चौलाई से मिलने वाले साग (सब्ज़़ी) और दाना (अनाज) दोनों ही नकदी फसलें हैं

छोटी जोत वाले किसानों के लिए चौलाई या रामदाना या राजगिरी की खेती करना बहुत फ़ायदेमंद है

इसकी खेती ज़्यादा ठंडे इलाकों को छोड़ पूरे देश में हो सकती है,  इसे गर्मी और बरसात में उगाया जा सकता है

कार्बनिक तत्वों से भरपूर खेत में चौलाई अच्छी उपज देती है, बुआई के वक्त जैविक खाद का इस्तेमाल करना लाभकारी है

चौलाई के खेती में ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। इसीलिए खेतों में नमी कम होता दिखने पर ही  सिंचाई करनी चाहिए

बेहतर उपज के लिए फ़सल को खरपतवार और कीड़ों से बचाना ज़रूरी है, खेत की दो बार गुड़ाई करनी चाहिए

बाज़ार में चौलाई 75-80 रुपये प्रति किलो के भाव से बिकता है