1960 के दशक में हरित क्रांति (Green Revolution) की शुरूआत हुई
Green Revolution से न केवल भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि कृषि मशीनीकरण की असली शुरुआत हुई
उच्च उपज वाली किस्मों (HYV) के बीजों ने उत्पादन बढ़ाया, वहीं कटाई, गहाई और सिंचाई के लिए मशीनों का यूज़ हुआ
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इसके अगुआ बने
ट्रैक्टर, ट्यूबवेल, पंपसेट, थ्रेशर और कम्बाइन हार्वेस्टर जैसी मशीनों ने खेती का चेहरा बदल दिया
इस दौर को ‘ट्रैक्टर क्रांति’ का नाम भी दिया गया, घरेलू स्तर पर ट्रैक्टर बनाने का कारोबार बढ़ा और देश आत्मनिर्भर बना
यहां पढ़ें पूरी स्टोरी