गंगा-यमुना और इसकी सहायक नदियों में भोला मछलियों की भरमार होती है
कई जगह इन्हें पथरी मछली भी कहलाती है क्योंकि इसके सिर के दोनों ओर छोटा-छोटा कंकड़ पाया जाता है
इनके कंकड़ों की तुलना सीप के ‘मोती’ से होती है, इसीलिए इसे रत्नगर्भा भी कहा गया है
मदर-ऑफ-पर्ल परत बनाने वाला नैक्रे रत्नगर्भा में भी पाया जाता है
ये मज़बूत, लचीला और इन्द्रधनुषीय छटा वाला होता है, ‘यूनोयोनीडी’ और ‘मार्गेरिटिफ़ेरिडे’ फैमिली सीपों में पाया जाता है
इसीलिए इन प्रजातियों में उन्नत मोती बनने की उम्मीद ज़्यादा रहती है
रत्नों के गुणों वाले मुक्ता के इस्तेमाल से मोतियों जैसा लाभ कम दाम पर मिल सकता है
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