‘कृषि से संपन्नता योजना’ हींग और केसर की खेती करने के लिए किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता

सरकार ने राज्य के किसानों के हित में बड़ा निर्णय लेते हुए लगभग 90 हजार किसानों को हींग तथा केसर की खेती के लिए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। किसानों को आर्थिक मदद के साथ ही मशीनें तथा बीज खरीदने के लिए भी सरकार सहायता करेगी।

केसर की खेती saffron cultivation in india

हींग और केसर की खेती: हिमाचल सरकार ने राज्य के किसानों के हित में बड़ा निर्णय लेते हुए लगभग 90 हजार किसानों को हींग तथा केसर की खेती के लिए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। किसानों को आर्थिक मदद के साथ ही मशीनें तथा बीज खरीदने के लिए भी सरकार सहायता करेगी।

कृषि मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि चंबा, लाहौल-स्पीती, मंडी तथा किन्नौर जिले के पहाड़ी क्षेत्रों को हींग तथा केसर की खेती के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसी कारण राज्य सरकार ने ‘कृषि से संपन्नता योजना’ शुरू कर अगले पांच वर्षों के लिए दस करोड़ के फंड की स्वीकृति दे दी है। उन्होंने बताया कि अगले पांच वर्षों में राज्य के 3.5 हैक्टेयर क्षेत्र में केसर तथा 302 हैक्टेयर के क्षेत्र में हींग की खेती करने का लक्ष्य तय किया गया है।

'कृषि से संपन्नता योजना' हींग और केसर की खेती करने के लिए किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता

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वर्तमान में कश्मीर में होता है केसर का उत्पादन

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में पूरे भारत में केवल मात्र कश्मीर में ही केसर उगाई जाती है। हाल ही में केन्द्र सरकार ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर देश के पूर्वोत्तर राज्यों में भी केसर की खेती करने का प्रयास आरंभ किया है। इसके लिए कश्मीर से केसर के बीज तथा पौधों को ले जाकर सिक्किम व अन्य राज्यों की चुनी गई जगहों पर रोपा गया है। यदि सरकार का यह प्रयास सफल रहता है तो शीघ्र ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भी उत्तम गुणवत्ता की केसर उगाई जा सकेगी।

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देश में नहीं होता है हींग का उत्पादन

आपको बता दें कि पूरे विश्व में सर्वाधिक हींग की खपत भारत में होती है परन्तु भारत में हींग का उत्पादन नहीं होता है। भारत में हर वर्ष ईरान, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान से हर वर्ष लगभग 1200 टन कच्ची हींग मंगवाई जाती है। वर्ष 2019 में भारत ने 1500 टन हींग का आयात किया था जिसका बाजार मूल्य लगभग 950 करोड़ रुपए था।

शुद्ध हींग का बाजार मूल्य लगभग दस हजार से 40 हजार रुपए किलो तक है। ऐसे में भारत के लिए बहुत जरूरी है कि वह हींग का उत्पादन स्थानीय स्तर पर भी आरंभ करें। ऐसा होने से देश विदेशी मुद्रा की बचत कर सकेगा।

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