हाल के वर्षों में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कश्मीरी अखरोट की मांग बढ़ी है। कश्मीर कभी दुनिया में अखरोट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक था, जबकि आज ये शीर्ष दस में भी नहीं है। कश्मीरी नट्स उद्योग जिन समस्याओं का सामना कर रहा है, वे हैं परिवहन, बिजली आपूर्ति और पैकिंग सुविधाओं जैसे बुनियादी ढांचे की कमी और नट्स के लिए बाजारों की अनुपस्थिति।
कश्मीर में 90% अखरोट उत्पादन
इसकी बेहतर गुणवत्ता और स्वाद के साथ, कश्मीरी नट्स पोषक तत्वों का एक बड़ा स्रोत हैं और इसलिए पूरी दुनिया में इसकी मांग है। इस उत्पाद के लिए स्थानीय और वैश्विक बाजारों में अपनी जगह बनाने की अपार संभावनाएं हैं।
जम्मू-कश्मीर में अखरोट की खेती फ़िलहाल 89,339 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। भारत हर साल प्रमुख घाटियों में लगभग 35,000-40,000 टन अखरोट उत्पादन करता है। कारोबारियों के मुताबिक भारत ने पिछले साल 22,000 टन अखरोट आयात किया था।
फसल में मंदी का असर अखरोट के निर्यात पर पड़ सकता है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के अनुसार, 2018-2019 में, भारत ने 66.7 करोड़ रुपये का 1,874.87 टन निर्यात किया। मुख्य आयातक जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड और फ्रांस थे।
कश्मीर में अखरोट का उत्पादन कैसे होता है ?
कश्मीर में अखरोट के पेड़ मुख्य रूप से पौध द्वारा लगाए जाते हैं। इन्हें अपनी पहली फसल पैदा करने में लगभग 13 साल लगते हैं। हालांकि, एक बार अखरोट का पेड़ लग जाए तो लगभग 100 वर्षों तक 120 किलोग्राम तक नट्स का उत्पादन कर सकता है। कश्मीर में, अखरोट के पेड़ वसंत के मौसम की शुरुआत में मार्च से अप्रैल के महीने में खिलने लगते हैं। इसके तुरंत बाद फल लगना शुरू होता है और उसके बाद अखरोट का शेल सख्त होता है, जिसमें आमतौर पर सबसे ज़्यादा समय लगता है। कश्मीर घाटी में मुख्य रूप से तीन तरह के अखरोट उगाए जाते हैं।
वॉन्थ: इस प्रकार का अखरोट कठोर होता है और आसानी से नहीं फटता है। इसमें एक मोटा और बड़ा बाहरी आवरण और एक छोटा केंद्रक होता है। इस प्रकार का कश्मीरी अखरोट स्थानीय रूप से बेचा जाता है और मुख्य रूप से तेल निकालने के लिए उपयोग किया जाता है।
काग़ज़ी: अखरोट की ये किस्म आकार में अपेक्षाकृत बड़ी होती है। इसका बाहरी खोल पतला होता है। अखरोट का केंद्रक बड़ा और सफेद रंग का होता है। काग़ज़ी के नट को हाथों से तोड़ा जा सकता है।
बुर्जुल: ये कश्मीरी अखरोट आकार में मध्यम होता है। इसमें एक गहरा और मोटा बाहरी आवरण होता है। गुठली बहुत स्वादिष्ट होती है और पूरी तरह से सफेद नहीं होती है। नट्स को काफी आसानी से तोड़ा जा सकता है।
कश्मीर में, कुपवाड़ा, शोपियां, बारामूला, बडगाम, श्रीनगर, अनंतनाग और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में नट उगाए जाते हैं।
अखरोट उत्पादन में चुनौतियां
विदेशी कृषि विज्ञान, यूएसडीए के अनुसार, 2018-19 के दौरान, भारत ने 267.86 करोड़ रुपये मूल्य के 13,640.49 मीट्रिक टन अखरोट आयात किया। आयात अगले साल, 2019-20 में तेजी से बढ़कर 21,305.23 मीट्रिक टन पहुँच गया जिसकी क़ीमत 494.93 करोड़ रुपये थी। पिछले साल, 667.16 करोड़ रुपये की लागत से आयात लगभग दोगुना होकर 35,021.54 मीट्रिक टन हो गया। 2030 तक, घरेलू और निर्यात मांग को पूरा करने के लिए, हमें 1.66 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग 3 टन/हेक्टेयर अखरोट की औसत उत्पादकता के साथ 4.98 लाख टन का उत्पादन करने की ज़रूरत है।
अखरोट उत्पादन का भविष्य
जम्मू और कश्मीर में सेब के पेड़ की तरह नियमित बाग स्थापित करके, अच्छी गुणवत्ता वाले रोग मुक्त पौधे लगाए जाएं, नर्सरी और अच्छी क़िस्म के पौधों वाला बाग तैयार किया जाए तो अखरोट के पेड़ों के क्षेत्र का विस्तार किया जा सकेगा।
बागवानों और व्यापार प्रतिनिधियों ने सिफारिश की है कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बैठकों से इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। इसके लिए कारीगरों और हथकरघा उद्योग की मदद ली जा सकती है। हर ज़िले के उत्पादों के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म तैयार करने में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का समर्थन होगा।
ये भी पढ़ें: Almond Farming: कैसे तैयार किया जाता है हाई डेंसिटी बादाम? कश्मीर के बादाम किसानों को मिलेगी राहत
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- Modern Farming Methods: खेती की आधुनिक तकनीकें जिसे अपनाकर किसान कर सकते हैं सफ़ल खेतीआज के इस मॉर्डन युग में तकनीक का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ा है, ऐसे में भला कृषि कैसे इससे पीछे रह सकती है। आधुनिक तकनीकों से लेकर उपकरणों तक के इस्तेमाल ने किसानों के लिए खेती को न सिर्फ आसान बना दिया है, बल्कि इसे अधिक मुनाफे का सौदा बना दिया है।
- Rice Bran Oil vs Sunflower Oil: जानिए राइस ब्रान ऑयल-सनफ्लॉवर ऑयल में अंतर और ख़ूबियों के साथ इसका बाज़ारराइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार नेफेड के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल को ई-लॉन्च किया है।राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हो रही है।वहीं साल 2024-2032 के दौरान इंडियन सनफ्लावर ऑयल मार्केट 7 फीसदी की CAGR प्रदर्शित करेगा।
- Lemongrass: जानिए लेमनग्रास की खेती में जुड़ी अहम बातें प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज लवानिया से, उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तकबुंदेलखंड जैसे इलाके में जहां पानी की समस्या है और बड़ी मात्रा में ज़मीन बंजर पड़ी रहती है, लेमनग्रास की खेती यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसकी खेती कम पानी में भी आसानी से की जा सकती है।
- Eucalyptus Farming: सफेदा की क्लोनल किस्मों से किसान कर सकते हैं बढ़िया कमाई, जानिए खेती की तकनीकसफेदा की खेती लकड़ी के लिए की जाती है। इसकी लकड़ी का उपयोग बड़े सामान की लदाई करने वाली पेटियां बनाने के साथ ही ईंधन, फर्नीचर, हार्डबोर्ड और पार्टिकल बोर्ड बनाने में किया जाता है। इसकी मांग हमेशा ही रहती है।
- कैसे औषधीय पौधों की खेती पर किसानों की मदद करता है ये कृषि विश्वविद्यालय, प्रोफ़ेसर विनोद कुमार से बातचीतबुंदेलखंड के किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित करने के मकसद से झांसी के रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का उद्यान बनाया गया है।
- Aeroponic Technique से बंद कमरे में केसर की खेती, हिमाचल के गौरव ने इंटरनेट से सीख कर शुरू किया केसर उत्पादनगौरव Aeroponic Technique से केसर की खेती करते हैं। इस तकनीक में बंद कमरे में केसर को उगाते हैं। बंद कमरे में कश्मीर के वातावरण को बनाने की कोशिश करते हैं। ये तकनीक मिट्टी रहित होती है।
- Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी की सेहत अच्छी रहेगी, तभी तो अधिक उपज प्राप्त होगी। रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति लगातार घट रही है, ऐसे में इसकी सेहत बनाए रखने के लिए मृदा प्रबंधन बहुत ज़रूरी… Read more: Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?
- Crop Rotation Strategies: खेती में फसल चक्र की कितनी अहम भूमिका? डॉ. राजीव कुमार सिंह ने दिया IFS Model का उदाहरणखेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसकी कुछ बुनियादी नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे कि फसल चक्र। ये मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है, मगर बहुत से किसान इस नियम को भूलकर लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- क्या हैं Urban Farming Trends? कैसे शहरी खेती बन रही कमाई का ज़रिया?जब शहरों में लोग अपने शौक से थोड़ा आगे बढ़कर घर की छत, बालकनी, कम्यूनिटी गार्डन और घर के नीचे की जगह या घर के अंदर की खाली जगह में वर्टिकल गार्डन बनाकर खेती करने लगते हैं, तो इसे ही शहरी खेती कहा जाता है।
- Integrated Pest Management: क्यों एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM तकनीक) फसलों के लिए है ज़रूरी? जानिए विशेषज्ञ सेखेती की लागत को कम करने और इसे ज़्यादा लाभदायक बनाने के लिए प्रमाणित व उपचारित बीजों का इस्तेमाल, सही मात्रा में उर्वरकों के उपयोग और सिंचाई की उचित व्यवस्था के साथ ही एकीकृत कीट प्रबंधन यानि Integrated Pest Management भी ज़रूरी है।
- Agriculture Equipment : Bed Maker Machine किसानों के लिए है कितनी उपयोगी और मिलेगी कितनी Subsidy?मल्टी पर्पस Bed Maker Machine किसानों के समय की बचत करने के साथ-साथ उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद करती है।
- Fish Farming Business: मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम जानकारी, जानिए क्या है विशेषज्ञों और अनुभवी मछली पालकों की राय?मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। जानिए मछली पालन से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में।
- Ragi Crop: रागी की फसल से क्या-क्या तैयार किया जा सकता है? रागी की खेती से जुड़ी अहम जानकारीरागी की फसल (Ragi Crop) मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज़्यादा खेती होती है। केरल, कर्नाटक राज्यों में इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है।
- Sindoor Plant: सिंदूर की खेती कैसे होती है? सिंदूर के पौधे से क्या-क्या बनता है और कहां से लें ट्रेनिंग?आपने अभी तक कई चीज़ों की खेती के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी सिंदूर की खेती के बारे में सुना है? कम ही लोग जानते हैं कि सिंदूर का पौधा भी होता है, जिससे ऑर्गेनिक लाल रंग का सिंदूर बनता है। साथ ही और कई उत्पाद बनाए जाते हैं। जानिए सिंदूर का पौधा कैसे उगाया जाता है और सिंदूर की खेती से जुड़ी अहम जानकारियां सीधा एक्सपर्ट से।
- Agriculture Drone क्या है? कृषि ड्रोन में सब्सिडी के लिए कौन सी योजनाएं चलाई जा रही हैं?Agriculture Drone की खरीद के लिए महिला समूह को ड्रोन की कीमत का 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपये तक की मदद दी जा रही है। योजना के तहत SC-ST, छोटे व सीमांत, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को ड्रोन का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5 लाख रुपये अनुदान दिया जा रहा है।
- कैसे महुआ के उत्पाद बनाकर महिलाओं के इस समूह ने कमाल किया है? Bastar Foods आज बना ब्रांडमहुआ एक तरह का फूल है जिसमें बहुत ही तेज़ महक होती है, आमतौर पर इसे शराब बनाने के लिए जाना जाता है, लेकिन अब इससे कई तरह की स्वादिष्ट और हेल्दी चीज़ें बनाई जा रही हैं। जानिए कैसे महुआ के उत्पाद (Mahua Products) बनाकर बस्तर की गुलेश्वरी ठाकुर और उनकी टीम ने इससे लाखों का बिज़नेस खड़ा कर दिया है।
- अगरवुड पेड़ की खेती (Agarwood Farming): सोने-हीरे से भी ज़्यादा महंगी अगरवुड की लकड़ी!अगरवुड पेड़ की खेती में एक एकड़ में 400 से 450 पौधे लग सकते हैं। 12 फ़ीट चौड़ाई और 10 फ़ीट लंबाई की दूरी पर पौधे को रोपना चाहिए। अगरवुड प्लांट की कीमत 200 रुपए होती है।
- Rose Varieties: छत पर उगा दी गुलाब की 150 किस्में, जानिए Terrace Gardening की टिप्स अनिल शर्मा सेफूलों की सुंदरता भला किसे आकर्षित नहीं करती, मगर हर कोई इसे घर में उगा नहीं पाता है। क्योंकि इसमें मेहनत लगती है, मगर झांसी के अनिल शर्मा ने अपने शौक को पूरा करने के लिए एक दो नहीं, बल्कि छत पर 700 गमले लगाए हुए हैं। जानिए उनसे गुलाब की किस्मों से लेकर Terrace Gardening के टिप्स।
- Hybrid Tomato Varieties In India: हाइब्रिड टमाटर की इन 10 उन्नत किस्मों की खेती कितनी फ़ायदेमंद?भारत में उच्च उपज वाली टमाटर की किस्मों (High Yield Tomato Varieties In India) की खेती से किसान अच्छा लाभ ले सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों की ओर से ऐसी कई किस्में तैयार की गई हैं। पढ़िए ऐसी ही किस्मों में से उन 10 हाइब्रिड टमाटर की किस्मों के बारे में जो टमाटर की अच्छी उपज देने के लिए जानी जाती है।
- Krishi Vigyan Kendra: किस मकसद के साथ शुरू हुए कृषि विज्ञान केन्द्र? देश भर में मनाई गई स्वर्ण जयंतीकृषि विज्ञान केन्द्र (Krishi Vigyan Kendra, KVK) भारत में कृषि और कृषि से जुड़े अन्य आयामों के टेक्नोलॉजी विस्तार का एक केन्द्र है। जहां पर किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीकों से लेकर किस्मों की ट्रेनिंग या फ़ार्म विज़िट के माध्यम से नई-नई जानकारियां दी जाती हैं।