण के नाम पर पूरी तरह से ही ‘रोक’ लगा दी है। ऊर्जा सचिव की अनुमति के बाद केवल बिजली कंपनियों की समन्वय समिति की मुहर लगने की औपचारिकता बाकी है।

क्या है डीबीटी
दरअसल वसुंधरा राजे सरकार ने हर किसान उपभोक्ताओं को हर महीने बिजली बिलों में 833 रुपए की सब्सिडी देना तय किया था। इससे राजकोष पर लगभग एक हजार करोड़ रुपए का भार पड़ रहा था।

क्या है टैरिफ सब्सिडी और डीबीटी
टैरिफ सब्सिडी
वर्तमान में राजस्थान में किसानों के लिए बिजली की दर 5.55 रुपए प्रति यूनिट है। इसमें से सरकार 4.65 रुपए प्रति यूनिट सब्सिडी दे रही है। कृषि उपभोक्ता को केवल 90 पैसे प्रति यूनिट देने होते हैं। इलेक्ट्रिसिटी बिल भी इसी आधार पर भेजा जाता है।

डीबीटी
इसमें घरेलू कृषि उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 833 रुपए सब्सिडी पुनर्भरण के तौर पर दिए जाते हैं। पहले बिल का भुगतान होगा और फिर उसमें से निर्धारित सब्सिडी राशि बैंक खाते में जमा होती है। अभी तक किसानों को 688 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।

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