देश में अश्वगन्धा की खेती करीब 5000 हेक्टेयर में होती है। इसकी सालाना पैदावार करीब 1600 टन है
अश्वगन्धा का पौधा ठंडे प्रदेशों को छोड़कर अन्य सभी भागों में पाया जाता है
अश्वगन्धा एक औषधीय और नकदी फसल है, जिसकी खेती सिंचित और असिंचित ज़मीन में की जा सकती है
अश्वगन्धा का इस्तेमाल दवा की तरह होता है, इसकी सूखी जड़ों से आयुर्वेदिक व यूनानी दवाईयां बनती हैं
खारे पानी की सिंचाई से अश्वगन्धा में पाये जाने वाला Alkaloids या क्षाराभ की मात्रा दो से ढाई गुना बढ़ जाती है
अश्वगन्धा का वानस्पतिक नाम Withania somnifera है, अश्वगन्धा के पौधों,
पत्तियों और बीजों के दाम मिलते हैं
अश्वगन्धा की खेती साल में दो बार होती है, फरवरी-मार्च में रबी के तहत व अगस्त-सितम्बर में ख़रीफ़ के रूप में
अश्वगन्धा की फसल करीब 5 महीने में तैयार होती है, इसकी मुख्य उपज जड़ है
एक हेक्टेयर में अश्वगन्धा की खेती से 7-8 क्विंटल जड़ें मिलती है जो सूखने पर 4-5 क्विंटल हो जाती हैं
उन्नत प्रजातियों की अश्वगन्धा की खेती से लाभ और ज़्यादा हो सकता है
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