थ्रेशर (Thresher Machine): जानिए कैसे करें फसल की कटाई के लिए सही थ्रेशर का चुनाव

थ्रेशर आमतौर पर अनाज को काटता है और दानों को भूसी से अलग करता है। यह सोयाबीन, गेहूं, मटर, मक्का, धान और अन्य छोटे अनाज और दलहन व तिलहन फसलों को उनके पुआल और भूसे से अलग करने का काम करके श्रम की बचत करता है यानी खेती की लागत कम होती है।

थ्रेशर का नाम तो आपने सुना ही होगा। यह कई तरह के होते हैं और यह किसानों के लिए बहुत ही ज़रूरी मशीन है, क्योंकि इसके बिना फसल की कटाई और उनके दानों को अलग कर पाना बेहद चुनौतीपूर्ण है। थ्रेशर आमतौर पर अनाज को काटता है और दानों को भूसी से अलग करता है। यह सोयाबीन, गेहूं, मटर, मक्का, धान और अन्य छोटे अनाज और दलहन व तिलहन फसलों को उनके पुआल और भूसे से अलग करने का काम करके श्रम की बचत करता है यानी खेती की लागत कम होती है।

thresher machine थ्रेशर

थ्रेशर कई तरह के होते हैं और किसी फसल के लिए कौन-सा थ्रेशर चुनना चाहिए यह जानने के लिए किसान ऑफ़ इंडिया की टीम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले पहुंची। यहाँ थ्रेशर बनाने वाली कंपनी पंजाब एग्रीकल्चरल इम्प्लीमेंट्स (पी) लिमिटेड के वर्कप्लेस पहुंचे। कंपनी के डायरेक्टर संदीप कपूर ने थ्रेशर के बारे में बहुत अहम जानकारियां साझा की।

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थ्रेशर क्यों ज़रूरी है किसानों के लिए?

आमतौर पर थ्रेशर 4 प्रकार के होते हैं। बहुफसल थ्रेशर, मक्का थ्रेशर, गेहूं थ्रेशर और धान थ्रेशर। पंजाब एग्रीकल्चरल इम्प्लीमेंट्स (पी) लिमिटेड के निदेशक संदीप कपूर बताते हैं कि थ्रेशर किसानों की फसल को घर पहुंचाने के लिए बहुत ज़रूरी है। फसल की कटाई में इसकी अहम भूमिका होती है। यह खेती का अभिन्न अंग है।

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थ्रेशर (Thresher Machine): जानिए कैसे करें फसल की कटाई के लिए सही थ्रेशर का चुनाव

कई तरह के थ्रेशर बनाती है कंपनी

संदीप कपूर बताते हैं कि उनकी कंपनी कई तरह के थ्रेशर बनाती हैं। इसमें छोटे साइज़ से लेकर बड़े साइज़ तक के थ्रेशर शामिल हैं। छोटे थ्रेशर ख़ासतौर पर पहाड़ी इलाकों के किसानों के लिए बनाया गया है, क्योंकि छोटे थ्रेशर को ऊपर ले जाना आसान होता है।

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कितनी तरह के थ्रेशर?

इंजन ऑपरेटेड थ्रेशर- यह थ्रेशर प्रति घंटा डेढ़ क्विंटल अनाज के दाने निकाल सकता है। इलाकों के लिए यह बहुत उपयुक्त है। इसका इस्तेमाल गेहूं, जौ, बाजरा, तिलहन, दलहन आदि फसलों के लिए किया जा सकता है। यह ख़ासतौर पर छोटे किसानों के लिए बनाया गया है, जिनके खेत बहुत छोटे होते हैं। 

मक्का थ्रेशर- इसमें भुट्टा डालकर दानों को अलग कर सकते हैं। इसकी क्षमता प्रति घंटा 1600 किलो की है। यह थ्रेशर ट्रैक्टर से चलने वाला है। किसी भी साइज़ के ट्रैक्टर से इसे ऑपरेट किया जा सकता है। 

इंजन ऑपरेटर पैडी थ्रेशर- यह धान के लिए बनाया गया थ्रेशर है, जिसकी क्षमता 5.5 क्विंटल प्रति घंटा है। छोटे किसानों के लिए धान की कटाई के लिए यह अच्छा विकल्प है।

कुटा मशीन- सर्दियों में जब धान की कटाई की जाती है तो खेतों में किसान पुआल जला देते हैं, जिससे प्रदूषण की गंभीर समस्या होती है। ऐसे में यह मशीन बहुत उपयोगी है क्योंकि यह धान के पुआल छोटे टुकड़ों में काट देता है जिसे जानवर खा सकते हैं। प्रदूषण कम करने में मददगार और पुआल को जानवरों के खाने लायक काट देता है।

कटर मॉडल थ्रेशर- यह थ्रेशर बड़े ट्रैक्टर से चलता है। इसमें 3 ब्लेड लगे होते हैं, जो भूसे को बारीक कर देते हैं। इससे भूसा जानवरों के खाने लायक बन जाता है।

पैडल ऑपरेटेड पैडी थ्रेशर- छोटे साइज़ का यह थ्रेशर छोटे किसानों और महिला किसानों के लिए उपयोगी है। साथ ही पहाड़ी इलाकों के लिए भी उपयुक्त है। इसे साइकिल की तरह चलाया जा सकता है।

टोकरी मॉडल थ्रेशर- यह गेहूं और मल्टी क्रॉप थ्रेशर है, जिसे बड़े ट्रैक्टर से चलाया जाता है। इसकी क्षमता लगभग 12-13 क्विंटल गेहूं प्रति घंटा अनाज निकालने की है। 

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क्या जंग रोधक है थ्रेशर?

संदीप कपूर ने बताया कि उनकी कंपनी के बनाए थ्रेशर की विशेष पिगमेंट से धुलाई की जाती है ताकि जंग खत्म हो जाए फिर प्राइमर लगाया जाता है। उसके बाद दो कोट पेंट किया जाता है। इससे जंग नहीं लगता है। श्रम की कमी की स्थिति में थ्रेशर किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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