इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ खेती को अपनाया, आज कमा रहे करोडों रुपये सालाना

कमल पाटीदार ने खेती के लिए अपनी ढाई लाख रुपये की नौकरी तक छोड़ दी और आज खेती से करोड़ों रुपए कमा रहे हैं।

खेती nursery plants

आज किसान खेती में होने वाले नुकसान और कम आय की वजह से खेती से दूर होते जा रहे हैं। वे शहरों में रोजगार की तलाश में जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं, जो शहरी नौकरी छोडक़र गांव में खेती की ओर रूख कर रहे हैं। ऐसे ही एक युवक हैं कमल पाटीदार। इन्होंने खेती के लिए अपनी ढाई लाख रुपये की नौकरी तक छोड़ दी।

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गुराडिया गांव के रहने वाले कमल पाटीदार एक एमटेक इंजीनियर थे। वे चंडीगढ़ में अच्छी खासी नौकरी कर रहे थे, लेकिन गांव की मिट्टी सदा ही उन्हें अपनी ओर खींचती थी। एक दिन वे नौकरी छोडक़र गांव आ गए। उन्होंने गांव में 1 लाख रुपये का कर्ज लिया और खेती करना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद उन्होंने गांव में ही श्री जी नाम से एक नर्सरी की स्थापना भी की। आज उनकी नर्सरी से लगभग 1 करोड़ रुपए सालाना आमदनी होती है।

परिवार ने किया था विरोध

जब कमल ने चंडीगढ़ से नौकरी छोडक़र गांव वापिस लौटने का फैसला घरवालों को सुनाया तो वे बहुत नाराज हुए। उन्होंने इस बात का विरोध किया। लेकिन कमल गांव लौटकर खेती करने का अपना मन बना चुके थे।

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कैसे तैयार की नर्सरी

कमल आधुनिक खेती करके मुनाफा कमाना चाहते थे। यही कारण था कि पूरे क्षेत्र में वे एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने नर्सरी में पहली बार नेट तकनीक का इस्तेमाल किया। उन्होंने नर्सरी में सीडलिंग ट्रे और कोकोपिट में मिर्च, टमाटर, गोभी, बैंगन, खीरा, करेला आदि के लगभग 50 हजार पौधे तैयार किए।

कई जगहों पर जा रहे हैं उनके तैयार किए पौधे

जब किसानों ने कमल की नर्सरी में तैयार किए जाने वाले पौधों के अच्छे परिणाम देखे, तो उन्होंने कमल से पौधे खरीदना शुरू कर दिया। यही कारण रहा कि नर्सरी तैयार करने के दूसरे साल 5 लाख, तीसरे साल 10 लाख और चौथे साल 20 लाख पौधे तैयार किए। अब वे करीब 30 लाख पौधे तैयार कर रहे हैं। अपने क्षेत्र में ही नहीं बल्कि कोटा, मंदसौर, रावतभाटा, उज्जैन, शाहजहांपुर आदि जगहों पर भी कमल पाटीदार की नर्सरी से पौधे ले जाए जाते हैं।

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