गाय के गोबर से ईको-फ़्रेंडली दीये तैयार कर रहीं ये महिलाएं, खेतों में भी हो सकता इस्तेमाल

खेती-किसानी में महिलाओं को सशक्त करने के मकसद से देहरादून स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल का उपयोग कर महिलाओं की आय को बढ़ाने की दिशा काम किया है। ये महिलाएं गाय के गोबर से दीये तैयार करती हैं।

गाय के गोबर से दीये cowdung diyas

जब भी अंग्रेज़ी टर्म वर्किंग वूमेन का ज़िक्र होता है तो दिमाग में बैग लिए ऑफ़िस जाती एक महिला किरदार सामने आती है, लेकिन महिलाओं की एक बड़ी आबादी खेती-किसानी से जुड़ी हुई है। ये महिला किसान अपना घर चलाने के साथ-साथ दूसरों के घरों की रोटी का भी बंदोबस्त करती हैं। महिला किसान भारत के कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों की रीढ़ हैं। अंतर्राष्ट्रीय मानवीय समूह OXFAM के अनुसार, भारतीय खेतों पर पूरा दिन जो काम करते हैं, उनमें से 75 प्रतिशत सिर्फ़ महिलाएं ही हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, महिला किसान दक्षिण एशियाई देश के भोजन का 60 से 80 प्रतिशत उत्पादन करती हैं।

ऐसे में खेती-किसानी में महिलाओं को सशक्त करने के मकसद से देहरादून स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल का उपयोग कर महिलाओं की आय को बढ़ाने की दिशा काम किया है। 50 स्थानीय महिला किसानों को जड़ी-बूटियों के साथ गाय के गोबर का उपयोग करके दीयों के निर्माण की ट्रेनिंग दी। आज ये महिलाएं ईको फ़्रेंडली दीये बना आय अर्जित कर रही हैं।

गाय के गोबर से दीये cowdung diyas

गाय के गोबर से तैयार किए ईको फ्रेंडली दीये

इन हर्बल दीयों को बनाने के लिए सबसे पहले गोबर को धूप में सुखाया जाता है, जिसमें थोड़ी सी महीन मिट्टी मिलाई जाती है। दीयों में सुगंध लाने के लिए नीम, लैंटाना, लेमन घास और तुलसी के पत्तों के साथ-साथ स्थानीय रूप से उपलब्ध अन्य पत्तियों को सुखाकर बारीक पीस लिया जाता है। फिर इन सबको आटे की तरह गूंद लिया जाता है और फिर लोई बनाकर दीयों का आकार दिया जाता है। इस तरह से गाय के गोबर से दीये तैयार किए जाते हैं।

गाय के गोबर से दीये cowdung diyas

गाय के गोबर से ईको-फ़्रेंडली दीये तैयार कर रहीं ये महिलाएं, खेतों में भी हो सकता इस्तेमाल

खेतों में भी हो सकता गाय के गोबर से बने दीयों का इस्तेमाल

पूरी तरह से ऑर्गैनिक चीज़ों से तैयार इन हर्बल दीयों को मिट्टी के दीयों की तुलना में अधिक पसंद किया जा रहा है। इसके बचे अवशेषों को हर्बल राख के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं हानिकारक कीड़ों को मारने के लिए पौधों पर छिड़काव के रूप में भी इसका इस्तेमाल हो सकता है। यही नहीं, इस्तेमाल किए जाने के बाद ये दीये कुछ दिनों बाद खाद में तब्दील हो जाते हैं।

दीये बने आय का स्रोत 

ऐसे ही ये स्थानीय महिलाएं 50,000 से अधिक दीये तैयार कर 70 हज़ार से अधिक की कमाई कर लेती हैं। यही नहीं, ऐसी ही एक महिला किसान गीता भट्ट के सजावटी दीयों ने उत्तराखंड में आयोजित कुंभ मेले में अपना समां बिखेरा। आज यहां की करीबन 100 से ज़्यादा महिलाएं इन दीयों को तैयार कर रही हैं और आय अर्जित कर रही हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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