पाला कोई रोग नहीं, बल्कि प्राकृतिक प्रकोप है जो फसलों, सब्जियों, और फलों को भारी नुकसान पहुंचाता है
0°C या उससे कम तापमान पर ओस की बूंदें बर्फ में बदल जाती हैं, इससे पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं, जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है
पाले से फसल का हरा रंग सफेद पड़ने लगता है, पत्तियां मुरझा जाती हैं, फलों पर धब्बे आ जाते हैं, और उनका स्वाद बिगड़ जाता है
काला पाला तब होता है जब नमी बहुत कम होती है, ओस नहीं जमती, सफेद पाला नमी के बर्फ में बदलने के कारण होता है
उत्तर भारत में पाला का मौसम दिसंबर से जनवरी तक होता है, जबकि दक्षिण भारत में तापमान इतनी कमी तक नहीं पहुंचता कि पाला बन सके
पाले के कारण पौधों में प्रकाश संश्लेषण, एंजाइम क्रिया, पोषण निर्माण की गति धीमी पड़ती है, जिससे पैदावार पर असर पड़ता है
पाला से बचाव के लिए तापमान को 0°C से ऊपर बनाए रखना जरूरी है,परंपरागत तरीकों का यूज़ करके कम खर्च होता है
यहां पढ़ें पूरी स्टोरी