ब्राह्मी की खेती: लागत से 4 गुना ज़्यादा मुनाफ़ा देता है ये औषधीय पौधा, किसान राम भजन राय से जानिए इसके बारे में सब कुछ

राम भजन राय करीबन 4 एकड़ क्षेत्र पर ब्राह्मी की खेती कर रहे हैं। धान की तरह ही ब्राह्मी की खेती की जाती है। नर्सरी में पौध तैयार किए जाते हैं। ब्राह्मी की एक साल में 2 से 3 फसलें ली जा सकती हैं ।

ब्राह्मी की खेती brahmi ki kheti

देश के कई हिस्सों में मानसून दस्तक दे चुका है। कई खरीफ़ फसलों की बुवाई का कार्य शुरू हो चुका है। किसान धान, मक्का, सोयाबीन जैसी खरीफ़ की पारंपरिक फसलों की खेती में लगे हुए हैं। इसी बीच कई किसान ऐसे भी हैं, जो अपने क्षेत्र में औषधीय फसलों की खेती (Cultivation of medicinal plants) को बढ़ावा दे रहे हैं। एक ऐसे ही प्रगतिशील किसान हैं राम भजन राय। उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर  ज़िले के रहने वाले राम भजन राय कई साल से औषधीय फसलों की खेती कर रहे हैं। एक ऐसा ही औषधीय पौधा है, ब्राह्मी। ये पौधा क्या है? कैसे इसकी खेती होती है? कहाँ इसका इस्तेमाल होता है? किसान ऑफ़ इंडिया ने राम भजन राय से ब्राह्मी की खेती को लेकर ख़ास बातचीत की। 

ब्राह्मी की खेती brahmi ki kheti

कब शुरू की ब्राह्मी की खेती?

राम भजन राय ने बताया कि उन्होंने कोरोना काल में ब्राह्मी की खेती की शुरुआत की। वो पहले आलू की खेती भी किया करते थे, लेकिन उसमें उतना लाभ नहीं हो पाता था। इसके अलावा, कई और पारंपरिक फसलें जैसे गेहूं और धान की फसल भी लिया करते थे। उन्हें औषधीय पौधों की जानकारी पहले से थी। इसमें रुझान भी था तो उन्होंने कोरोना के समय ब्राह्मी की खेती करने का फैसला किया। 

ब्राह्मी की खेती के लिए जलवायु और भूमि

राम भजन राय करीबन 4 एकड़ क्षेत्र पर ब्राह्मी की खेती कर रहे हैं। धान की तरह ही ब्राह्मी की खेती की जाती है। नर्सरी में पौध तैयार किए जाते हैं। फिर पहले से तैयार खेत में इन पौधों को रोप दिया जाता है। राम भजन राय बताते हैं कि ब्राह्मी की बुवाई जुलाई महीने में की जाती है। 33-44 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान और 60 से 65 फ़ीसदी आर्द्रता ब्राह्मी की फसल के लिए उपयुक्त मानी जाती है। 

ब्राह्मी की खेती brahmi ki kheti

ब्राह्मी की खेती: लागत से 4 गुना ज़्यादा मुनाफ़ा देता है ये औषधीय पौधा, किसान राम भजन राय से जानिए इसके बारे में सब कुछ

जलभराव क्षेत्र उपयुक्त, कब करें सिंचाई? 

ब्राह्मी के विकास के लिए जलभराव क्षेत्र उपयुक्त होता है। मानसून के दौरान किसानों को जलभराव की समस्‍या का सामना करना पड़ता है। ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में ज़्यादातर फसलों की खेती करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ब्राह्मी की खेती किसानों की अतिरिक्त आमदनी का ज़रिया बन सकती है। 

ध्यान रहे कि बरसात के तुरंत बाद सिंचाई की ज़रूरत पड़ती है। सर्दियों में 20 दिनों के अंतराल पर और गर्मियों में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।

क्या हैं चुनौतियां? 

राम भजन राय बताते हैं कि कई लोगों में औषधीय पौधों की खेती को लेकर जागरूकता नहीं है। मार्केट के बारे में जानकारी का अभाव है। साथ ही कहीं न कहीं एक प्रतिस्पर्धा की सोच भी है। कई उत्पादक ऐसे हैं, जिन्हें बाज़ार मिल जाता है तो वो उस बारे में बताना नहीं चाहते। राम भजन राय कहते हैं कि ऐसे में ज़रूरी है कि बाज़ार की उपलब्धता के बारे में किसानों को जागरूक किया जाए ताकि वो औषधीय फसलों की खेती को लेकर प्रोत्साहित हों। 

ब्राह्मी की खेती brahmi ki kheti

ब्राह्मी की खेती में कितना लाभ? 

ब्राह्मी की फसल रोपाई के 5-6 महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। तने को जड़ से 4-5 सेंटीमीटर ऊपर तक काटा जाता है। बाकी बचे हुए तने को दोबारा फसल लेने के लिए छोड़ दिया जाता है। ब्राह्मी की एक साल में 2 से 3 फसल ली जा सकती है। ब्राह्मी के पत्ते और जड़ें बिकती हैं। प्रति एकड़ करीबन 45 क्विंटल तक का उत्पादन हो जाता है। प्रति एकड़ ब्राह्मी की खेती में करीबन 40 हज़ार की लागत आती है। राम भजन राय बताते हैं कि ब्राह्मी की खेती से किसान लागत से 4 गुना अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं। 

कहाँ-कहाँ है इसका बाज़ार?

ब्राह्मी के पौधों का इस्तेमाल कई तरह की औषधीय दवाइयां बनाने में किया जाता है। ICAR के मुताबिक, मांसपेशी की टॉनिक बनाने में,  मिरगी और पागलपन के उपचार में देसी दवाइयों में ब्राह्मी का इस्तेमाल किया जाता है। 

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ब्राह्मी की खेती brahmi ki kheti
तस्वीर साभार: vikaspedia

ब्राह्मी से जुड़ी कुछ अहम बातें

ब्राह्मी की खेती उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के निचले पहाड़ी इलाकों में की जाती है। इसके तने और पत्तियां मुलायम, गूदेदार और फूल सफ़ेद होते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम बाकोपा मोनिएरी (Bacopa Monnieri) है। ब्राह्मी के फूल आकार में छोटे, सफ़ेद, नीले और गुलाबी रंग के होते हैं। फूल दिसंबर-मई महीने में आते है। 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

 

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