कासनी की पत्तियों का इस्तेमाल हरे चारे के रूप में किया जाता है

कई आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं में भी इसका उपयोग होता है

कासनी  सेहत के लिए फ़ायदेमंद है, इसकी चाय, काढ़ा बनाया जाता है

ये मुख्य रूप से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर,पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु,  कर्नाटक में होती है

कीटनाशकों और खरपतवाररोधी दवाओं के इस्तेमाल से इसका अस्तित्व ही खतरे में है

इसे बचाने के लिए रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान, हल्द्वानी ने कासनी की खेती को बढ़ावा दे रहा है

कासनी को कई जगहों पर चिकोरी भी कहते है, इसके फूल नीले रंग के होते हैं