औद्योगिक क्रान्ति के बाद से अब तक विश्व की कुल कृषि योग्य भूमि का काफ़ी बड़ा हिस्सा अनुपजाऊ हो चुका है
मिट्टी में नमी की लगातार घट रही मात्रा से ज़मीन शुष्क और अनुपजाऊ बनती जा रही है
विशेषज्ञों के अनुसार इस दशा के पीछे दुनिया भर में कम,अनियमित बारिश का होना है
आंकड़ें बताते हैं कि बीती दो से तीन सदी में दुनिया भर में बारिश की कुल मात्रा में 72 फ़ीसदी तक की कमी आई है
दुनिया की 40% आबादी एशिया व अफ्रीका के उन इलाकों में बसती है जहां मरुस्थलीकरण की आशंका ज़्यादा है
दुनिया में मानव की आबादी अब 8 अरब से ज़्यादा हो चुकी है। इसके अभी और बढ़ते जाने का अनुमान है
जहां एक ओर खेती की उन्नत तकनीकों को विकसित करने पर ज़ोर है,दूसरी ओर, उपजाऊ खेतों के बंजर बनने पर ब्रेक लगाने की ज़रूरत है
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