भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), मंडी ने केन्द्रीय आलू अनुसन्धान संस्थान (CPRI), शिमला के सहयोग से आलू की फसल में लगने वाले झुलसा रोग की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित तकनीक विकसित की है। इसमें आलू के पौधे की पत्तियों की तस्वीरों से रोग का पता लगाया जाता है। इस तकनीक को रिसर्च जर्नल ‘प्लांट फेनोमिक्स’ ने भी प्रकाशित किया है।
क्या है आलू का झुलसा रोग?
आलू की फसल को सबसे ज़्यादा नुकसान झुलसा रोग की वजह से ही होता है। इसका प्रकोप बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद नज़र आने लगता है। इसमें पौधे की निचली पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे उभरने लगते हैं और तेज़ी से धब्बों के आकार बढ़ने लगता है। इस रोग की वजह से पत्तियाँ सिकुड़कर झड़ने लगती हैं, तो तनों पर भूरे और काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। इस बीमारी की वजह से आलू के कन्द का विकास रुक जाता है। आलू का साइज़ छोटा रहने की वजह से कुल उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होता है।
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झुलसा की पहचान में कठिनाई
आमतौर पर आलू के झुलसा रोग की जाँच और पहचान करने के लिए कृषि विशेषज्ञों को खेतों में जाकर बारीक़ी से जाँच करनी पड़ती है। दूरदराज के इलाकों के लिए ये काम कठिन और वक़्त खपाने वाला होता है, क्योंकि इसमें बाग़वानी विशेषज्ञ की ज़रूरत होती है। लेकिन नयी तकनीक के ज़रिये सिर्फ़ पत्तों की तस्वीरों के विश्लेषण से पता लगाया जा सकता है कि फसल रोगग्रस्त है या नहीं? ताकि ज़रूरत पड़ने पर किसान कीटनाशक का इस्तेमाल करके फसल बचा सकते हैं।
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मोबाइल एप भी बन रहा है
नयी तकनीक को मोबाइल एप से जोड़कर व्यावहारिक बनाने की कोशिश भी हो रही है। ये ऐप पल भर में ही बता देगा कि आलू के पत्ते झुलसा रोग के शिकार हैं या नहीं। इस तकनीक के विकास से जुड़े IIT, मंडी के स्कूल ऑफ़ कम्प्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर श्रीकान्त श्रीनिवासन के अनुसार, ‘आलू की पत्तियों का कुम्हलाना एक सामान्य रोग है। इसे झुलसा रोग या ब्लाइट भी कहते हैं। इसकी यदि वक़्त रहते रोकथाम नहीं हो तो ये हफ़्ते भर में पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है।’