Union Budget 2022: किसानों को बजट 2022 में क्या मिला? जानिए सरकार के बड़े एलान

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में Union Budget 2022 पेश किया। इस बजट में किसानों को लेकर क्या मुख्य घोषणाएं हुई, आइए आपको बताते हैं। 

बजट 2022 में किसानों के लिए क्या-क्या खास है?

1 फरवरी, 2022 यानी आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2022 (Union Budget 2022) पेश किया गया है। इस बार फिर यह बजट पूरी तरह से पेपरलेस और डिजिटल रहा। सरकार के इस बजट से किसानों ने कई उम्मीदें लगा रखी थीं। लोकसभा में बजट के ऊपर भाषण की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की विकास दर 9.27 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इस लेख में आप जानेंगे कि किसानों के लिए केंद्रीय बजट में कौन-कौनसी महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं।

बजट 2022 में किसानों के लिए क्या-क्या ख़ास है?

  • साल 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है।
  • वित्त मंत्री ने बताया कि 2021-22 में रबी और खरीफ़ सीज़न में गेहूँ और धान की MSP पर हुई कुल खरीद में से करीब 2.37 लाख करोड़ रुपये यानी करीब 95% रक़म का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में किया गया। इसका सम्बन्ध क़रीब 1.63 लाख किसानों से खरीदे गये 1208 लाख टन गेहूँ और धान की कीमत से है। बता दें कि खरीफ़ सीज़न 2020-21 और रबी सीज़न 2021-22 के तहत 20 जुलाई 2021 तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कुल 1302.61 टन गेहूँ और धान की खरीदारी हुई। इसकी कुल MSP 2,49,702.65 करोड़ रुपये है। केन्द्र सरकार ने पिछले साल से MSP की रकम सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजने की नीति को लागू किया है। पहले ये रक़म उन्हें कृषि उपज मंडियों में अढ़तियों के ज़रिये मिलती थी।

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  • प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पहले चरण में गंगा नदी के किनारे 5 किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर पर काम होगा। इसके साथ ही ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती, जैविक खेती और आधुनिक कृषि की जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को संशोधित करने का काम भी किया जाएगा।

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  • 44,605 करोड़ रुपये के पांच नदियों के लिंक्स वाला केन-बेतवा का कार्य किसानों और स्थानीय आबादी को सिंचाई, खेती और आजीविका की सुविधा प्रदान करेगा। इससे 9 लाख हेक्टेयर से अधिक किसानों को सिंचाई में मदद मिलेगी।
  • किसानों को डिजिटल और हाईटेक बनाने के लिए PPP (Public-Private Partnership) मोड में नई योजनाएं शुरू की जाएंगी। इसमें पब्लिक सेक्टर रिसर्च से जुड़े किसानों को भी फ़ायदा होगा।

  • तिलहनों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक व्यापक योजना चलाने का काम किया जाएगा। इससे तिलहन की फसलों के आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।

  • खेती में ड्रोन का उपयोग फसल आकलन, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव करने के लिए किया जाएगा।
  • नाबार्ड (NABARD) के माध्यम से किसानों के लिए फंड की सुविधा दी जाएगी। नाबार्ड और एफपीओ के माध्यम से एग्री-स्टार्टअप, ग्रामीण उद्यमों और कृषि से संबंधित संस्थाओं सहायता प्रदान की जाएगी। एग्री-स्टार्टअप द्वारा किसानों को तकनीकी सहायता भी दी जाएगी।

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