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Pumpkin Varieties: कद्दू की उन्नत किस्में उगाकर किसान बढ़ा सकते हैं पैदावार, जानिए कितनी है उपज क्षमता

कद्दू को कई जगहों पर कुम्हड़ा भी कहा जाता है

सब्ज़ियों की खेती करने वाले किसान कद्दू को प्रमुखता से उगाना पसंद करते हैं, क्योंकि यह जल्दी तैयार हो जाती है, जिससे जल्दी मुनाफ़ा मिलने लगता है। जानिए कौन सी हैं कद्दू की उन्नत किस्में।

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कद्दू एक ऐसी सब्ज़ी है, जिसकी फसल न सिर्फ़ जल्दी तैयार हो जाती है, बल्कि पौष्टिकता से भी भरपूर होती है। इसकी एक ख़ासियत यह भी है कि कद्दू को कच्चा और पक्का दोनों ही तरह से खाया जाता है। इसके फूलों से सब्ज़ी और पकौड़ी जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं। कद्दू के बीजों को भी खाया जाता है। बीज में ज़िंक की भरपूर मात्रा होती है। कद्दू की सब्ज़ी बनाने के साथ ही मिठाइयां भी बनाई जाती है। इसलिए इसकी मांग भी अधिक है। सब्ज़ियों की खेती करने वाले किसान कद्दू को प्रमुखता से उगाना पसंद करते हैं, क्योंकि यह जल्दी तैयार हो जाती है, जिससे जल्दी मुनाफ़ा मिलने लगता है। कद्दू को कई जगहों पर कुम्हड़ा भी कहा जाता है। ये मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा व उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। अगर आप भी कद्दू की खेती से डबल मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं तो जानिए कद्दू की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में। 

कद्दू की उन्नत किस्में pumpkin varieties and pumpkin cultivation
तस्वीर साभार: eastwestseed

कद्दू की उन्नत किस्में

काशी हरित- इस प्रजाति के कद्दू का फल हरा, चपटा व गोल होता है। वजन करीब 3.5 किलो के आसपास होता है। एक पौधे में 4-5 फल लगते हैं। बुवाई के 50-60 दिनों के बाद कद्दू तोड़ने लायक हो जाता है। इसका  प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन करीब 400 क्विंटल है।

कद्दू की उन्नत किस्में pumpkin varieties and pumpkin cultivation
तस्वीर साभार: ICAR-IIVR

पूसा विश्वास- यह किस्म मुख्य रूप से उत्तरी राज्यों में अधिक उगाई जाती है। एक कद्दू करीब 5 किलो का होता है। इसका फल हरा होता है, जिसपर सफेद रंग के धब्बे बने होते है। बुवाई के लगभग 120 दिन बाद कद्दू तोड़ा जा सकता है। इसकी उपज क्षमता भी 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

कद्दू की उन्नत किस्में pumpkin varieties and pumpkin cultivation
तस्वीर साभार: friendsofbib

 

नरेंद्र आभूषण- कद्दू की इस प्रजाति के फल गोल, गहरे हरे रंग का व धब्बेदार होते हैं। यह मध्यम आकार का होता है और पकने के बाद कद्दू नारंगी रंग का हो जाता है। इसकी बुवाई आमतौर पर मध्य जनवरी से मध्य मार्च के बीच की जाती है। इसका औसतन उत्पादन 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

कद्दू की उन्नत किस्में pumpkin varieties and pumpkin cultivation
तस्वीर साभार: plantorium

 

काशी उज्जवल- कद्दू की यह प्रजाति उत्तर और दक्षिण भारत में उगाई जाती है। इसका एक फल लगभग 10-15 किलो का होता है। एक पौधे में 4-5 फल लगते हैं। कद्दू की यह वैरायटी 180 दिनों मं तैयार होती है और उपज क्षमता भी अधिक है। प्रति हेक्टेयर करीब 550 क्विंटल की पैदावार होती है।

कद्दू की उन्नत किस्में pumpkin varieties and pumpkin cultivation
तस्वीर साभार: ICAR

डी.ए.जी.एच. 16- कद्दू की इस किस्म में भी बहुत बड़े फल लगते हैं। एक कद्दू करीब 12 किलो तक का होता है। इसे तैयार होने में 110 दिन का समय लगता है। इसके फल हरे और सफेद रंग के होते है। प्रति हेक्टेयर उपज क्षमता 450-500 क्विंटल है।

काशी धवन- यह किस्म ख़ासतौर पर पहाड़ी इलाकों में उगाई जाती है। बुवाई के 90 दिन बाद कद्दू की पैदावार होने लगती है। इसके एक फल का वजन लगभग 12 किलो होता है। प्रति हेक्टेयर उपज क्षमता 600 क्विंटल है।

कद्दू की खेती

कद्दू की खेती गर्म जलवायु में की जाती है। इसकी अच्छी फसल के लिए 18-30 डिग्री सेंटीग्रेट का तापमान होना चाहिए। जिन जगहों पर ठंड अधिक होती है और पाला गिरता है, वहां कद्दू की खेती नहीं की जा सकती। इसकी अच्छी उपज के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है और मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.8 तक होना चाहिए। कद्दू की बुवाई क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग समय पर की जाती है। मैदानी इलाकों में इसे साल में दो बार लगाया जाता है। पहली बुवाई फरवरी से मार्च और दूसरी जून से जुलाई के बीच की जाती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च-अप्रैल में की जाती है। अच्छी फसल के लिए समय-समय पर खरपतवार निकालना और कीटों से बचाव ज़रूरी है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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