पपीता गन्ने की तरह नगदी फसल है, जिसकी बढ़ती मांग किसानों को अतिरिक्त आय का मौका देती है

गन्ने की फसल को तैयार होने में 11-12 महीने लगते हैं, जबकि पपीता जल्दी तैयार होकर कम समय में अच्छी कमाई देता है

पपीता गन्ने के खेत में अधिक जगह नहीं लेता, जिससे दोहरी फसल से किसानों को बेहतर लाभ मिलता है

मिज़ोरम में गन्ने संग पपीता की सफल खेती ने किसानों की आय में बड़ा इ ज़ाफ़ा किया, जिसे उत्तर प्रदेश में  अपनाने की सलाह दी गई

गाजीपुर,बलिया, देवरिया, मऊ आज़मगढ़ में सफल प्रयोगों से साबित हुआ कि  दोमट,बलुई मिट्टी गन्ने और पपीते दोनों के लिए अनुकूल है

गन्ना और पपीता एक-दूसरे के लिए रोग-प्रतिरोधक की तरह काम करते हैं, जिससे फसल पर रोग का प्रभाव कम होता है

सहफसली खेती से UP व  के राज्यों में पपीते की माँग को पूरा करने में मदद मिलती है,  जिससे बाहरी आपूर्ति पर निर्भरता घटती है