टपक सिंचाई विधि में पानी को पतले पाइप्स के नेटवर्क के ज़रिये धीमी गति से पौधों के जड़-क्षेत्र में पहुंचाया जाता है
टपक सिंचाई विधि में पानी का वाष्पन और उसकी ख़पत भी न्यूनतम होती है
ड्रिप इरीगेशन सिस्टम से 30 से 60 प्रतिशत पानी और 30 से 45 प्रतिशत रासायनिक उर्वरक की बचत होती है
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि टपक सिंचाई से पानी सीधे पौधों के जड़ों के नज़दीक दिया जाता है इसलिए आसपास की सूखी मिट्टी में खरपतवार नहीं पनपते हैं
टपक सिंचाई से उच्च गुणवत्ता वाली ज़्यादा पैदावार मिलती है जिसका बाज़ार में ज़्यादा दाम मिलता है
कपास, गन्ना, मक्का, मूंगफली, ग़ुलाब और रजनीगन्धा वगैरह फ़सलों में फायदा लिया जा सकता है
टपक सिंचाई विधि के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को सब्सिडी भी मिलती है
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