पाला की प्रकृति दो तरह की होती है
काला पाला तब होता है जब ज़मीन के पास हवा का तापमान बिना पानी के जमे ज़ीरो डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है
वायुमंडल में नमी इतनी कम हो जाती है कि ओस का बनना रुक जाता है, ये पानी के जमने को रोकता है
सफ़ेद पाले की दशा में वायुमंडल में तापमान ज़ीरो डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है
उसकी नमी यानी ओस ज़्यादा ठंडक की वजह से बर्फ़ या हिम कमों के रूप में बदल जाती है
फ़सलों या खेती-बाड़ी के लिए सफ़ेद पाले की अवस्था सबसे ज़्यादा हानिकारक और घातक होती है
पाला के प्रकोप वाले दिनों की अवधि ज़्यादा दिनों तक रहती है तो खड़ी फ़सल के पौधे मर भी जाते हैं
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