मुंजा घास की वैज्ञानिक खेती से 30-35 साल तक उपज मिलती है

ये सूखा प्रभावित,ढलान में मिट्टी कटाव रोकने में सहायक है और कठिन परिस्थितियों में भी पनपते हैं

जुलाई के दौरान नई जड़ों से पौधों को रोपित किया जाता है, प्रति हेक्टेयर 30,000-35,000  पौधे  लगाना संभव   है

सूखे के वक्त मुंजा की हरी पत्तियों का उपयोग पशुओं के लिए चारे के रूप में किया जा सकता है

इसकी जड़ों व पत्तियों का उपयोग आयुर्वेद,यूनानी चिकित्सा पद्धति में औषधियों के निर्माण में किया जाता है

तेज़ धार वाली पत्तियों के कारण इसे खेतों की मेड़ पर लगाया जाता है। इससे रस्सी, छप्पर और चारपाई जैसे उत्पाद बनते हैं

मुंजा की खेती में रासायनिक खाद की ज़रूरत नहीं होती, ये 7-10 रुपये प्रति किलो के दाम पर बिकती है