लंबी लोबिया की खेती (Farm Long Beans) | चवली जिसे लॉन्ग बीन्स और लोबिया भी कहा जाता है, इसकी खेती किसानों के लिए फ़ायदेमंद है। इसकी फसल 45-50 दिनों में ही तैयार हो जाती है और पौष्टिकता से भरपूर इस सब्जी की बाज़ार में मांग बनी रहती है। चवली की फली की सब्ज़ी के साथ ही इसके बीज को सुखाकर लंबे समय के लिए रखा जाता है और फिर इसकी भी सब्ज़ी बनाई जाती है। ICAR-IIHR ने चवली यानी यार्ड लॉन्ग बीन्स (Yard Long Beans) की नई किस्म अर्का मंगला (Arka Mangala) की पहचान की। क्या है इस किस्म की ख़ासियत और कैसे लंबी लोबिया की खेती से किसानों को लाभ हो रहा है। जानिए इस लेख में।

चवली/लोबिया की नयी किस्म
ICAR-IIHR ने नई यार्ड लॉन्ग बीन्स अर्का मंगला की पहचान की है, जो अधिक उपज देती है। इसकी फलियां हरी, लंबी और कोमल होती हैं। कर्नाटक के उडुपी ज़िले के मेल्होसूर गाँव के प्रगतिशील किसान एच. बाबू शेट्टी ने एक चौथाई एकड़ में रबी सीज़न 2018-19 में यार्ड लॉन्ग बीन्स अर्का मंगला की बुवाई की। लंबी लोबिया की खेती के लिए अर्का मगंला किस्म के बीज उन्हें भू समृद्धि परियोजना के तहत ICAR-IIHR, बेंगलुरु और कृषि विज्ञान केन्द्र ब्रह्मवर द्वारा प्रदान किए गए।
उन्होंने नवंबर के महीने में पौधों के बीच 45 सेंटीमीटर और पंक्तियों के बीच 120 सेंटीमीटर की दूरी पर फसल लगाई। उन्होंने वैज्ञानिकों की सभी सलाह और तय मानकों का पालन किया। उपज बढ़ाने के लिए तीन अर्का वेजीटेबल स्पेशल स्प्रे का इस्तेमाल किया।

लंबी लोबिया की खेती से बढ़ा मुनाफ़ा
एच. बाबू शेट्टी को एक चौथाई एकड़ भूमि पर लंबी लोबिया की खेती से 3.5 टन बेहतरीन गुणवत्ता वाली चवली की फलियां प्राप्त हुईं। उन्हें नज़दीकी बाज़ार में इसका बाज़ार उपलब्ध हुआ। 45 रुपये प्रति किलो के हिसाब से इसकी फसल बिक जाती है।
उन्हें फसल के 4 महीनों में ही करीब 97,500 रुपये का मुनाफ़ा हुआ। अर्का मंगला की उपज क्षमता और गुणवत्ता से शेट्टी बहुत खुश हैं और उनका कहना है कि इसमें लगातार फूल और फल आते रहते हैं। साथ ही उनका कहना है कि इस किस्म से कोमल हरे रंग की फलियां प्राप्त होती है, जो जल्दी तैयार हो जाती है और बाज़ार में इसकी खूब मांग है।
ICAR-IIHR द्वारा विकसित इस नई किस्म के बारे में उन्होंने आसपास के किसानों को भी इस किस्म की खेती के लिए प्रेरित किया। अर्का मंगला की ज़बर्दस्त उपज क्षमता के कारण ही किसानों की इसमें दिलचस्पी बढ़ी और भू समृद्धि परियोजना के तहत ICAR-IIHR ने रबी सीज़न 2019-20 के लिए किसानों को 29 किलो अर्का मंगला के बीज प्रदान किए।

गर्मी के मौसम में इसकी बुवाई फरवरी-मार्च में और बरसात के मौसम में जुलाई के पहले सप्ताह से 10 अगस्त तक इसकी बुवाई कर देनी चाहिए। इसकी खेती गर्म व शुष्क मौसम में ही अच्छी होती है। अधिक ठंड वाली जगह में इसे नहीं उगाया जा सकता। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्म की हाइब्रिड बीजों का ही चुनाव करना चाहिए और पौधों के बीच दूरी आदि का ध्यान रखना ज़रूरी है। गर्मी के मौसम में इसमें 2-3 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जानी चाहिए और खेत तैयार करते समय देसी खाद का इस्तेमाल करें।
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