दक्षिण अफ्रीका के बाद भारत जंगली गेंदे के तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जहां इसका वार्षिक उत्पादन करीब 5 टन है
हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश के तराई इलाकों में जंगली गेंदे की व्यावसायिक खेती त़ेजी से लोकप्रिय हो रही है
इसकी खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देती है, प्रति हेक्टेयर 35,000 रुपये की लागत पर 75 हज़ार का लाभ होता है
इसकी गंध जंगली जानवरों को दूर रखती है, जिससे खेतों की फसल सुरक्षित रहती है
CSIR-लखनऊ द्वारा विकसित ‘वन-फूल’ किस्म से प्रति हेक्टेयर 300-500 क्विंटल हर्ब और 40-50 kg तेल प्राप्त होता है
फूलों और पत्तों से आसवन विधि द्वारा तेल निकाला जाता है, जिससे किसानों की कमाई कई गुना बढ़ सकती है
मैदानी इलाकों में मार्च-अप्रैल और पहाड़ी क्षेत्रों में सितंबर-अक्टूबर में कटाई होती है, पौधों को ज़मीन से एक फीट ऊपर काटा जाता है
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