Live Update: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, निष्पक्ष और स्वतंत्र पैनल किसान आंदोलन का समाधान करें

किसी किसान संगठन के कोर्ट में ना आने के कारण कमेटी पर फैसला नहीं हो पाया। कोर्ट ने कहा कि वो किसानों से बात करके ही अपना फैसला सुनाएंगे। इस मामले की सुनवाई अब दूसरी बेंच करेगी।

2.45 PM : किसी किसान संगठन के कोर्ट में ना आने के कारण कमेटी पर फैसला नहीं हो पाया। कोर्ट ने कहा कि वो किसानों से बात करके ही अपना फैसला सुनाएंगे। इस मामले की सुनवाई अब दूसरी बेंच करेगी। सर्वोच्च न्यायालय में सर्दियों की छुट्टियां होने के कारण वैकेशन बेंच द्वारा मामले की सुनवाई की जाएगी।

2.10 PM : कोर्ट ने पूछा कि यदि किसान आंदोलन हिंसक रूप ले लेता है तो इसका जिम्मेदार किसे माना जाना चाहिए।

1.50 PM : सर्वोच्च न्यायालय में किसान आंदोलन के विरुद्ध आई याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष अपनी बात रख सकते हैं। किसानों को प्रदर्शन से नहीं रोका जा सकता।

1.30 PM : चीफ जस्टिस ने कहा कि हम नए कृषि कानूनों की वैधता पर फैसला नहीं करेंगे वरन देश के नागरिकों के देश में स्वतंत्रतापूर्वक कही भी भी जाने के अधिकार पर सुनवाई करेंगे।

12.30 PM : चीफ जस्टिस ने कहा कि किसानों की मांग का समाधान बातचीत के जरिए हो सकता है। धरना करने तथा दिल्ली बॉर्डर को ब्लॉक करने से राज्य के लोगों के लिए खाने-पीने की समस्या खड़ी हो सकती है।

12.00 PM : याचिकाओं पर बोलते हुए एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि किसान आंदोलन से जीवन जीने के अधिकार पर असर पड़ रहा है। दिल्ली में दूसरे राज्यों से फल-सब्जियां आती हैं। आंदोलनकालियों ने रास्ते जाम कर दिए हैं, जिससे इनके दाम बढ गए हैं। खाद्य पदार्थों की कीमत बढ़ने से दिल्ली के दो करोड़ लोग प्रभावित हो रहे हैं।

मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों के विरुद्ध चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। उल्लेखनीय है कि इस मामले में बुधवार को कोर्ट ने केन्द्र सरकार के साथ-साथ पंजाब तथा हरियाणा की सरकारों को भी नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने किसान आंदोलन के मुद्दे को सुलझाने के लिए कमेटी बनाने की बात कही थी।

किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नये कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। इन कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 शामिल हैं।

इमके अलावा किसानों की मांगों में पराली दहन से जुड़े अध्यादेश में कठोर दंड और जुर्माने के प्रावधानों को समाप्त करने और बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग भी शामिल हैं। इस मसले पर किसानों के आंदोलन को चलते हुए आज 22वां दिन हो गया है।

इस संबंध में बात करते हुए पंजाब में भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि आज (गुरुवार) किसान संगठनों के नेताओं की फिर बैठक होने जा रही है जिसमें आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सुझावों समेत आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

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