रेशम कीट पालन (Sericulture): इस महिला ने खुद के दम पर खड़ा किया व्यवसाय, जानिए कौन सी किस्म और तकनीक है बेहतर

कभी समाजसेवा के काम से जुड़ी रहीं तेलंगाना के रंगारेड्डी ज़िले की रहने वाली सुनीता ने खेती को अपनी सेवा समर्पित करने का फैसला किया। उन्होंने रेशम कीट पालन का व्यवसाय चुना। आज वो Sericulture में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर, अच्छी आमदनी अर्जित कर रही हैं।

रेशम कीट पालन sericulture

रेशम कीट पालन (Sericulture) | आपने सिल्क की साड़ियां और अन्य कपड़े तो पहने ही होंगे और यह भी जानते होंगे कि सिल्क रेशम की कीड़ों से प्राप्त होता है। इन्हीं कीड़ों का पालन करने के व्यवसाय को सेरीकल्चर कहा जाता है। सेरीकल्चर में कच्चे रेशम के उत्पादन के लिए कीड़ों को पाला जाता है। इस व्यवसाय में खाद्य पौधों की खेती भी शामिल है, क्योंकि कीड़े मुख्य रूप से पत्तियां ही खाते हैं। हमारे देश में आमतौर पर रेशम की खेती तीन प्रकार की होती है- मलबेरी (शहतूत) खेती, टसर खेती, एरी खेती। रेशम मुख्य रूप से कीड़ों के प्रोटीन से बना रेशा होता है। रेशम के कीड़ों के पालन (Sericulture) से किसान आमदनी बढ़ाकर अपने जीवनस्तर में सुधार ला सकते हैं जैसा कि तेलंगाना की महिला किसान सुनीता गुंटाकांडला ने किया।

खेती के साथ रेशम कीट पालन अपनाया

कभी समाजसेवा के काम से जुड़ी रहीं तेलंगाना के रंगारेड्डी ज़िले की रहने वाली सुनीता ने खेती को अपनी सेवा समर्पित करने का फैसला किया। उन्होंने खेती के साथ-साथ सेरीकल्चर की शुरुआत की।  एक मित्र से उन्हें सेरीकल्चर के बारे में पता चला। आज वो 20 एकड़ ज़मीन पर खेती और सेरीकल्चर दोनों करती हैं। उनके परिवार के लोग दूसरे व्यवसाय से जुड़े हैं। इसलिए सुनीता सारा काम खुद संभालती हैं। 

प्रशिक्षण के बाद शुरू किया काम

सेरीकल्चर यानी रेशम कीट पालन के व्यवसाय में सफलता के लिए आपको इसका सही तरीका और तकनीक पता होनी चाहिए, इसलिए प्रशिक्षण ज़रूरी है। सुनीता ने 10 दिन की ट्रेनिंग मैसूर में और 90 दिन की ट्रेनिंग आंध्र प्रदेश स्टेटे सेरीकल्च रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, केरीकेरा, हिंदूपुर से ली। यहां से उन्होंने रेशम कीट पालन की तकनीक सीखी। इसके बाद 8.5 एकड़ में मलबेरी की खेती की। मलबेरी के पत्तों पर रहने वाले रेशम कीट की गुणवत्ता अच्छी मानी जाती है।

रेशम कीट पालन (Sericulture): इस महिला ने खुद के दम पर खड़ा किया व्यवसाय, जानिए कौन सी किस्म और तकनीक है बेहतर
तस्वीर साभार: indiansilkyarn

रेशम कीट पालन (Sericulture): इस महिला ने खुद के दम पर खड़ा किया व्यवसाय, जानिए कौन सी किस्म और तकनीक है बेहतरतकनीक का इस्तेमाल

रेशम कीट पालन (Silkworm Rearing) की शूट पद्धति के साथ ही उन्होंने कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया। पानी और ऊर्जा की कम खपत के लिए एडवांस्ड ह्यूमिडिफायर, पावर स्प्रेयर  और सिंचाई के लिए ड्रिप तकनीक का इस्तेमाल करती हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले शहतूत के लिए उन्होंने 3’x8’ की जगह में शहतूत की खेती की हुई है। इतना ही नहीं, रेशम कीट पालन के लिए कमरे का आकार भी बड़ा है इसका साइज़ 25’ x 100’ x 18’ है, जिससे उन्हें सामान्य से अधिक कोकून प्राप्त हुए। रेशम कीट द्वारा बनाए गए धागे के जाल को कोकून कहते हैं जिससे रेशम का धागा प्राप्त होता है। सुनीता ने शहतूत की खेती (Mulberry Farming) के लिए विक्ट्री 1  किस्म को चुना।

शहतूत की विक्ट्री 1 किस्म की ख़ासियत

शहतूत की विक्ट्री 1 किस्म  V1 के रूप में भी जानी जाती है। इसकी शाखाएं खड़ी और भूरे रंग की खेती है। पत्तियां मोटी, बड़ी और अंडाकार होती हैं। पत्तियां चिकनी और चमकदार होती है। इसमें जड़ पकड़ने की उच्च क्षमता, तेजी से विकास और उच्च पैदावार जैसी कई विशेषताएं हैं। इस किस्म की प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 60 लाख टन है। 

 रेशम कीट पालन करने वाली जगह पर तापमान और हवा की अच्छी व्यवस्था होनी बेहद ज़रूरी है। सुनीता को शहतूत के पत्तों की अच्छी गुणवत्ता, नई तकनीकों का इस्तेमाल और कीट पालन की अच्छी व्यवस्था से इस व्यवसाय में सफलता मिली। आज वह रजिस्टर्ड रेशम कीट उत्पादक महिला हैं।

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तस्वीर साभार: agricoop

रेशम कीट पालन (Sericulture): इस महिला ने खुद के दम पर खड़ा किया व्यवसाय, जानिए कौन सी किस्म और तकनीक है बेहतर

रेशम कीट पालन में रखें इन बातों का ध्यान

  • अच्छी गुणवत्ता वाले रेशम के लिए कोकून को गर्म हवा में सुखाया जाना चाहिए। इससे प्यूपा मर जाता है और कोकून शैल की परतें भी आसानी से अलग हो जाती हैं।
  • कोकून स्टोरेज के लिए कमरे का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस या इससे कम होना चाहिए और कमरे के अंदर की हवा में करीब 55 फीसदी नमी होनी चाहिए, इससे कोकून पर फंगस का खतरा नहीं रहेगा।
  • कोकून छांटते समय खराब या डबल कोकून, मटमैले, पिघले, संक्रमित कोकून को अलग कर देना चाहिए।

सुनीता  के व्यवसाय से आसपास के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं। आप खेती के साथ ही इस व्यवसाय को कर अतिरकित आमदनी कर सकते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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