वाराणसी की हरी मटर और बैंगन को मिला इंटरनेशनल बाजार

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां अनाज से लेकर फलों और सब्जियों तक की खेती की जाती है। भारत […]

mutter peas export to other countries

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां अनाज से लेकर फलों और सब्जियों तक की खेती की जाती है। भारत में लगभग 70 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं। ठंडी के मौसम में हरी मटर की खपत काफी होती हैं। हर हिंदुस्तानी हरी मटर को चाव से खाता है लेकिन अब भारत के अलावा विदेशों में भी हमारी मटर की खूब मांग हो रही है। बता दें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की हरी सब्ज़ियों को अब इंटरनेशल बाज़ार मिल गया है। हवाई जहाज के द्वारा अब हरी सब्जियों को एक देश से दूसरे देशों में ले जाया जाएगा। वहीं वाराणसी के हरे गोल बैंगन के जीआई टैग के लिए भी कोशिश शुरु हो गई है।

ये भी देखें : किसान रथ मोबाइल ऐप से किसानों-व्यापारियों को फायदा, फसल बेचना हुआ आसान

ये भी देखें : हाईटेक खेती से यूपी के रामसरन कमा रहें हैं लाखों रुपए सालाना, जानिए पूरी कहानी

हाल ही 19 जनवरी को एक हज़ार किलो हरी मटर और गोल हरा बैंगन लेकर एक विमान शारजहां के लिए उड़ा। यह विमान वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रवाना किया गया। जिसे अध्यक्ष डॉ. एम. अंगामुथु समेत केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने हरी झंडी दिखाई।

ये भी देखें : PM किसान सम्मान निधि योजना : लाभ उठाने के लिए ऐसे करें अप्लाई

ये भी देखें : किसानों को फसल नुकसान का जल्द मिलेगा मुआवजा, अब ड्रोन से होगा सर्वे

ये भी देखें : किसानों की फसल को देश की मंडियों तक पहुंचाएगा भारतीय रेलवे

बता दें अध्यक्ष डॉ. एम. अंगामुथु ने कहा कि वाराणसी हवाई अड्डे से सीधा निर्यात शुरू हो जाने के बाद अब वाराणसी हवाई अड्डे से कृषि उत्पादों का और भी अधिक निर्यात करने का रास्ता खुल गया है। जिसके चलते अब वाराणसी और उसके आसपास के इलाकों के जीआई उत्पादों का निर्यात करना भी शामिल हो गया है।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने जीआई उत्पादों को बढ़ावा देने और उत्पादों को ‘लोकल से ग्‍लोबल’ बनाने पर काफी जोर दिया था। इसी लिए एपीडा अध्यक्ष डॉ. एम. अंगामुथु ने रामनगर भंटा के खेतों का दौरा किया, जो अनेक अद्वितीय उत्पादों में से एक है। रामनगर भंटा जीआई प्रमाणीकरण प्राप्‍त करने की प्रक्रिया में है। जिसकी पहचान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रचार के लिए की गई है।

इसके अलावा उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि, पूर्वी उत्तप्रदेश चारों तरफ से जमीन ही जमीन है और, निकटतम समुद्री बंदरगाह लगभग 1000 किमी दूर है। इन हालातों में हवाई जहाज निर्यात का साधन ही इस क्षेत्र के किसान उत्पादक संगठनों एवम् निर्यातकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top