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भारत में जून-जुलाई का समय खरीफ़ फसलों की बुआई का प्रमुख मौसम होता है। इस समय मानसून की शुरुआत हो जाती है और किसान खेत की तैयारी से लेकर बुआई और पहली सिंचाई तक के काम में जुट जाते हैं। इस दौरान समय और मेहनत की बचत के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग न केवल कार्यों को आसान बनाता है, बल्कि उपज की गुणवत्ता और मात्रा भी बढ़ाता है। आइए जानते हैं, इस समय खेतों में उपयोग होने वाले प्रमुख कृषि यंत्रों के बारे में:
जून-जुलाई में खेतों के 8 सुपर कृषि यंत्र
ट्रैक्टर (Tractor)
ट्रैक्टर आधुनिक खेती की रीढ़ बन चुका है। जून-जुलाई में खेतों की जुताई, रोटावेशन, बुआई, ट्रॉली के माध्यम से खाद या बीज ढोने जैसे कई कामों में ट्रैक्टर का उपयोग होता है।
मुख्य उपयोग:
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जुताई, मिट्टी पलटना
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कृषि उपकरणों को खींचना (जैसे रोटावेटर, कल्टीवेटर)
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बीज या खाद का परिवहन
रोटावेटर (Rotavator)
रोटावेटर एक आधुनिक यंत्र है जो मिट्टी को बारीक और समतल बनाता है। मानसून के दौरान ये उपकरण बहुत उपयोगी होता है क्योंकि ये कम समय में खेत को बुवाई के लिए तैयार करता है।
मुख्य लाभ:
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समय और श्रम की बचत
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खरपतवार की सफ़ाई
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मिट्टी को मुलायम और समान बनाना
सीड ड्रिल या बुआई मशीन (Seed Drill/Sowing Machine)
जून-जुलाई में धान, मक्का, सोयाबीन, बाजरा जैसी खरीफ़ फसलों की बुआई की जाती है। ऐसी स्थिति में बीज ड्रिल या स्वचालित बुआई मशीन का उपयोग सटीक और गहराई में बीज डालने के लिए किया जाता है।
मुख्य लाभ:
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एकसमान दूरी पर बीज की बुआई
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बीज की बर्बादी नहीं होती
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श्रम और समय दोनों की बचत
कल्टीवेटर (Cultivator)
खेत को जुताई के बाद तैयार करने और खरपतवार हटाने के लिए कल्टीवेटर का उपयोग किया जाता है। ये मिट्टी को भुरभुरा बनाता है जिससे बीज अंकुरण अच्छा होता है।
लेवलर (Leveller)
खेत को समतल करने के लिए लेवलर का उपयोग होता है। समतल खेत में पानी की समानता बनी रहती है। बुआई और सिंचाई दोनों प्रभावी होती हैं।
पावर स्प्रेयर (Power Sprayer)
बुआई के बाद फसल में कीटनाशक, खरपतवारनाशी या पोषक तत्वों का छिड़काव करने के लिए पावर स्प्रेयर ज़रूरी है। जून-जुलाई में खरपतवार और कीटों की समस्या बढ़ जाती है, इसलिए ये यंत्र उपयोगी होता है।
थ्रेशर (Thresher) (कुछ क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुसार)
जिन क्षेत्रों में जल्दी पकने वाली फसलें बोई जाती हैं, वहां जून-जुलाई में थ्रेशर की तैयारी शुरू हो जाती है। ये यंत्र कटाई के बाद दानों को फसल से अलग करता है।
पंपसेट/सोलर पंप (Pumpset/Solar Pump)
अगर मानसून में वर्षा पर्याप्त नहीं हो तो खेत की सिंचाई के लिए पंपसेट या सोलर पंप का उपयोग किया जाता है। सोलर पंप विशेष रूप से बिजली की समस्या वाले क्षेत्रों में लाभकारी है।
कृषि यंत्रों पर सब्सिडी
जून-जुलाई का मौसम कृषि के लिहाज से अत्यंत व्यस्त होता है, ऐसे में आधुनिक कृषि यंत्र किसानों की मेहनत को कम करने और उत्पादन को बढ़ाने में सहायक साबित होते हैं। सरकार द्वारा कई कृषि यंत्रों पर सब्सिडी भी दी जाती है, जिससे किसान इन्हें किफ़ायती दरों पर ले सकते हैं। सही समय पर सही यंत्रों का उपयोग कर किसान अपनी फसलों की गुणवत्ता और पैदावार दोनों में सुधार कर सकते हैं।
कृषि यंत्रीकरण योजना (Sub-Mission on Agricultural Mechanization – SMAM)
उद्देश्य:
- कृषि कार्यों में मशीनीकरण को बढ़ावा देना
- सभी प्रकार के यंत्रों पर आर्थिक सहायता प्रदान करना
मुख्य लाभ:
- ट्रैक्टर, बुआई मशीन, थ्रेशर, लेवलर, पंपसेट आदि पर सब्सिडी
- उत्तर-पूर्व राज्यों और महिलाओं को विशेष छूट
आवेदन प्रक्रिया:
- agrimachinery.nic.in पोर्टल पर पंजीकरण
- सब्सिडी पाने के लिए किसान को यंत्र खरीदने से पहले आवेदन करना ज़रूरी होता है
राज्य कृषि विभाग की योजनाएं
हर राज्य की सरकार भी कृषि यंत्रों पर अतिरिक्त सब्सिडी देती है। उदाहरण के लिए:
उत्तर प्रदेश:
- ट्रैक्टर पर 50% तक या ₹75,000 तक की सब्सिडी
- रोटावेटर, स्प्रेयर, सीड ड्रिल आदि पर 40-50% सब्सिडी
मध्य प्रदेश:
- e-Krishi Yantra अनुदान योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन
- महिला किसानों को अलग से प्राथमिकता
राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब आदि राज्यों में भी विशेष योजनाएं उपलब्ध हैं
कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के लिए ज़रूरी दस्तावेज
- आधार कार्ड
- खसरा-खतौनी (भूमि दस्तावेज)
- पासबुक या बैंक खाता विवरण
- मोबाइल नंबर
- फोटो
- जाति प्रमाण पत्र (अगर लागू हो)
कृषि यंत्रों के उपयोग के लाभ
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समय की बचत:
कृषि यंत्रों की मदद से बुआई और खरपतवार नियंत्रण समय पर हो पाता है, जो मानसून के मौसम में अत्यंत आवश्यक होता है। -
श्रम की कमी की भरपाई:
मशीनीकरण से खेतों में मानव श्रम पर निर्भरता कम हो जाती है, खासकर जब कृषि कार्य अपने चरम पर होते हैं। -
उत्पादन में वृद्धि:
बेहतर भूमि तैयारी, सटीक बीज रोपण और पोषक तत्वों के सही छिड़काव से फसल की सेहत बेहतर होती है और उपज बढ़ती है। -
लागत की प्रभावशीलता:
शुरूआत में यंत्रों की कीमत अधिक हो सकती है, लेकिन लंबे समय में इनसे इनपुट लागत में कमी और अधिक उत्पादन से निवेश की भरपाई हो जाती है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।