एक ही फसल लगाने पर कई बार किसानों को नुकसान भी हो सकता है, लेकिन जब वह कई तरह की फसल लगाते हैं यानी मिश्रित खेती करते हैं तो नुकसान की आशंका न के बराबर रहती है। रामजी शर्मा ने जिस तरह से अपनी खेती में मिश्रित खेती अपनाई है, वो कई किसानों के मिसाल है।
आधुनिक तरीके से यदि खेती को व्यवसाय की तरह किया जाए तो किसानों को तगड़ा मुनाफ़ा हो सकता है। जम्मू के एक किसान ने नए प्रयोगों और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके सब्ज़ियों की सफल खेती की है। वह मिश्रित खेती करते हैं। उनका परिवार हमेशा से चाहता था कि वह सरकारी नौकरी करें, मगर रामजी को तो मिट्टी से प्यार था। इसलिए उन्होंने खेती करने की सोची और इसमें सफल भी रहे। रामजी ने अपने खेती के कामयाब मॉडल के अनुभव किसान ऑफ़ इंडिया के साथ साझा किए।
क्यों चुनी खेती की राह?
रामजी शर्मा बताते हैं कि उनके पिता और बड़े भाई आर्मी में है। इसलिए परिवार चाहता था कि वह भी सरकारी नौकरी करें, मगर उन्हें तो कुछ अपना करना था। इसलिए उन्होंने खेती को चुना। उनके मुताबिक, यदि सही और आधुनिक तरीके से खेती की जाए तो सफलता ज़रूर मिलती है।
मिश्रित खेती में मुनाफ़ा
रामजी आलू, पत्तागोभी, प्याज, मूली, मक्का, गेहूं जैसी फसलों की खेती करते हैं। वह साल में तीन फसलें लेते हैं। रामजी किसानों को मिश्रित खेती करने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि एक ही फसल की खेती करने पर नुकसान की आशंका ज़्यादा रहती है। इसलिए फसल चक्र और कई फसलों की खेती करना हर तरह से फ़ायदेमंद है। मिश्रित खेती करने पर अगर एक फसल से आमदनी नहीं भी हुई तो अन्य फसलों से लाभ कमाने की संभावना रहती है।
लाल रंग के आलू की खेती
वह आलू की उन्नत किस्म कार्डिनल की खेती (Cardinal Potato) करते हैं, जिसे वह पंजाब के मोगा से लेकर आए हैं। लाल रंग के इस आलू की श्रीनगर में अच्छी मांग है। इसकी उपज क्षमता भी अधिक है। उनका कहना है कि आम आलू जहां 500-600 रुपये प्रति बैग के हिसाब से बिकता है। वहीं, लाल आलू के एक बैग की कीमत 900-1000 रुपये रहती है।
कई अन्य सब्ज़ियों की भी करते हैं खेती
वह पत्तागोभी, फूलगोभी, गांठ गोभी (कड़म) की भी खेती करते हैं। पत्तागोभी में बीसी 90, ग्रीन फ्लैश, वसुधा आदि किस्म उगाते हैं, क्योंकि इनका साइज़ अच्छा होता है और उपज क्षमता भी अधिक है। फूलगोभी की 60 दिन में तैयार होने वाली रिनी किस्म की खेती करते हैं। इसके अलावा फूलगोभी की गरिमा, लकी आदि किस्में मौसम के हिसाब से लगाते हैं। उनके मुताबिक, पत्तागोभी की उपज 30 क्विंटल प्रति कनाल और फूलगोभी 25-30 क्विटंल प्रति कनाल प्राप्त होती है। वह गांठ गोभी (कड़म) भी उगाते हैं। इसकी अधिकांश खेती जम्मू-कश्मीर में ही की जाती हैं और यहां पर इसे बहुत पसंद किया जाता है।
एक किलो का एक प्याज़
रामजी प्याज की भी खेती करते हैं। वह इसकी कई किस्में उगाते हैं। ख़ास बात यह है कि इसमें गोबर की खाद का इस्तेमाल करते हैं, जिससे फसल अच्छी होती है। वह एक किलो का एक प्याज़ उगाकर रिकॉर्ड भी बना चुके है, जिसके लिए उन्हें कृषि विभाग की ओर से अवॉर्ड भी मिल चुका है।
कैसे तैयार करते हैं खेत?
रामजी ज़्यादातर देसी खाद का इस्तेमाल करते हैं। रासायनिक खाद में वह पोटाश, ज़िंक, सल्फर, डीएपी, यूरिया आदि मिलाकर डालते हैं और खेत तैयार करते हैं। बीज को उपचारित करने के बाद बुवाई करते हैं। समय पर निराई–गुड़ाई करते हैं। पौधों के विकास के लिए कुछ खास स्प्रे करते हैं। रामजी शर्मा कहते हैं कि जम्मू की मिट्टी रेतिली है, जो सब्ज़ियों की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है।
कृषि विभाग से मिली मदद
रामजी का कहना है कि खेती में उन्हें कृषि विभाग का बहुत सहयोग मिला है। सब्सिडी का लाभ लेने से लेकर बोरवेल के निर्माण तक में कृषि विभाग ने मदद की। सब्सिडी पर ही उन्होंने ट्रैक्टर खरीदा।
कितनी होती है आमदनी?
अच्छे बीज, समय पर बुवाई और सही योजना की बदौलत रामजी को सालाना 20-30 लाख रुपये का मुनाफ़ा हो जाता है।
किसानों की मदद
वह अपने गांव के छोटे किसानों की खेती में मदद करते हैं। फसल की कौन-सी किस्में लगानी हैं, कौन सा खाद कितनी मात्रा में डालना है, किस समय कौन-सा बीज लगाना है, मिश्रित खेती से जुड़ी तमाम जानकारी वो युवाओं और साथी किसानों के साथ साझा करते हैं।
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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।