गाजर घास एक विषैला विदेशी घुसपैठिया खरपतवार है, देश में इन्हें पहली बार पुणे में 1955 में देखा गया

वैज्ञानिकों ने गाजर घास को मिट्टी और पूरे प्राणी जगत का सबसे बड़ा दुश्मन व जैव विविधता का विनाशक बताया है

गाजर घास खाली ज़मीनों, औद्योगिक क्षेत्रों, बाग़ीचों,सड़कों, रेलवे लाइन के किनारे बहुतायत में उगते हैं

गाजर घास का देश में रक़बा अब तक 3.5 करोड़ हेक्टेयर तक फैल चुका है

ये  ज़हरीले रसायनों का स्राव करते हैं जिससे ज़मीन बंजर हो जाती है

गाजर घास को फूल आने से पहले जड़ से उखाड़ कर कंपोस्ट और वर्मी कम्पोस्ट बनाना चाहिए

फूल से पहले ग्लायफोसेट 1.0-1.5 फीसदी या मेट्रीब्यूजिन 0.3-0.5 फीसदी घोल का छिड़काव करें

सामूहिक श्रमदान अभियानों का आयोजन भी बेहद कारगर साबित होता है