OIE की 2020 की एक रिपोर्ट ने पशुओं के लिए LSD को एक ख़तरनाक संक्रामक महामारी बताया

इससे दुधारू पशुओं की दुग्ध ग्रन्थियों और थन के सूखने, गर्भपात की समस्याएं होती हैं

पीड़ित पशुओं के इलाज़ या फिर पशु की मौत से पशुपालकों को भारी नुकसान होता है

LSD से संक्रमित पशुओं में 4 से लेकर 14 दिनों के बीच 40 डिग्री सेल्सियस तेज़ बुखार होता है

उनके नाक और आँख से स्राव (discharge) निकलता रहता है। त्वचा पर घाव या गाँठें बनने लगती हैं

पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता, उसकी आयु, नस्ल पर भी रोग की संवेदनशीलता निर्भर करती है

LSD के अलावा हर्पीस (Herpes) वायरस के संक्रमण से भी त्वचा पर गाँठें बनने लगती हैं