विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day): डेयरी व्यवसाय (Dairy Business) की बदौलत लक्ष्मी ने पूरे किए अपने सपने, जानिए कैसे लागत की कम और बढ़ाया दूध उत्पादन

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम ज़िले की रहने वाली 10वीं गोंथिनी लक्ष्मी ने 15 साल पहले सिर्फ़ 2 गायों के साथ डेयरी व्यवसाय की शुरुआत की थी और आज इसे उन्होंने लाभदायक उद्योग में बदल दिया है। 

विश्व दुग्ध दिवस

खेती से जुड़ी महिलाओं के लिए अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने का अच्छा ज़रिया है डेयरी व्यवसाय। विश्व दुग्ध दिवस पर पढ़िए  इसके ज़रिए वह न सिर्फ़ आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि अपने सपने भी पूरे कर सकती हैं, जैसा कि आंधप्रदेश की गोंथिनी लक्ष्मी कर रही हैं। 15 साल से डेयरी उद्योग चला रही लक्ष्मी इसी व्यवसाय के बल पर अपने बेटों को अच्छी शिक्षा दे रही हैं और साथ ही उन्होंने पक्का घर भी बनवाया है। 

दो गायों से ही शुरुआत

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम ज़िले के परवाड़ा मंडल में एक गाँव पड़ता है, जिसका नाम है पीएस बोनांगी। गोंथिनी लक्ष्मी इसी गाँव की रहने वाली हैं। लक्ष्मी कहती हैं कि डेयरी उद्योग ने उनके जीवन को खुशहाल बनाया है और वह इस काम से बहुत संतुष्ट हैं। 10वीं तक पढ़ी लक्ष्मी ने 15 साल पहले सिर्फ 2 गायों के साथ डेयरी की शुरुआत की और आज इसे लाभदायक उद्योग में बदल दिया। 

रोज़ाना औसतन 100 लीटर दूध का उत्पादन

उनके पास 1.5 एकड़ ज़मीन है ,जिसपर वह पशुओं के लिए चारा भी उगाती हैं। उनके पास 18 मुर्रा भैंसें, 5 गायें (जर्सी और होल्स्टीन फ़्रीज़ियन) हैं। इनसे रोज़ाना का औसतन 100 लीटर दूध का उत्पादन होता है। वह विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के निवासियों और कर्मचारियों को दूध बेचती हैं। दुधारु पशुओं के अलावा उनके पास 20 अन्य गैर-दूधारु पशु भी हैं। 

andhra pradesh woman dairy business डेयरी व्यवसाय
अपने घर पर दुधारू पशुओं की देखभाल करती लक्ष्मी (तस्वीर साभार: krishivistar)

विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day): डेयरी व्यवसाय (Dairy Business) की बदौलत लक्ष्मी ने पूरे किए अपने सपने, जानिए कैसे लागत की कम और बढ़ाया दूध उत्पादन

पशुओं के चारे के लिए वह अपनी डेढ़ एकड़ ज़मीन पर नेपियर घास की हाइब्रिड किस्म एपीबीएन-1 घास की खेती करती हैं। इसके अलावा, चारे की खेती के लिए उन्होंने सालाना 10 हज़ार के शुल्क पर अतिरिक्त एक एकड़ भूमि लीज पर ली हुई है। 

andhra pradesh woman dairy business डेयरी व्यवसाय
नेपियर घास की हाइब्रिड किस्म एपीबीएन-1 (तस्वीर साभार: Anand Agriculture University)

कितना होता है मुनाफ़ा? 

दूध की बिक्री से उन्हें सालाना करीब 8 लाख 10 हज़ार रुपये की आमदनी होती है। इस डेयरी व्यवसाय में उन्हें सालाना लागत तकरीबन 3 लाख 60 हज़ार रुपये आती है। इस तरह करीबन 4 लाख 50 हज़ार रुपये का उन्हें सीधा मुनाफ़ा होता है। 

पशुओं के प्रसव तारीख का खासतौर रखती हैं ध्यान 

दुधारू पशुओं के प्रसव के 3 महीने बाद लक्ष्मी उनके दोबारा गर्भधारण पर काम करती हैं। पशुपालन विभाग की ओर से उन्हें पूरा सहयोग और जानकारी मिलती है। वह डायरी में अपना हिसाब-किताब लिखने के साथ ही प्रत्येक पशु की डिलीवरी तारीख भी लिखती हैं। 

मिला चारा योजना का लाभ

वह आंध्र प्रदेश सरकार की प्रमुख योजना “Oroora Pashu Grasa Khshetralu” (हर गाँव में चारा खेत) की लाभार्थी रही हैं। इसमें उन्हें चारे की खेती के लिए ज़मीन लीज़ पर लेने के लिए 20 हज़ार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। साथ ही चारे की खेती की लागत का पैसा भी मुहैया कराया गया।

andhra pradesh woman dairy business डेयरी व्यवसाय
चारा उगाने वाली जगह पर कृषि विशेषज्ञों के साथ खड़ी लक्ष्मी (तस्वीर साभार: krishivistar)

बेटे की पढ़ाई और घर बनाया

डेयरी व्यवसाय की बदौलत उन्होंने 6 लाख रुपये लगाकर पक्का मकान बनवाया। वो अपने दो बेटों को अच्छी शिक्षा दे रही हैं। उनका एक बेटा बीटेक की पढ़ाई कर रहा है और दूसरा बेटा इंटरमिडिएट कोर्स कर रहा है। वह दूसरी महिलों को भी संदेश देती हैं कि नौकरी की तलाश में घर छोड़कर बाहर जाने से अच्छा है कि खुद का डेयरी व्यवसाय शुरू करें। 

ये भी पढ़ें- डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming): देसी गाय पालन से बड़ा किसान कालू यादव का दूध उत्पादन, ऐसे करते हैं मार्केटिंग

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top