चंबल और मुरैना के बीहड़ों में अब ककोड़ा की खेती की जा रही है

जंगलों और मेड़ों पर स्वाभाविक रूप से उगने वाला ये फल कमाई का बड़ा जरिया बना है

ख़ासकर मुरैना जिले के मोगिया आदिवासियों के लिए ककोड़ा की खेती अवसर की तरह है

ककोड़ा इन समुदायों की आजीविका और पोषण का सहारा है

बीहड़ों और जंगलों में उगने वाला ककोड़ा बिना सिंचाई, खाद या देखरेख के फल देता है

मोगिया समुदाय के लोग मंडियों में 150 से 200 रुपये किलो तक बेचते हैं

डॉक्टरों के अनुसार, ककोड़ा में प्रोटीन, फाइबर और औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में होते हैं