अरहर की खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है
लेकिन लवणीय या क्षारीय मिट्टी में इसकी खेती नहीं होती है
अच्छी जल निकास वाली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी खेती के लिए शानदार होती है
अरहर के खेत में पानी का ठहराव बिल्कुल नहीं होना चाहिए
ज़्यादा पानी मिलने की वजह से अरहर के पौधों में ज़रूरी बढ़ोतरी नहीं हो पाती है
साथ ही फसल पर कई बीमारियों, कीटों के हमले बढ़ने का जोख़िम रहता है
अरहर के खेत में मई-जून की गर्मियों में 2-3 बार गहरी जुताई कर पाटा लगाना चाहिए
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