Top 10 Spinach Varieties: पालक की इन 10 किस्मों की देश में होती है सबसे ज़्यादा खेती

पालक की ये किस्में देती हैं अच्छी पैदावार

सर्दी के समय पालक की बाज़ार में ज़्यादा मांग रहती है और अच्छी पैदावार मिलती है। जानिए पालक की 10 उन्नत किस्मों (10 types of spinach) के बारे में।

Spinach Varieties | देश में पालक की खेती सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में की जाती है, लेकिन अधिकतर सर्दी के समय पालक की खेती ज़्यादा होती है। सर्दी के समय बाज़ार में इसकी अच्छी मांग है, साथ ही इस समय इसको उगाना बहुत ही आसान है और पैदावार भी अच्छी मिलती है। पालक की खेती की बुवाई  मैदानी जगहों में आमतौर पर जनवरी -फरवरी, जून-जुलाई या फिर सितंबर-नवंबर में होती है, जबकि पर्वतीय इलाकों  में इसे अप्रैल से लेकर जून तक बोया जाता है।

पालक की खेती उत्तर प्रदेश, पंजाब, बंगाल, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश में ज़्यादा होती है। इसकी खेती से अधिक पैदावार के लिए अपने क्षेत्र और जलवायु की अनुसार किस्मों का चयन करना चाहिए।

Desi Palak and Vilayti Palak Spinach Varieties

अलग-अलग जगहों में देसी और विलायती, दो प्रकार का  पालक उगाया जाता है। देसी पालक की बात करें तो इसके पत्ते चिकने अंडाकार, छोटे और सीधे दिखाई देते हैं, तो वहीं विलायती पालक के पत्तों के सिरे कटे हुए हैं।  इसकी दो किस्में हैं, एक लाल सिरे वाली और दूसरी हरे सिरे वाली। इसमें हरे सिरे वाली को किसानों द्वारा ज्यादा पंसद किया जाता है, इसलिए  मैदानी क्षेत्रों में इसे ही ज़्यादा उगाया जाता है। आइये जानते हैं  पालक की उन्नत किस्मों के बारे में।

पालक की 10 उन्नत किस्में (10 types of Spinach)

1. ऑल ग्रीन– यह एक अधिक उपज देने वाली किस्म है और इसकी खेती सर्दी के मौसम में ज़्यादा की जाती है।  इस किस्म के पौधे एक समान हरे, आकार में चौड़े और मुलायम होते हैं। बुवाई से करीब 35 से 40 दिन में फ़सल तैयार होती है। लगभग 20 से 30 दिन के अन्तराल पर इसके पत्ते कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इस किस्म की 6 से 7 बार कटाई आसानी से की जा सकती है। इस किस्म से  12 से 14 टन प्रति एकड़ पैदावार मिलती है।

types of spinach पालक की किस्में Spinach Varieties

2. पंजाब ग्रीन – इस किस्म की खेती पंजाब और इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इस किस्म के पत्ते चमकीले हरे रंग के होते हैं। इस किस्म की 6 से 7 बार कटाई आसानी से की जा सकती है। ये किस्म अधिक पैदावार देने वाली किस्मों  से एक है और लगभग 14 से 16 टन प्रति एकड़ पैदावार मिलती है।

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तस्वीर साभार: flipkart

3. पूसा हरित – दूसरे इलाकों के साथ साथ, ये किस्म पहाड़ी इलाकों में भी पूरे साल उगाई जा सकती है। इसके पत्ते गहरे हरे रंग और बड़े आकार के होते हैं।  इसमें बीज बनाने वाले डंठल देर से निकलते हैं, इसलिए बुवाई के बाद कई बार अन्तराल में कटाई कर सकते हैं।

4.पूसा ज्योति– यह पालक की एक महत्वपूर्ण और सबसे ज़्यादा चलने वाली किस्म है। इसके पत्ते बेहद मुलायम और बिना रेशे वाले होते हैं। इस किस्म को अगेती और पछेती,  जब चाहें, उगाया जा सकता  है। बुवाई के करीब 45 दिन के बाद इसकी फ़सल तैयार होती है और लगभग 7 से 10 बार कटाई की जा सकती है। अधिक पैदावार वाली इस किस्म से लगभग 18 से 20 टन प्रति एकड़ उपज  मिलती है।

5. जोबनेर ग्रीन – इस किस्म के सभी पत्ते एक समान हरे रंग के, मुलायम, बड़े और मोटे आकार के होते हैं। ये  पत्ते पकने के बाद आसानी से गल जाते हैं। इसे क्षारीय भूमि (alkaline soil) में भी उगाया जा सकता है। बुवाई से करीब 40 दिन में फसल तैयार हो जाती है। इस किस्म से लगभग 10 -12 टन प्रति एकड़ तक पैदावार मिलती है।

6. अर्का अनुपमा – इस किस्म को को हाइब्रिड तरीके से तैयार किया गया है। बुवाई से करीब 40 दिन में फ़सल तैयार होती है।  इसकी  4 से 5 बार कटाई की जा सकती है। इस किस्म से  3 से 4 टन प्रति एकड़ पैदावार मिलती है।  

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पालक की कई किस्में अलग-अलग क्षेत्रों के मुताबिक भी उगाई जाती हैं।

7. हिसार सिलेक्शन 23 – ये किस्म हरियाणा और उसके आसपास के क्षेत्रों  के लिए उपयुक्त है। इस किस्म के पत्ते हरे रंग और बड़े आकार के होते हैं।ये जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में शामिल है। बुवाई के करीब 30 दिन में फ़सल तैयार होती है और 15 दिन के अंतर पर,  6 से 8 बार कटाई की जा सकती है।

8. पंजाब सिलेक्शन – इस किस्म की खेती पंजाब और इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसके पौध के तने हल्के जामुनी रंग के नजर आते हैं। इसके  पत्ते हरे रंग के, पतले और लंबे होते हैं। इसका स्वाद हल्का खट्टा होता है।

9. लॉग  स्टैंडिंग – इस किस्म के पत्ते गहरे हरे रंग के, मोटे और लंबे आकार के होते हैं। ये किस्म  उत्तर प्रदेश, बिहार एवं उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है।

10. बनर्जी जाइंट – ये किस्म ज़्यादातर बंगाल में  उगाई जाती है। इसके पत्ते काफी बड़े, मोटे तथा मुलायम होते हैं | इसके अलावा इसका तना  और जड़ें भी काफी मुलायम होती हैं।

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