मौसमी सब्जियों की खेती और फसल चक्र में सुधार से आया बड़ा बदलाव, जानिए संतोष कुमारी कैसे बनी मिसाल

मैनपुरी ज़िले के भदौरा गाँव की रहने वाली किसान संतोष कुमारी के पास सिर्फ़ 1 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। हालात ये थे कि परिवार के लिए पोषण युक्त सब्जियां उपलब्ध न होने की वजह से परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता था। कैसे मौसमी सब्जियों की खेती और फसल चक्र अपनाने से हुआ सुधार? जानिए इस लेख में।

मौसमी सब्ज़ियों की खेती और फसल चक्र seasonal vegetable farming

एक ही फसल और सब्ज़ियां उगाने की बजाय अगर किसान मौसमी सब्जियों की खेती करते हैं और फसल चक्र अपनाते हैं, तो किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ ही पोषण संबंधी ज़रूरतों को भी पूरा कर सकते हैं। ऐसा ही मैनपुरी ज़िले की किसान संतोष कुमारी कर रही हैं। कभी संतोष के परिवार के पास भरपूर सब्ज़ियां खरीदने के भी पैसे नहीं थे। इससे उनकी पोषण संबंधी ज़रूरतें पूरी नहीं हो पाती थी, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह पर अमल करके न सिर्फ़ संतोष की आमदनी बढ़ गई, बल्कि अब वह तरह-तरह की मौसमी सब्ज़ियां भी उगा रही हैं।

पूरी नहीं होती थी परिवार की ज़रूरतें

मैनपुरी ज़िले के भदौरा गाँव की रहने वाली किसान संतोष कुमारी के पास सिर्फ़ 1 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। हालात ये थे कि परिवार के लिए पोषण युक्त सब्जियां उपलब्ध न होने की वजह से परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता था।

दरअसल, मक्का, आलू और गेहूं की फसल से उन्हें सालाना लगभग एक लाख 25 हज़ार रुपये की ही कमाई हो पाती थी। परिवार की सब्ज़ियों की ज़रूरत पूरा करने के लिए बाज़ार से सब्ज़ियां खरीदने पर सालाना करीब 6 हज़ार रुपये खर्च होते थे। ऐसे में इतनी कम आमदनी में परिवार को पर्याप्त पौष्टिक भोजन कराना उनके लिए संभव नहीं होता था।

मौसमी सब्जियों की खेती और फसल चक्र seasonal vegetable farming
तस्वीर साभार: ICAR

पोषण रसोई उद्यान प्रबंधन

संतोष कुमारी जब कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के संपर्क में आईं और KVK द्वारा पोषण रसोई उद्यान प्रबंधन (Nutritional kitchen garden Management) पर आयोजित प्रशिक्षण में भाग लिया तो उन्हें बहुत सी जानकारी मिली। किचन गार्डन के पोषण लाभ के बारे में जागरूक करने के साथ ही KVK ने उन्हें फसल चक्र में सुधार की गुंजाइश और अवसर के बारे में भी बताया। उन्होंने संतोष कुमारी को 500 मीटर स्क्वायर क्षेत्र में पोषण उद्यान के रूप में अलग-अलग मौसमी सब्ज़ियां लगाने की सलाह दी। उन्होंने मक्का-आलू-खीरा और आलू-अरबी के फसल चक्र को अपनाया। इसकी उन्नत किस्में लगाने के साथ ही सही प्रबंधन भी किया।

अन्य महिलाओं को कर रहीं प्रेरित

आज संतोष कुमारी न सिर्फ़ कीचेन गार्डन के तहत अलग-अलग सब्ज़ियां उगा रही हैं, बल्कि मक्का, आलू, गेहूं, खीरा जैसी फसलों की उन्नत किस्मों की खेती कर रही हैं। उन्होंने अपने और आसपास के गांव की 18 अन्य महिलाओं को भी कीचेन गार्डन के लिए प्रेरित किया है। उन्हें न सिर्फ़ आर्थिक लाभ, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ के प्रति भी जागरुक कर रही हैं।

मौसमी सब्जियों की खेती और फसल चक्र seasonal vegetable farming
तस्वीर साभार: ICAR

मौसमी सब्जियों की खेती और फसल चक्र में सुधार से आया बड़ा बदलाव, जानिए संतोष कुमारी कैसे बनी मिसाल

बढ़ी आमदनी और मिली पहचान

संतोष कुमारी को उनके कार्यों के लिए KVK ने अलग-अलग प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बतौर प्रशिक्षक सम्मानित किया है। फसल चक्र और मौसमी सब्ज़ियों की खेती से उनकी आमदनी में वृद्धि हुई। यह बढ़कर करीबन 2 लाख 31 हज़ार रुपये पहुंच गई। आमदनी में 80 प्रतिशत और सब्ज़ियों की खपत में 120 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कीचेन गार्डन की बदौलत उन्होंने सब्ज़ियों पर होने वाले खर्च को बचाया। अब घर में उगाई सब्ज़ियों के सेवन से उनके परिवार के स्वास्थ्य और जीवन स्तर दोनों में सुधार हुआ।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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