धान की खेती में ब्रॉडकास्टिंग विधि अपनाई, लागत को किया कम, जानिए क्या हैं फ़ायदे

रुपिरेड्डी लक्ष्मी ने 8 एकड़ में धान की खेती करती हैं। वह पारंपरिक तरीके की बजाय सीधी बुवाई तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं, जिसे ब्रॉडकास्टिंग (Broadcasting Method) भी कहा जाता है। जानिए क्या है ये तकनीक।

धान की खेती broadcasting technique

धान की परंपरागत खेती में पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। फिर 15 से 21 दिन बाद तैयार पौधों की खेतों में रोपाई की जाती है। इस तरीके में मेहनत और समय दोनों ही अधिक लगता है। जबकि आजकल किसान समय और श्रम बचाने वाली तकनीक का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लागत कम और मुनाफ़ा अधिक हो। तेलंगाना के करीमनगर ज़िले के कोंडापालकला गांव की महिला किसान रुपिरेड्डी लक्ष्मी धान की सफल खेती के लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं।  

8 एकड़ में धान की खेती

रुपिरेड्डी लक्ष्मी ने 8 एकड़ में धान की फसल लगा रखी है। वह पारंपरिक तरीके की बजाय सीधी बुवाई तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं, जिसे ब्रॉडकास्टिंग भी कहा जाता है। दरअसल, इस विधि को सीखने के लिए उन्होंने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) के तहत प्रशिक्षण लिया। 2018 में खरीफ़ के मौसम में उनकी एक एकड़ की ज़मीन में इस उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ATMA के सहयोग से उनके खेत में प्रति एकड़ धान की ‘KNM-118′ किस्म के 15 किलो बीज की सीधी बुवाई की गई।

KNM-118 की ख़ासियत

इसके पौधे की ऊंचाई 100-106 सेंटीमीटर होती है। यह किस्म रबी और खरीफ़ दोनों ही मौसम के लिए उपयुक्त है। खरीफ़ सीज़न में 120-125 दिन में और रबी सीज़न में 125-130 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है। धान की फसल में लगने वाले रोगों लीफ ब्लास्ट और नेक ब्लास्ट का असर इस किस्म पर नहीं होता।

धान की खेती broadcasting technique
सांकेतिक तस्वीर (तस्वीर साभार: riceportal)

धान की खेती में ब्रॉडकास्टिंग विधि अपनाई, लागत को किया कम, जानिए क्या हैं फ़ायदेक्या होती है ब्रॉडकास्टिंग विधि?

खेती में बीज की बुवाई कई तरीके से की जाती है, उन्हीं में से एक तरीका है ब्रॉडकास्टिंग। इसमें पहले खेत की अच्छे से जुताई कर उसकी मिट्टी को भुरभुरा बना दिया जाता है। फिर हाथों से बीजों को खेत में बिखेरा जाता है। इसके बाद हल्की जुताई कर बीजों को मिट्टी में मिलाकर पाटा चला दिया है। आमतौर पर इस विधि से गेहूं, धान, तिल, मेथी, धनिया आदि फसलों की बुवाई की जाती है। दरअसल, यह बुवाई का सबसे तेज़ और सस्ता तरीका है।

समय और श्रम की बचत

रुपिरेड्डी लक्ष्मी ने पाया कि धान की सीधी बुवाई में पौधों को नर्सरी से उखाड़कर खेतों में लगाने की प्रक्रिया खत्म हो जाती है। इस तरह से इस काम में लगने वाले समय और श्रम की भी बचत होती है। साथ ही नर्सरी पर होने वाला खर्च भी बच जाता है। सीधी बुवाई में खरपतवार की समस्या से बचाव के लिए 500 मिलीलीटर Weedicide Assert का प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करती हैं। 

समय पर बुवाई से कीटों के हमले का खतरा भी कम हो जाता है। इस विधि से बुवाई में मज़दूरी का खर्च बच जाता है क्योंकि न तो नर्सरी बनानी होती है और न ही पौधों को एक जगह से उखाड़कर दूसरी जगह लगाना होता है।

धान की खेती broadcasting technique
तस्वीर साभार: agricoop

धान की खेती में ब्रॉडकास्टिंग विधि अपनाई, लागत को किया कम, जानिए क्या हैं फ़ायदे

अच्छी और अधिक पैदावार मिली 

ब्रॉडकास्टिंग विधि से बुवाई में रुपिरेड्डी लक्ष्मी को प्रति एकड़ 29 क्विंटल फसल प्राप्त हुई। करीब 2200 रुपये प्रति क्विंटल धान बेचकर उन्हें करीबन 1,35,000 रुपये का मुनाफ़ा हुआ। वह इससे बहुत संतुष्ट हैं और आगे भी इसी विधि से फसल उगाने की तैयारी में हैं।

रुपिरेड्डी लक्ष्मी को देखकर इलाके के अन्य किसान भी ब्रॉडकास्टिंग तकनीक से धान की बुवाई के लिए प्रेरित हुए हैं। सीधी बुवाई से अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खेत की अच्छी देखभाल के साथ ही खरपतवार नियंत्रण बहुत ज़रूरी है।

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