बीज रहित खीरे की खेती में कौन सी तकनीक सबसे बेहतर? जम्मू के पवन सिंह से जानिए कितनी है इसमें कमाई

जम्मू के रहने वाले पवन सिंह एक साल में बीज रहित खीरे की दो फसल लेते हैं। बीज रहित खीरे की खेती (Seedless Cucumber Farming) के अलावा, वो कई और अन्य फसलों की भी खेती करते हैं। खीरे की खेती से अच्छा लाभ होता है। किसान ऑफ़ इंडिया ने उनसे ख़ास बातचीत की।

खीरे की खेती तो बहुत से किसान करते हैं, लेकिन जम्मू के पवन सिंह जिस खीरे की खेती कर रहे हैं वह ख़ास है। जी हां, उनके खीरे में बीज नहीं है। वह बीज रहित खीरा उगा रहे हैं, जिसकी बाज़ार में बहुत अच्छी कीमत मिल जाती है। तभी तो वह साल में खीरे की दो फसल लगाते हैं और इससे उन्हें अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा होता है। किसान ऑफ़ इंडिया की टीम पवन सिंह से मिलने जम्मू पहुंची। उन्होंने खेती के अपने अनुभव और बीज रहित खीरे की खेती को लेकर कई बातें बताईं।

बीज रहित खीरे की खेती seedless cucumber farming

25 साल से कर रहे हैं खेती

जम्मू के रहने वाले प्रगतिशील किसान पवन सिंह 25 साल से खेती कर रहे हैं। पॉलीहाउस में बीज रहित खीरे की खेती के अलावा, खुले खेत में ब्रोकोली, गांठ गोभी (कड़म), गन्ना, गेहूं आदि की फसल लगाते हैं। पॉलीहाउस में खीरे की खेती से पवन सिंह बहुत खुश हैं, क्योंकि इससे उन्हें बहुत अच्छी उपज प्राप्त हो रही है।

बीज रहित खीरे की खेती seedless cucumber farming

पॉलीहाउस तकनीक के फ़ायदे

पवन सिंह कहते हैं कि पॉलीहाउस में खेती करने पर कीटों से फसल खराब होने का डर नहीं रहता। इसके अलावा, हर तरह के मौसम में आराम से खेती कर सकते हैं। वह कहते हैं कि सर्दियों के मौसम में भी अच्छी उपज मिल रही है।

बीज रहित खीरे की खेती seedless cucumber farming

बिना बीज वाले खीरे की खेती क्यों? 

बीज रहित खीरे की खेती के बारे में उनका कहना है कि यह सामान्य खीरे से अधिक उपज देता है। हर पौधे से 6-7 किलो तक उपज मिल जाती है। इसकी बाज़ार में अच्छी कीमत मिलती है। वह साल में दो बार खीरे की फसल लगाते हैं। इसके अलावा, अन्य किसानों को पौधे भी उपलब्ध कराते हैं। बीज रहित खीरे के बीज वह बाहर से ऑर्डर पर मंगाते हैं। बीज का एक पैकेट 1000 रुपये का पड़ता है। प्रति बीज कीमत 6 रुपये पड़ती है।

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बीज रहित खीरे की खेती में कौन सी तकनीक सबसे बेहतर? जम्मू के पवन सिंह से जानिए कितनी है इसमें कमाई

पूरी तरह से ऑर्गेनिक

पवन सिंह कहते हैं कि वह पॉलीहाउस में बीज रहित खीरे की खेती में किसी भी तरह के केमिकल वाली खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं। घर में तैयार देसी खाद ही डालते हैं। इससे अच्छी क्वालिटी की फसल प्राप्त होती है और बाज़ार में इसकी काफ़ी मांग है।

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कैसे करते हैं मार्केटिंग?

बाज़ार की उपलब्धता वाले सवाल का जवाब देते हुए पवन कहते हैं कि स्थानीय दुकानदार सीधे उनसे खीरे ले जाते हैं। बाकी जो बच जाता है, उसे वो मंडी में जाकर बेच देते हैं। ऑर्गेनिक होने के कारण मंडी में इसकी बहुत मांग है। आसानी से बिक जाता है। 40 से 45 रुपये प्रति किलो इसका दाम रहता है।

कृषि विभाग से मिली मदद

पवन सिंह कहते हैं कि खेती में उन्हें कृषि विभाग से बहुत मदद मिली है। किसी तरह की समस्या होने पर वह तुरंत उनसे संपर्क कर सकते हैं। कृषि विभाग मदद के लिए हमेशा खड़ा रहता है। पवन सिंह का कहना है कि पॉलीहाउस बनाने में 22 लाख रुपये का खर्च आया था, जिसमें से 50 फ़ीसदी उन्हें सब्सिडी मिली थी।

बीज रहित खीरे की खेती seedless cucumber farming

कितनी होती है आमदनी?

साल में दो बार बीज रहित खीरे की खेती से 4 से 5 लाख का रुपये का मुनाफ़ा हो जाता है। इसके अलावा पौधों की बिक्री से भी 1.5-2.00 लाख रुपये का मुनाफ़ा हो जाता है।

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