कई सालों बाद केसर उत्पादक किसानों के चेहरों पर खिली मुस्कान, सरकार से की ये गुहार

ईरान, भारत, स्पेन और ग्रीस प्रमुख केसर उत्पादक देश हैं। भारत में केसर की खेती का क्षेत्रफल दुनिया में दूसरे नम्बर पर आता है।

केसर

कश्मीर का केसर दुनियाभर में मशहूर है। कश्मीरी केसर खुशबू और  रंग छोडऩे के मामले में अन्य जगह पैदा  होने वाले केसर से अच्छा माना जाता है। इसकी मांग अमेरिका, अरब सहित कई देशों में है। इस बार तो घाटी में केसर की अच्छी पैदावार ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी है।

खेतों में चारों तरफ केसर के फूलों की चादर बिछी हुई है। इन दिनों घाटी के केसर उत्पादक किसान फूल तोड़ने में मशरूफ़ हैं।

इस साल मौसम ने दिया किसानों का साथ

इस साल मौसम ने भी किसानों का साथ दिया। कश्मीर घाटी में हुई अच्छी बारिश और अनुकूल मौसम केसर की  बढ़िया  पैदावार का कारण बनी है। किसानों को लंबे समय के बाद केसर की अच्छी फसल मिली है।

कश्मीरी केसर

पंपोर में होती है केसर की सबसे ज़्यादा खेती

कश्मीर में करीबन 3700 हेक्टेयर के क्षेत्र में केसर की खेती होती है। पुलवामा का पंपोर क्षेत्र तो खासतौर पर केसर की खेती के लिए ही जाना जाता है।   यहां बड़ी संख्या में किसान केसर की खेती करते हैं। हालांकि, अब इसकी खेती कश्मीर के कई जिलों में भी होने लगी है।

किसानों ने की दाम में बढ़ोतरी की मांग

केसर की अच्छी पैदावार से खुश किसानों ने अब सरकार से इसके दामों में बढ़ोतरी करने की सिफ़ारिश की है। किसानों का कहना है कि वक़्त के साथ केसर की खेती में लागत बढ़ी है। खेत में केसर उगाने से लेकर उसे प्रॉसेस करने तक की प्रक्रिया महंगी हुई है। ऐसे में बाज़ार में केसर के दामों को बढ़ाने की ज़रूरत है।

कश्मीरी केसर

कई सालों बाद केसर उत्पादक किसानों के चेहरों पर खिली मुस्कान, सरकार से की ये गुहारइस तरह मौसम बना केसर के लिए वरदान

कश्मीर के किसानों को इस साल केसर की बंपर फसल मिलने की पूरी उम्मीद है। पंपोर इलाके में केसर की खेती कर रहे किसान ज़ाहिद बशीर कहते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल केसर की खेती अच्छी हुई है। मौसम बहुत अच्छा है। मिट्टी गीली थी इसलिए खेती भी अच्छे से हुई।

कश्मीर कृषि विभाग के निदेशक मोहम्मद इकबाल चौधरी ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि केसर का 500 साल पुराना इतिहास है। इस साल रबी सीजन की शुरुआत में अच्छी बारिश के कारण फसल की जड़ों को अच्छी नमी मिली, जिससे खेती में मदद मिली।

कई सालों बाद केसर उत्पादक किसानों के चेहरों पर खिली मुस्कान, सरकार से की ये गुहार
तस्वीर साभार: ANI

दो लाख रुपये प्रति किलो से ज़्यादा में बिका केसर

उन्होंने आगे कहा कि इंडिया इंटरनेशनल कश्मीर केसर ट्रेडिंग सेंटर के ज़रिए केसर किसानों को कई सुविधाएं भी दी गई हैं। सेंटर ने केसर उत्पादकों की फसल को एक लाख 75 हज़ार से लेकर 2 लाख 28 हज़ार रुपये प्रति किलो तक बेचने में मदद की।

GI टैग से फ़ायदा मिलने की उम्मीद

कश्मीर में उगाए गई केसर को GI (जियोग्रॉफिकल इंडीकेशन) टैग भी मिला है। कश्मीरी केसर को दुनियाभर पर पहचान दिलाने के मकसद से पिछले साल ही ये टैग दिया गया। GI टैग के ज़रिए किसी वस्तु को विशेष भौगोलि‍क पहचान दी जाती है। ये टैग किसी क्षेत्र की ऐसी वस्तु को दिया जाता है, जो वहां की पहचान हो।

सरकार केसर की खेती को दे रही बढ़ावा

इंडियन इंटरनेशनल कश्मीर सैफ़रॉन ट्रेडिंग सेंटर की गतिविधियों की बदौलत कश्मीरी केसर के उत्पादन में ख़ासा सुधार आया है। सरकार का कहना है कि सेंटर ने केसर उत्पादकों के लिए ई-नीलामी की सुविधा देते हुए किसानों को उनकी फसल के दुगने दाम दिलाए हैं।

नेशनल सैफ़रॉन मिशन के तहत कई तकनीकों और उन्नत बीजों के ज़रिये केसर उत्पादक किसानों की मदद भी की जा रही है। उम्दा क्वालिटी के कश्मीरी केसर की सीधे मार्केटिंग भी की जाती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगस्त 2021 में कश्मीरी केसर को नाफेड (NAFED) की सभी दुकानों पर भी उपलब्ध करवाने की घोषणा की थी। ताकि केसर उत्पादक किसानों, उपभोक्ताओं और इसके कारोबार से जुड़े राज्य के व्यापारियों को फ़ायदा मिले।

कई सालों बाद केसर उत्पादक किसानों के चेहरों पर खिली मुस्कान, सरकार से की ये गुहार

दुनिया का सबसे महंगा मसाला है केसर

केसर दुनिया का सबसे महंगा मसाला है। ये खुले बाज़ार में 200 से 250 रुपये प्रति ग्राम के भाव से बिकता है। इसका इस्तेमाल खाने-पीने की चीज़ों, मिठाईयों और दवाइयों में किया जाता है। केसर में मुख्य रूप से क्रोकिन, पिक्रोक्रोकिन और सफारी जैसे रसायन पाये जाते हैं।

केसर के उत्पादन में विश्व बाज़ार में कहा है भारत?

ईरान, भारत, स्पेन और ग्रीस प्रमुख केसर उत्पादक देश हैं। इसमें विश्व बाज़ार में ईरान के केसर की हिस्सेदारी करीब 88 फ़ीसदी है। भारत में केसर का खेती का क्षेत्रफल दुनिया में दूसरे नम्बर पर आता है, लेकिन विश्व उत्पादन में हमारी हिस्सेदारी करीब 7 प्रतिशत ही है। इस साल कश्मीर में ज़्यादा पैदावार होने से केसर की खेती में भारत के आँकड़े में आने वाले समय में सुधार होने की उम्मीद की जा सकती है।

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