एग्रीकल्चर की शान, पंतनगर यूनिवर्सिटी (Pantnagar University) के नौजवान, एग्री-छात्रों के साथ ‘चाय पर चर्चा’

जानिए पंतनगर यूनिवर्सिटी के छात्रों का क्या है लक्ष्य

पंतनगर यूनिवर्सिटी देश की पहली एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी है। इसे हरित क्रांति की जननी कहा जाता है। यहां एडमिशन लेने के लिए देश के कोने-कोने से छात्र आते हैं। यहां के छात्रों से किसान ऑफ़ इंडिया ने ख़ास बात की। 

24 मार्च से 27 मार्च तक पंतनगर किसान मेला 2022 का आयोजन हुआ। इस 111वें मेले को कवर करने के लिए मेरी टीम देश की पहली एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पहुंची। मैंने वहां उन्नत बीजों से लेकर नई-नई तकनीकों को बारीकी से समझा। मेले में कई स्टॉल्स लगे थे। इसमें कई विश्वविद्यालय के स्टॉल्स भी थे, जिनमें छात्र किसानों को खेती की उन्नत तकनीकों के बारे में जानकारियां दे रहे थे। इन सभी के बीच मेरी पंतनगर यूनिवर्सिटी के पांच छात्रों के साथ ‘चाय पर चर्चा’ हुई। वहां के छात्रों के साथ मैं ऐसे घुलमिल गया कि मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए। चाय पर चर्चा में मैंने उनसे किसानों और यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ रोचक सवाल पूछे, जिनके उन्होंने कुछ इस अंदाज में जवाब दिए-

पंतनगर यूनिवर्सिटी छात्र

सवाल: पंतनगर यूनिवर्सिटी में अब तक की आपकी सबसे अच्छी याद क्या है? 

गौरव (छात्र): कोरोना की तीसरी लहर आने से पहले दस दिन के लिए कॉलेज खुला था। उस वक्त आपस में हम अच्छे से घुलमिल गये थे। फिर लॉकडाउन की वजह से घर चले गए और सब ऑनलाइन हो गया। अब जब सब कुछ नॉर्मल हो रहा है, वापस यूनिवर्सिटी आ गए हैं तो नई यादें बना रहे हैं और आगे भी कई यादें बनाएंगे।

शुभम (छात्र): अब तक की मेरी बेस्ट मेमोरी ‘पंतनगर किसान मेला’ है।

सवाल: खेती की प्रगति में पंतनगर यूनिवर्सिटी बाकी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज़ से क्यों ऊपर है?

उदित (छात्र): देखिए हरित क्रांति की शुरुआत पंतनगर यूनिवर्सिटी से ही हुई थी। देश-विदेश से एग्रीकल्चर कंपनियां यहां प्लेसमेंट के लिए आती हैं। 10 लाख रुपये से भी ज़्यादा का छात्रों को प्लेसमेंट मिला है। हमें अच्छी जॉब मिले, यही हमारा उद्देश्य है।

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सवाल: आप सबसे मेरा सवाल है कि कौन प्लेसमेंट,  कौन यहां से अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करना चाहता है या इसके अलावा भी आप क्या अलग करना चाहते हैं? 

वैभव (छात्र): मेरी पहली प्राथमिकता है कि एक सुरक्षित जॉब मिले। मैं सहायक प्रोफेसर (Assistant Professor) बनना चाहता हूं या तो किसी सरकारी विश्वविद्यालय या फिर प्राइवेट विश्वविद्यालय में। उसके बाद मुझे जैविक खेती और मशरूम की खेती करनी है। मुझे इन सब चीजों को पूरा करने में समय लगेगा, लेकिन मुझे आत्मनिर्भर बनना है। मैं पहले 5 से 6 साल सेविंग करूंगा और उस सेविंग को खेती में लगाऊंगा। मुझे सीनियर छात्रों और कॉलेज में हुई वर्कशॉप से भी काफ़ी कुछ सीखने को मिला है। हम सुन तो सब लेते हैं कि ये करने से हमें फायदा मिलेगा लेकिन उसे ज़मीनी स्तर पर समझना और फिर उसे कैसे लागू करें, उसे सीखना ज़रूरी है।

सवाल: किसानों की आय कैसे बढ़ सकती है? 

आशीष (छात्र): मैं आपको इसके लिए एक कामयाब कहानी बताता हूं जो मैंने किसानों के साथ खुद ज़मीनी स्तर पर अनुभव की है। मैं जम्मू गया था, वहां मैंने एक प्रोजेक्ट पर काम किया था, जो मिट्टी और जल संरक्षण से जुड़ा था। वहां पर मैंने तीन गाँवों को चुना। उनमें रुफ वॉटर हार्वेस्टिंग, तालाब, चेक डैम ये सब इंस्टाल हुए थे। मैंने वहां पांच पॉली टैंक बनवाए, जिससे बारिश का पानी और एक-दूसरे के खेत का पानी एक जगह स्टोर हो सके। इस पॉली टैंक की स्टोरेज़ क्षमता एक लाख लीटर की है। पांच किसानों में से दो किसान बहुत मेहनती थे।

उन दोनों ने इन सब चीज़ों का अच्छे से इस्तेमाल किया। मगर उन्होंने मुझसे सवाल किया कि इसकी वजह से मेरी 100 वर्ग मीटर जगह चली गई, उसका मैं क्या करूं? तो मैंने उसका भी समाधान उन्हें दिया। मैंने उन्हें आइडिया दिया कि बांस को काटकर आप सीढ़ियां बनाओ। फिर उसमें त्रिपाल लगाकर उसको ढक दो। इसकी वजह से आपके दो फ़ायदे होंगे। एक तो पानी बचेगा और दूसरा आप इसके ऊपर सब्जियां उगा सकते हैं। दो किसानों ने इसे अच्छे से किया, जिसकी वजह से उनकी इनकम 4 से 5 हज़ार रुपये प्रति महीना हो गई। ये जो किसानी है इसमें जब तक किसानों और कृषि वैज्ञानिकों का तालमेल नहीं होगा तो किसी को फ़ायदा नहीं मिलेगा इसलिए इनका तालमेल होना बहुत ज़रूरी है।

सवाल: आपने पीएचडी करने के लिए पंतनगर यूनिवर्सिटी को ही क्यों चुना? 

आशीष (छात्र): पंतनगर यूनिवर्सिटी को चुनने की मुख्य वजह थी कि ये एग्रीकल्चर की टॉप यूनिवर्सिटी है। साथ ही मेरे ज़्यादातर टीचर पंतनगर से ही पढ़कर आए हैं। मैंने किताबों में भी पढ़ा था कि पंतनगर के बीज, तकनीकें काफि अच्छी हैं। यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी का पढ़ने का एक मुख्य कारण है कि यूनिवर्सिटी में उसे दिशा और संसाधन बहुत अच्छे से मिलते हैं।

सवाल: आप सब की आगे की सोच क्या है खुद को लेकर, समाज को लेकर या खेती को लेकर? 

गौरव (छात्र): मुझे अपने लिए कुछ करना है और उसके साथ ही देश के लिए कुछ करना है।

वैभव (छात्र): मैं अपने पहाड़ के लिए कुछ करना चाहता हूं। फिर आगे मैं अपने लिए कुछ करना चाहता हूं।

शुभम (छात्र): मुझे अभी आगे की पढ़ाई पर फोकस करना है और एक अच्छी जॉब चाहिए।

उदित (छात्र): मेरे माता-पिता ने काफ़ी साथ दिया है। सबसे पहले खुद के लिए अच्छी जॉब लेनी है।

आशीष (छात्र): मैंने अपने 10 से 12 साल एग्रीकल्चर में दिए हैं जब तक दिमाग चलता रहेगा, एग्रीकल्चर और किसानों की सेवा की जाएगी। मेरा लक्ष्य है कि मैं समाज के लिए कुछ करना चाहता हूं।

Pantnagar University

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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